हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं द्वारा अपनी मांग में सिंदूर लगाना अनिवार्य माना गया है। सामान्य तौर पर महिला की मांग में सिंदूर को सुहागिन होने का प्रतीक माना गया है। सिंदूर को सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसा विधान है कि सुहागिन महिलाएं कुल 16 श्रंगार करती है। सिंदूर इन्हीं सोलह श्रंगार का अहम हिस्सा है। ऐसी मान्यता है कि सुहागिन महिला के द्वारा अपनी मांग में सिंदूर धारण करने से पति को दीर्घ आयु की प्राप्ति होती है। सिंदूर लगाने से पत्नी के सौभाग्यशाली होने की भी मान्यता है। कहते हैं कि सुहागिन महिलाओं के सिंदूर लगाने से घर में सौभाग्य का आगमन होता है। इससे घर के लोगों को उनके प्रयासों में कामयाबी मिलती है।
सिंदूर का उल्लेख रामायण काल में भी मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि सीता माता प्रत्येक दिन अपनी मांग में सिंदूर भरती थीं। एक बार हनुमान जी ने उनसे इसकी वजह पूछी थी। इस पर सीता जी का कहना था कि सिंदूर लगाने से भगवान राम काफी प्रसन्न होते हैं। और उनके प्रसन्न होने से उनका स्वास्थ्य काफी अच्छा रहता है। इससे स्वभाविक रूप से उन्हें दीर्घ आयु की प्राप्ति होगी। कहते हैं कि सीता के इस जवाब से हनुमान जी बहुत ही प्रसन्न हुए थे।
ऐसी मान्यता है कि पत्नी के द्वारा अपनी मांग में सिंदूर लगाने से उसके पति की अकाल मृत्यु से रक्षा होती है। सिंदूर लगाने से पति के संकटों से बचे रहने की बात कही गई है। कहते हैं कि पत्नी के द्वारा अपनी मांग में सिंदूर लगाने से दांपत्य जीवन में सकारात्मकता बनी रहती है। इससे पति-पत्नी के बीच विवाद नहीं होता और वे दोनों मिलजुलकर रहते हैं। मालूम हो कि सिंदूर को माता लक्ष्मी के सम्मान का प्रतीक भी माना गया है। यानी कि सुहागिन द्वारा सिंदूर लगाने से लक्ष्मी जी कृपा बनी रहती है।


