शास्त्रों के अनुसार रावण प्रकांड पंडित था और वह भगवान शिव को अपना आराध्य मानता था। साथ ही उसके 10 सिर थे। इसलिए उसे दशानन कहा जाता था। लेकिन क्या आपको पता है रावण अकेला सोता था। वह किसी के साथ क्यों नहीं सोता था। आइए जानते हैं। चर्चित राम कथावाचक प्रेम भूषण महाराज जी से कि रावण अकेला क्यों सोता था।

जानिए रावण अकेला क्यों सोता था:

कथावाचक प्रेमभूषण महाराज जी ने एक अपनी कथा एक वीडियो यूट्यूब पर अपलोड किया है। जिसमें उन्होंने बताया कि जब बजरंगबली 100 योजन समुद्र लांगकर लंका पहुंचे तो उन्होनें बीच में सुरसा और लंकनी राक्षसनियों का वध किया। इसके बाद हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया तो वह सबसे पहले रावण के कक्ष में पहुंचे, जहां वह सो रहा था। लेकिन उसके आस- पास कोई नहीं था। प्रेम भूषण महाराज जी ने बताया कि हनुमान जीन ने देखा कि रावण नींद में बहुत तेजी खर्राटे ले रहा है। यही कारण था कि रावण के आस- पास कोई नहीं सोता था।

प्रणाम करके ही कोई कार्य शुरू करना चाहिए:

कथावाचक प्रेमभूषण महाराज ने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि कोई भी कार्य शुरू करने से पहले बड़ों और बुजुर्गों को प्रणाम करना चाहिए। उसके बाद ही कार्य को आरम्भ करना चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से कार्य में सिद्धि जरूर मिलती है। आपको बता दें कि प्रेम भूषण महाराज एक जाने माने राम कथावाचक हैं। साथ ही वह हिंदी और अवधी भाषा में भजन भी गाते हैं।

पति का मन पत्नी से मिलना चाहिए:

राम कथावाचक प्रेमभूषण महाराज ने बताया पति- पत्नी का मन अगर एक दूसरे से नहीं मिला तो हमेशा क्लेश रहता है। क्योंकि एक- दूसरे को हमेशा साथ रहना है। इसलिए पति- पत्नी को एक दूसरे से अपने मन को मिलाना चाहिए। क्योंकि जब मन मिल जाता है, तो फिर किसी भी प्रकार का मनभेद और मतभेद नहीं रहता है। साथ ही उन्होंने आगे कहा कि भगवान से भक्त का जब तक मन नहीं मिलता तब तक भगवान भक्त का कोई काम नहीं करेंगे। क्योंकि जहां मन रहता है वहां ही हम रहते हैं।

प्रेम भूषण महाराज ने 1993 में राम कथा का वाचन शुरू किया था और वह धीरे- धीरे चर्चा में आ गए। प्रेमभूषण महाराज ने रामार्चा मंदिर की भी स्थापना की है।