Baba Bokh Naag Devta: उत्तराखंड के उत्तरकाशी के एक सुरंग में 41 मजदूर फंस गए। जिसके सलामती के लिए देशभर में दुआएं की जा रही है। मजदूरों को बचाने के लिए पाइप डालकर उन्हें निकालने की पूरी कोशिश की जा रही है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस सुरंग के पास एक मंदिर भी स्थित है, जो इस समय काफी सुर्खियों में छाया हुआ है। इस मंदिर का नाम है बाबा बौख नाग मंदिर। माना जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए इस मंदिर को यहां से हटा दिया गया था, जिसके कारण वह काफी नाराज हो गए हैं और इस हादसा का सामना करना पड़ें। जानें आखिर कौन है बाबा बौख नाग और किस तरह पहुंचे यहां…
कौन है बाबा बौख नाग?
माना जाता है कि बाबा बौखनाग की यहां बासगी नाग के रूप में उत्पत्ति हुई। भगवान श्रीकृष्ण टिहरी जनपद के सेम-मुखेम से पहले यहां पहुंचे थे। इसी के कारण हर साल सेम मुखेम और दूसरे साल बौखनाग में भव्य मेला आयोजित होता है। बाबा बौख नाग सिल्क्यारा सहित अन्य क्षेत्रों के इष्ट देव भी है। यह नागराज मंदिर है। इनकी पूजा-अर्चना करके इलाके की रक्षक की कामना की जाती है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी में बाबा बौख नाग का मंदिर स्थिति है। आसपास के क्षेत्रों में ये मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इसी के कारण हर साल मार्गशीर्ष माह के मौके पर यहां पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि जो दंपत्ति निसंतान है वह इस पर्व में नंगे पैर आकर बाबा बौख नाग के दर्शन करता है, तो उसकी इच्छा अवश्य पूरी होती है। इसके साथ ही सुख-समृद्धि और अपनी इच्छाओं का पूरी के लिए यहां पर भक्त श्रद्धा के साथ अर्जी लगाते हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित विदेशी एक्सपर्ट ने की पूजा
माना जा रहा है कि बाबा का मंदिर हटाने के कारण वह काफी नाराज हुए और इसके कारण यह घटना हटी। ऐसे में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ अर्नोल्ड डिक्स ने सिल्क्यारा सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को निकासी के लिए पूजा-अर्चना की है। इसके साथ बाबा बौख नाथ की रोजाना पूजा-अर्चना की जा रही है।
कैसे पहुंचे बाबा बौख नाग?
बता दें कि देहरादून से सिल्क्यारा गांव की दूरी करीब 135 किमी है। उत्तराखंड के उत्तराकाशी के राडी कफनौल मोटर मार्ग के निकट 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। जहां पर बौखनाग जाने के लिए करीब 4 किलोमीटर पैदल यात्रा करनी पड़ती है।