शनि साढ़े साती (Shani Sade Sati) की तरह ही शनि की ढैय्या (Shani Dhaiya) भी महत्वपूर्ण मानी जाती है। किसी के लिए शनि ढैय्या अत्यंत ही फलदायी तो किसी के लिए कष्टदायी साबित होती है। अब किसके लिए शनि ढैय्या कैसी रहेगी इस बात का पता कुंडली में शनि की स्थिति को देखकर चलता है। बता दें कि जब गोचर में शनि किसी राशि से चतुर्थ व अष्टम भाव में होता है तो यह स्थिति शनि ढैय्या कहलाती है। अगर कुंडली में शनि तृतीय, षष्ठ और एकादश भाव में हों तो शनि ढैय्या काफी शुभ मानी जाती है। जानिए 2021 से लेकर 2025 तक कब किस राशि पर रहेगी शनि ढैय्या…

साल 2021 की बात करें तो इस साल मिथुन और तुला जातकों पर शनि ढैय्या चल रही है। शनि फिलहाल मकर राशि में विराजमान हैं। वहीं धनु, मकर और कुंभ जातकों पर शनि साढ़े साती चल रही है। शनि इस समय मकर राशि में वक्री भी हैं।

29 अप्रैल 2022 में शनि कुंभ राशि में प्रवेश कर जायेंगे जिससे कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो जायेगी और मिथुन और तुला जातकों को इससे मुक्ति मिल जाएगी। वहीं मकर, कुंभ और मीन वालों पर शनि साढ़े साती रहेगी। धनु वाले इससे मुक्त हो जायेंगे।

2023 और 2024 में शनि का गोचर नहीं है। (यह भी पढ़ें- अगस्त में मेष, वृषभ समेत इन राशियों को करियर में जबरदस्त लाभ होने की संभावना, देखें क्या आपकी राशि है इसमें शामिल?)

29 मार्च 2025 में शनि मीन राशि में प्रवेश कर जायेंगे। जिससे सिंह और धनु वालों पर शनि ढैय्या शुरू हो जाएगी। वहीं कर्क और वृश्चिक जातकों को इससे मुक्ति मिल जाएगी। शनि साढ़े साती की बात करें तो वो कुंभ, मीन और मेष जातकों पर रहेगी। जबकि मकर वालों को इससे मुक्ति मिल जाएगी। (यह भी पढ़ें- सावन में 3 ग्रह बदलेंगे अपनी जगह, सिंह राशि में बनेगा बुधादित्य योग, इन राशियों को लाभ)

शनि देव के प्रभावशाली मंत्र:

शनि का वैदिक मंत्र
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।

शनि का तांत्रिक मंत्र
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।

शनि का बीज मंत्र
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

धार्मिक दृष्टि से शनि ग्रह का महत्व: हिन्दू धर्म में शनि ग्रह शनि देव के रूप में पूजा जाता है। इन्हें सूर्य देव का पुत्र माना जाता है। शनि सूर्य से शत्रु का भाव रखते हैं। शनि देव व्यक्ति को कर्मों के अनुसार फल देते हैं और उन्हें दण्डित करते हैं। शनिदेव की अराधना के लिए शनिवार का दिन विशेष माना गया है। शनि ग्रह एक राशि से दूसरी राशि में जाने के लिए ढाई वर्ष तक का समय लेता है। इस तरह से ये अपना राशि चक्र 30 साल में पूरा करता है। (यह भी पढ़ें- इस सावन इन 5 राशियों पर रहेगी भगवान शिव की विशेष कृपा, भाग्य में होगी वृद्धि)