सच्चे प्यार की तलाश हर किसी को होती है। लेकिन सभी को यह नहीं मिल पाता। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जन्म कुंडली का भाव खराब होने की वजह से ऐसा होता है। जी हां, ज्योतिष में जन्म कुंडली के पांचवें भाव को प्रेम का कारक माना गया है। कई बार कुंडली का पांचवां भाव किसी क्रूर ग्रह से पीड़ित हो जाता है। ऐसी दशा में व्यक्ति को सच्चा प्यार नहीं मिलता। साथ ही इससे प्यार में धोखे मिलने लगते हैं। कुंडली का सातवां भाव विवाह का कारक माना जाता है। कुंडली में जब पांचवे और सातवें भाव का प्रबल योग बनता है तो प्रेम विवाह होता है। जब तक कुंडली में पांचवें और सातवें भाव का योग नहीं बनता तब तक प्रेमी जोड़े अपनी शादी को लेकर असमंजस में रहते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शुक्र ग्रह का प्रेम से गहरा संबंध है। शुक्र को प्रेम का कारक ग्रह कहा जाता है। शुक्र ही प्रेम को चरम तक पहुंचाता है। और बात शादी तक पहुंच जाती है। जन्म कुंडली में शरीर भाव का स्वामी और जीवनसाथी के भाव का स्वामी छठे और आठवें भाव में हो तो आजीवन प्यार नहीं मिलता। ऐसी दशा में विवाह टूटने की संभावना बनी रहती है। इस प्रकार से विवाह लंबा चलने के लिए जरूरी है कि शरीर भाव का स्वामी और जीवनसाथी के भाव का स्वामी छठे और आठवें भाव में न हो।
सच्चे प्यार के लिए जरूरी है कि व्यक्ति की कुंडली में शुक्र ग्रह की दशा मजबूत हो। शुक्र के अस्त रहने पर या उस पर पाप ग्रहों की दृष्टि होने से प्यार में रुकावट आने लगती है। साथ ही कुंडली के सातवें भाव पर भी पाप ग्रहों की दृष्टि नहीं होनी चाहिए। कुंडली में इन ग्रहों की दशा ठीक रखने के लिए प्रेमी जोड़ों को कभी भी काले रंग की चीजें गिफ्ट नहीं करनी चाहिए। आप लाल, गुलाबी या पीले रंग की चीजों का इस्तेमाल कर सकते हैं।