इस साल नवंबर महीने के शुरू होते ही त्योहारों की शुरुआत भी हो जाएगी। धनतेरस से त्योहारों की शुरुआत हो जाएगी और यह कार्तिक पूर्णिमा तक जारी रहेंगे। 2 नवंबर को धनतेरस का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन बर्तन, गहने, कपड़े, सोना और चांदी खरीदने की परंपरा है। धनतेरस के दिन खरीददारी और चीजों में निवेश करने से मां लक्ष्मी की कृपा सदा आप पर बनी रहती है। धनतेरस के दिन ही यमराज की पूजा भी होती है और यमदीप जलाने की भी परंपरा है। घर-परिवार में किसी की अकाल मृत्यु से बचने के लिए लोग रात में सोने से पहले दक्षिण दिशा की ओर दीपक जलाकर प्रार्थना करते हैं।

धन तेरस का शुभ मुहूर्त: 2 नवंबर को धनतेरस का दिन 8 बजकर 48 मिनट से शुरू हो जाएगा, जो 3 नवंबर को सुबह 7 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। 4 नवंबर को दिवाली का त्योहार मनाया जाएगा। 5 नवंबर को गोवर्धन पूजा और 6 नवंबर को भैया दूज का त्योहार मनाया जाएगा। भैया-दूज का त्योहार भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है। इस दिन बहनें अपने भाई की लंबी आयु की कामना करती हैं और भाई भी उन्हें उपहार देते हैं।

छठ पूजा: भैया दूज के बाद 8 नवंबर को छठ का नहाय-खाय, 9 नवंबर को खरना, 10 नवंबर को अस्ताचल सूर्य और आखिर में 11 नवंबर को सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। छठ में भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। 11 नवंबर को जगधात्री पूजा और 12 नवंबर को गोपाष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। 13 नवंबर को अक्षय नवमी है।

देव उठनी एकादशी: 15 नवंबर को देव उठनी एकादशी का त्योहार मनाया जाएगा। इस दिन से शादी-विवाह समेत सभी शुभ मुहूर्त शुरू हो जाएंगे। इस दिन 4 महीने से सो रहे देवताओं को उठाया जाता है। कई जगहों पर गीत गाकर तो कई जगहों पर धूमधाम से लोग भगवान को जगाते हैं। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। देवउठनी एकादशी के बाद 18 नवंबर को बैकुंठ चतुर्दशी और 19 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया था।