Holashtak 2022 Date And Time:  हिंदू धर्म में होली के पर्व का विशेष महत्व होता है। आपको बता दें कि साल की शुरुआत होते ही पहला बड़ा त्योहार होली ही होता है। आपको बता दें कि होली फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। लेकिन फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से ही होलाष्टक लग जाता है। मतलब रंगवाली होली से 8 दिन पहले होलाष्टक शुरू हो जाते हैं। होलाष्टक शब्द होली और अष्टक से से मिलकर बना है। इसका अर्थ है होली के आठ दिन।

शास्त्रों के अनुसार किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं करने चाहिए। होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू होकर पूर्णिमा तक लगे रहते हैं। इस बार होलाष्टक के कारण 10 मार्च से लेकर 18 मार्च तक सभी शुभ कार्यों पर रोक लगी रहेगी। होलिका दहन 18 मार्च को तो रंगों का त्योहार होली 19 मार्च को मनाया जाएगा। आइए जानते हैं होलाष्टक के दौरान किन कार्यों को करने की होती है मनाही…

इन कामों की होती है मनाही:

होलाष्टक के इन 8 दिनों के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है। इस दौरान मुख्य तौर पर विवाह, गृह प्रवेश, सोलह संस्कारों को करने की मनाही होती है। इसके अलावा कोई नया घर, वाहन आदि खरीदना, बिजनेस शुरू करना आदि की मनाही होती है। होलाष्टक के दौरान स्नान-दान, जप, देवी-देविताओं की पूजा करने का विधान है।

क्यों नहीं किए जाते शुभ कार्य?

मान्यता है कि इन 8 दिनों में राजा हरिण्यकशिपु ने अपने पुत्र प्रह्लाद को भगवान विष्णु की भक्ति से हटाने के लिए तमाम तरह की यातनाएं दी थीं। लेकिन विष्णु भगवान की कृपा से प्रह्लाद ने हर तरह के कष्ट और परेशानियाँ झेल लीं। तब हिरणकश्यप ने अपनी बहन होलिका से मदद ली। होलिका को आग में न जलने का वरदान प्राप्त था जिसके चलते वो प्रह्लाद को लेकर आग में बैठ गयी। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए पर होलिका का अग्नि में जलने से अंत हो गया। इन आठ दिनों में विष्णु भक्त प्रह्लाद के साथ हुई यातनाएं के कारण होलाष्टक के समय को अशुभ माना जाता है। (यह भी पढ़ें)- Maha Shivratri 2022: महाशिवरात्रि पर ग्रहों का महासंयोग, इन 4 राशि वालों पर रहेगी भगवान शिव की विशेष कृपा

होलाष्टक पर करें भगवान की आराधना: 

आपको बता दें कि होलाष्टक में सोलह संस्कार समेत कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित होता है, वहीं यह समय भगवान की भक्ति और पूजा- अर्चना के लिए उत्तम माना जाता है। होलाष्टक के दौरान दान-पुण्य करने का अक्षय फल प्राप्त होता है। इस दौरान मनुष्य को अधिक से अधिक भगवत भजन और वैदिक अनुष्ठान, यज्ञ करने चाहिए, ताकि समस्त कष्टों से मुक्ति मिल सके। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार होलाष्टक में महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से हर तरह के रोग और कष्टों से छुटकारा मिलता है और स्वास्थ्य अच्छा रहता है। (यह भी पढ़ें)- मकर राशि में बन रही धन के दाता शुक्र और शनि की युति, इन 3 राशि वालों की चमक सकती है किस्मत