Vishwakarma Puja 2023: हिंदू धर्म के अनुसार, हर साल कन्या संक्रांति के दिन विश्वकर्मा पूजा की जाती है। इसे विश्वकर्मा जयंती भी कहते हैं। आज के दिन निर्माण एवं सृजन कर्ता विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाया जाता है। उन्हें संसार का पहला इंजीनियर और वास्तुकार भी माना जाता है। भगवान विश्वकर्मा को सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी के सातवें पुत्र मान जाता है। जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।
विश्कर्मा पूजा पर बना शुभ योग
सर्वार्थ सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक
द्विपुष्कर योग – 17 सितंबर 2023 को सुबह 10 बजकर 02 मिनट से सुबह 11 बजकर 08 मिनट तक
ब्रह्म योग – 17 सितंबर 2023 को प्रात: 04 बजकर 13 मिनट से 18 सितंबर 2023 को सुबह 04 बजकर 28 मिनट तक
अमृत सिद्धि योग – 17 सितंबर 2023 को सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक
हस्त्र नक्षत्र- 17 सितंबर को हस्त्र नक्षत्र सुबह 10 बजकर 02 मिनट तक है और उसके बाद से चित्रा नक्षत्र
विश्वकर्मा पूजा का समय
पूजा के लिए शुभ मुहूर्त- 17 सितंबर की सुबह 10 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 26 मिनट तक कर सकते हैं। इसके बाद विश्वकर्मा पूजा पर आज भगवान की पूजा के दो शुभ दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से दोपहर 3 बजकर 30 मिनट तक पूजा का मुहूर्त रहेगा। इस दोनों शुभ मुहूर्त में पूजा की जा सकती है।
विश्वकर्मा पूजा विधि
आज के दिन भगवान विश्वकर्मा पूजा की विधिनत पूजा करने का विधान है। आज स्नान आदि करने के बाद एक चौकी में पीला रंग का कपड़ा बिछाकर उसमें कुमकुम या फिर सिंदूर से स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। इसके बाद इसमें फूल, अक्षत अर्पित करें और फिर भगवान विश्वकर्मा जी की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद भगवान विश्वकर्मा को थोड़ा सा जल चढ़ाएं और फिर तिलक लगाने के साथ फूल, माला, पान में सुपारी, लौंग, इलायची, बताशा और एक रुपए रख कर चढ़ा दें। इसके बाद भोग में मिठाई और फल अर्पित करें। इसके बाद घी का दीपक और धूप जलाकर विधिवत विश्वकर्मा जी के मंत्र, चालीसा का पाठ करने के बाद अंत में आरती कर लें और भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
भगवान विश्वकर्मा पूजा मंत्र
- ॐ आधार शक्तपे नम:
- ओम कूमयि नम:
- ओम अनन्तम नम:
- पृथिव्यै नम: