Vinayak Chaturthi 2025 Shubh Muhurat: हिंदू धर्म में विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी मनाई जाती है, लेकिन ज्येष्ठ मास की विनायक चतुर्थी का विशेष महत्व माना गया है। इस दिन भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए व्रत-पूजन किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि जो भक्त पूरी श्रद्धा से व्रत रखकर भगवान गणपति की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और जीवन के कष्ट दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं विनायक चतुर्थी व्रत का शुभ मुहूर्त, भोग सहित अन्य जानकारी…
ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी की तिथि
पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ शुक्ल चतुर्थी तिथि का आरंभ 29 मई 2025 को रात 11:19 बजे से हो रहा है, जो कि 30 मई को रात 9:21 बजे तक रहेगा। चूंकि व्रत उदया तिथि के अनुसार रखा जाता है, इसलिए ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी का व्रत आज यानी 30 मई 2025 को रखा जाएगा।
पूजा का शुभ मुहूर्त और शुभ योग
हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 मई को विनायक चतुर्थी की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 10:55 बजे से दोपहर 01:41 बजे तक रहेगा। इस समय के दौरान भगवान गणेश की विधिवत पूजा करनी चाहिए। इस बार खास बात यह है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग बन रहे हैं। ये दोनों ही योग किसी भी कार्य की सिद्धि और सफलता के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। ऐसे में इस दिन पूजा का फल कई गुना अधिक मिलता है।
गणपति को लगाएं यह विशेष भोग
भगवान गणेश को मोदक और लड्डू अत्यंत प्रिय हैं। लेकिन विशेष रूप से ज्येष्ठ विनायक चतुर्थी के दिन बूंदी के लड्डू का भोग लगाना बहुत शुभ माना गया है। इस दिन 5 लड्डू ब्राह्मणों को दान करना चाहिए और 5 लड्डू भगवान के चरणों में अर्पित करके शेष प्रसाद के रूप में वितरण करें।
पूजन में इन स्त्रोतों का करें पाठ
गणेश पूजन करते समय श्री गणेश स्तोत्र, अथर्वशीर्ष, संकटनाशक गणेश स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। वहीं संध्या के समय गणेश चतुर्थी की कथा, श्री गणेश सहस्रनामावली, गणेश चालीसा का पाठ करें और अंत में ‘संकटनाशन गणेश स्तोत्र’ पढ़कर आरती करें। इसके अलावा ‘ॐ गणेशाय नमः’ मंत्र की माला जपना भी शुभ माना गया है।
विनायक चतुर्थी व्रत का महत्व
विनायक चतुर्थी व्रत रखने से भगवान गणेश की कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इससे जीवन में आ रही रुकावटें, विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं। व्यक्ति के जीवन में शुभता आती है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है। यह व्रत स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होता है और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
भगवान गणेश जी के मंत्र
ॐ गण गणपतये नमः
ॐ एकदन्ताय नमः
ॐ वक्रतुण्डाय नमः
ॐ गजाननाय नमः
ॐ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात्।
ॐ ऐं ह्वीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे
ॐ नमो गणपतये कुबेर येकद्रिको फट् स्वाहा।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
एकदन्त दयावन्त, चार भुजाधारी.
माथे पर तिलक सोहे, मूसे की सवारी.
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा.
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
अँधे को आँख देत, कोढ़िन को काया.
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया.
सूर श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
दीनन की लाज राखो, शम्भु सुतवारी.
कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी.
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा.
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा.
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