Vidur Niti/ Vidur Niti on Making Friends : विदुर नीति में विदुर जी के विचारों को बताया गया है। माना जाता है कि विदुर जी बहुत समझदार थे। उन्हें हमेशा से यह पता था कि कौरव अधर्म के मार्ग पर चल रहे हैं इसलिए वह पांडवों को अपनी राह पर आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करते थें। वह हमेशा से यह जानते थें कि महाभारत युद्ध में पांडवों की ही जीत होगी क्योंकि वह धर्म के मार्ग पर चल रहे थे और भगवान श्री कृष्ण उनके दोस्त बनकर उनका मार्गदर्शन कर रहे थे।

माना जाता है कि जीवन में एक अच्छा दोस्त मिल जाए तो व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता है। एक अच्छा दोस्त मनुष्य को सद्मार्ग की ओर ले जाता है और एक बुरा दोस्त अच्छे व्यक्ति को भी बुराई की ओर धकेल सकता है। इसलिए विदुर जी का मानना है कि दोस्त बहुत सोच-समझ कर बनाने चाहिए। विदुर जी के मुताबिक एक अच्छे दोस्त में कुछ विशेष गुण अवश्य होने चाहिए।

कृतज्ञं धार्मिकं सत्यमक्षुद्रं दृढभक्तिकम्।
जितेन्द्रियं स्थितं स्थित्यां मित्रमत्यागि चेष्यते।।

कृतज्ञ
इनमें पहला गुण कृतज्ञता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति कृतज्ञ होता है उसका मन बहुत पवित्र होता है।

धार्मिक
दोस्त को धार्मिक जरूर होना चाहिए। जिन लोगों के पास धार्मिक मित्र होता है वह उन्हें कभी अधर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने की सलाह नहीं देता है।

सत्यवादी
सच्चा दोस्त बहुत मुश्किल से मिलता है। माना जाता है कि सच्चा दोस्त किस्मत वालो को मिलता है।

उदार
जिन लोगों के पास उदार दोस्त होते हैं उन्हें अपने भाग्य पर गर्व करना चाहिए क्योंकि ऐसा दोस्त सबको नहीं मिलता है।

दृढ़ अनुराग वाला
जिनके मन में दृढ़ अनुराग होता है उन्हें अच्छा माना जाता है। कहते हैं कि ऐसे लोग बहुत अच्छी दोस्ती निभाते हैं।

जितेन्द्रिय
जिनका दोस्त जितेन्द्रिय यानी इन्द्रियों को अपने वश में रखने वाला होता है उन्हें दोस्ती की वजह से कभी कोई नुकसान नहीं झेलना पड़ता है।

मर्यादा में रहने वाला
जो लोग अपनी मर्यादाएं जानते हैं वो कभी गलत काम नहीं करते हैं। वह हर काम करने से पहले सोचते हैं कि यह सही है या गलत है।

दोस्ती न तोड़े
जो सच्चा दोस्त होता है वो कभी दोस्ती नहीं तोड़ता है। ऐसा दोस्त हर परिस्थिति में अपने दोस्त का साथ निभाता है।