आजकल घर के मुख्य दरवाजे पर डोर बेल लगाना जरूरी हो गया है। डोर बेल लगाने से दरवाजे पर आए व्यक्ति को सूचित करने में परेशानी नहीं होती। डोर बेल की आवाज सुनकर घर के अंदर मौजूद व्यक्ति आसानी से समझ जाता है कि दरवाजे पर कोई आया हुआ है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वास्तु शास्त्र के हिसाब से घर की डोर बेल कैसी होनी चाहिए? वास्तु में डोर बेल लगाते समय किन बातों का ध्यान रखने के लिए कहा गया है? यदि नहीं तो आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। ध्यान रहे कि हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है। कहते हैं कि वास्तु के हिसाब से घर का निर्माण कराने से परिवार में खुशियां बनी रहती हैं। साथ ही उस घर में रहने वाले लोग अपने जीवन में खूब तरक्की करते हैं।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर पर डोर बेल लगाना जरूरी है। डोर बेल नहीं होने पर घर आए लोगों को आवाज देकर या फिर दरवाजा खटखटाकर सूचना देनी पड़ती है। वास्तु के मुताबिक इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है। इससे घर के लोगों के मस्तिष्क पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है। कहते हैं कि इससे घर के लोग काफी चिड़चिड़े हो जाते हैं। और उनमें बात-बात पर विवाद होने लगता है।
वास्तु की मानें तो घर की डोर बेल जमीन से करीब पांच फीट की ऊंचाई पर होनी चाहिए। ऐसा बच्चों की शरारतों से बचने के लिए कहा गया है। वास्तु में कहा गया है कि घर की नेम प्लेट डोर बेल से ऊपर होनी चाहिए। इससे परिवार के मुखिया की यश और कीर्ति बढ़ने की मान्यता है। साथ ही इस स्थिति से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। इससे घर में खुशियों का भी आगमन होता है जिससे परिवार के लोग आपस में मिलजुलकर रहते हैं।