Vasant Panchami/ Saraswati Puja 2020 Date, Time, Vidhi, Vrat, Katha, Aarti: इस साल बसंत पंचमी (सरस्वती पूजा) का त्योहार 29 जनवरी को मनाया जाएगा। हालांकि बिहार समेत कई और जगहों पर लोग बसंत पंचमी की पूजा 30 जनवरी को भी कर रहे हैं। बसंत पंचमी(Basant Panchmi), जिसे सरस्वती पूजा के नाम से भी जाना जाता है, माघ महीने के पांचवें दिन मनाया जाता है। यह त्योहार वसंत के मौसम की शुरुआत और देवी सरस्वती के जन्मदिन के लिए मनाया जाता है, जो ज्ञान और शिक्षा की देवी हैं। यह होली के रंगीन त्योहार के आगमन की भी घोषणा करता है। वसंत पंचमी को उत्तर और दक्षिण भारत के हिंदुओं द्वारा अलग-अलग तरीकों से मनाया जाता है। जबकि यह पंजाब में एक पतंग उत्सव है, यह बिहार में एक फसल उत्सव है। जबकि यह उत्तर में शैक्षणिक संस्थानों में सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है, यह ज्यादातर दक्षिण भारत में एक मंदिर त्योहार है। शादी और गृहप्रवेश के लिए भी वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा का दिन सर्वोत्तम माना गया है।

ज्योतिषों के अनुसार वसंत पंचमी का दिन नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है क्योंकि यह अबूझ मुहर्त के तौर पर जाना जाता है।  वसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना भी शुभ होता है। इतना ही नहीं, इस दिन पीले पकवान बनाना भी काफी अच्छा माना जाता है।

मां सरस्वती की पूजा कैसे करें: घरों के साथ-साथ स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में भी मां सरस्वती की पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें। सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं। बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें।

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19:03 (IST)27 Jan 2020
बसंत पंचमी से जुड़ी जानकारी-

बसंत पंचमी के दिन कुछ लोग कामदेव की पूजा भी करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि पुराने जमाने में राजा हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचकर कामदेव की पूजा करते थे। बसंत ऋतु में मौसम सुहाना हो जाता है और मान्‍यता है कि कामदेव पूरा माहौल रूमानी कर देते हैं। इस त्योहार के मौके पर लोग पूजा करते हैं। इसके अलावा अपने दोस्तों और रिश्तेदारों को मैसेज और कोट्स भेजकर ढेर सारी शुभकामनाएं भी देते हैं।

18:30 (IST)27 Jan 2020
आज के दिन ही प्रकट हुईं थी मां सरस्वती- बसंत पचंमी कथा:

पौराणिक कथाओं के अनुसार, सृष्टि के रचनाकार भगवान ब्रह्मा ने जब संसार को बनाया तो पेड़-पौधों और जीव जन्तुओं सबकुछ दिख रहा था, लेकिन उन्हें किसी चीज की कमी महसूस हो रही थी। इस कमी को पूरा करने के लिए उन्होंने अपने कमंडल से जल निकालकर छिड़का तो सुंदर स्त्री के रूप में एक देवी प्रकट हुईं। उनके एक हाथ में वीणा और दूसरे हाथ में पुस्तक थी। तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। यह देवी थीं मां सरस्वती। मां सरस्वती ने जब वीणा बजाया तो संस्सार की हर चीज में स्वर आ गया। इसी से उनका नाम पड़ा देवी सरस्वती। यह दिन था बसंत पंचमी का। तब से देव लोक और मृत्युलोक में मां सरस्वती की पूजा होने लगी।

18:02 (IST)27 Jan 2020
बसंत पंचमी के दिन कैसे की जाती है देवी सरस्‍वती की पूजा? 

पश्‍चिम बंगाल और बिहार में बसंत पंचमी के दिन सरस्‍वती पूजा का व‍िशेष महत्‍व है. न सिर्फ घरों में बल्‍कि श‍िक्षण संस्‍थाओं में भी इस दिन सरस्‍वती पूजा का आयोजन किया जाता है. 
- बसंत पंचमी के दिन विद्या की देवी सरस्‍वती की पूजा कर उन्‍हें फूल अर्पित किए जाते हैं. 
- इस दिन वाद्य यंत्रों और किताबों की पूजा की जाती है. 
- इस दिन छोटे बच्‍चों को पहली बार अक्षर ज्ञान कराया जाता है. उन्‍हें किताबें भी भेंट की जाती हैं. 
- इस दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. 

17:34 (IST)27 Jan 2020
वंसत पंचमी की पूजा विधि

स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें। सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं। बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें। 

17:05 (IST)27 Jan 2020
इसलिए बसंत पंचमी तिथि को लेकर है उलझन

शास्त्रों में इस दिन को सर्वसिद्ध मुहूर्त के रूप में बताया गया है यानी कि इस दिन कोई भी शुभ काम बिना किसी पंचांग को देखे किया जा सकता है। लेकिन पंचांग की गणना ने ही इस साल बसंत पचंमी की तिथि को लेकर लोगों को उलझा दिया है। कई ज्योतिषी 29 जनवरी को बसंत पंचमी और सरस्वती पूजा बता रहे हैं तो कई 30 जनवरी को। ऐसे में आपके लिए किस दिन सरस्वती पूजा और बसंत पंचमी का उत्सव मनाना उचित होगा और इस तरह की स्थिति क्यों बनी है आइए जानें।

16:45 (IST)27 Jan 2020
वसंत पंचमी: 

माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को ही वसंत पंचमी या सरस्वती पूजा होता है। इस दिन ज्ञान की देवी मां सरस्वती की विधि विधान से पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन खासतौर पर स्कूलों में सरस्वती वंदना होती है। इस दिन से ही वसंत ऋतु का आगमन माना जाता है। इस दिन कामदेव, रति और भगवान विष्णु की भी पूजा होती है। वसंत पंचमी के दिन सुबह में ही मां सरस्वती की पूजा करने का विधान है।

16:13 (IST)27 Jan 2020
बसंत पंचमी व सरस्वती पूजा

बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा भी की जाती है। मां सरस्वती ज्ञान की देवी मानी जाती है। गुरु शिष्य परंपरा के तहत माता-पिता इसी दिन अपने बच्चे को गुरुकुल में गुरु को सौंपते थे। यानि बच्चों की औपचारिक शिक्षा के लिये यह दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। विद्या व कला की देवी सरस्वती इस दिन मेहरबान होती हैं इसलिये उनकी पूजा भी की जाती है। इसलिये कलाजगत से जुड़े लोग भी इस दिन को अपने लिये बहुत खास मानते हैं। जिस तरह  सैनिकों के लिए उनके शस्त्र और विजयादशमी का पर्व, उसी तरह और उतना ही महत्व कलाकारों के लिए बसंत पंचमी का है| चाहे वह कवि, लेखक, गायक, वादक, नाटककार हों या नृत्यकार, सब इस दिन का प्रारम्भ अपने उपकरणों की पूजा और मां सरस्वती की वंदना से करते हैं|

15:45 (IST)27 Jan 2020
प्राकृतिक आधार पर भी विशेष है बसंत पंचमी

हिंदू पंचांग में 6 ऋतुएं होती हैं, इनमें बसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा माना गया है।इसके अलावा प्राकृतिक दृष्टि से बसंत पंचमी को फूलों के खिलने और नई फसल के आगमन का त्योहार भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि शरद ऋतु की कड़ाके की ठंड के बाद प्रकृति की खूबसूरती अपने चरम पर होती है। इस मौसम में खेतों में सरसों की फसल पीले फूलों के साथ, आम के पेड़ पर आए फूल, चारों तरफ हरियाली और गुलाबी ठंड मौसम को और भी खुशनुमा बना देती है।

15:24 (IST)27 Jan 2020
कामदेव की पूजा

बसंत पंचमी के दिन कुछ लोग कामदेव की पूजा भी करते हैं. पुराने जमाने में राजा हाथी पर बैठकर नगर का भ्रमण करते हुए देवालय पहुंचकर कामदेव की पूजा करते थे. बसंत ऋतु में मौसम सुहाना हो जाता है और मान्‍यता है कि कामदेव पूरा माहौल रूमानी कर देते हैं. दरअसल, पौराण‍िक मान्‍यताओं के अनुसार बसंत कामदेव के मित्र हैं, इसलिए कामदेव का धनुष फूलों का बना हुआ है. जब कामदेव कमान से तीर छोड़ते हैं तो उसकी आवाज नहीं होती है. इनके बाणों का कोई कवच नहीं है. बसंत ऋतु को प्रेम की ऋतु माना जाता है. इसमें फूलों के बाणों को खाकर दिल प्रेम से सराबोर हो जाता है. इन कारणों से बसंत पंचमी के दिन कामदेव और उनकी पत्‍नी रति की पूजा की जाती है।

15:01 (IST)27 Jan 2020
कैसे करें मां सरस्वती की पूजा

स्कूलों और शिक्षण संस्थानों में मां सरस्वती की पूजा के साथ-साथ घरों में भी यह पूजा की जाती है। अगर आप घर में मां सरस्वती की पूजा कर रहे हैं तो इन बातों का ध्यान जरूर रखें। सुबह-सुबह नहाकर मां सरस्वती को पीले फूल अर्पित करें। इसके बाद पूजा के समय मां सरस्वती की वंदना करें। पूजा स्थान पर वाद्य यंत्र और किताबें रखें और बच्चों को भी पूजा स्थल पर बैठाएं। बच्चों को तोहफे में पुस्तक दें। इस दिन पीले चावल या पीले रंग का भोजन करें। 

14:52 (IST)27 Jan 2020
जानिए क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी

हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया।

14:38 (IST)27 Jan 2020
बसंत पंचमी 2020 की तारीख और शुभ मुहूर्त

बसंत पंचमी कब है: 29 जनवरी 2020
पंचमी तिथि की शुरुआत: 29 जनवरी 2020 को सुबह 10.45 बजे से
पंचमी तिथि की समाप्ति: 30 जनवरी 2020 को दोपहर 1.19 बजे तक

13:45 (IST)27 Jan 2020
बसंत पंचमी कथा -

सृष्टि रचना के दौरान भगवान विष्णु की आज्ञा से ब्रह्मा ने जीवों, खासतौर पर मनुष्य योनि की रचना की|  ब्रह्माजी अपने सृजन से संतुष्ट नहीं थे।  उन्हें लगा कि कुछ कमी है जिसके कारण चारों ओर मौन छाया है। विष्णु से अनुमति लेकर ब्रह्मा ने अपने कमण्डल से जल का छिड़काव किया, पृथ्वी पर जलकण बिखरते ही कंपन होने लगा| इसके बाद वृक्षों के बीच से एक अद्भुत शक्ति प्रकट हुई| यह शक्ति एक चतुर्भुजी सुंदर स्त्री थी| जिसके एक हाथ में वीणा तथा दूसरे हाथ में वर मुद्रा था। अन्य दोनों हाथों में पुस्तक एवं माला थी| ब्रह्माजी ने देवी से वीणा बजाने का अनुरोध किया। जैसे ही देवी ने वीणा का मधुरनाद किया, संसार के समस्त जीव-जन्तुओं को वाणी प्राप्त हुई। जलधारा में कोलाहल व्याप्त हुआ। पवन चलने से सरसराहट होने लगी।  तब ब्रह्माजी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती कहा। सरस्वती को बागीश्वरी, भगवती, शारदा, वीणावादनी और वाग्देवी सहित अनेक नामों से पूजा जाता है।

13:33 (IST)27 Jan 2020
मां सरस्‍वती का मंत्र

मां सरस्वती की आराधना करते वक्‍त इस श्‍लोक का उच्‍चारण करना चाहिए:
ॐ श्री सरस्वती शुक्लवर्णां सस्मितां सुमनोहराम्।।
कोटिचंद्रप्रभामुष्टपुष्टश्रीयुक्तविग्रहाम्।
वह्निशुद्धां शुकाधानां वीणापुस्तकमधारिणीम्।।
रत्नसारेन्द्रनिर्माणनवभूषणभूषिताम्।
सुपूजितां सुरगणैब्रह्मविष्णुशिवादिभि:।।वन्दे भक्तया वन्दिता च 

13:09 (IST)27 Jan 2020
बसंत पंचमी कब है?

हिन्‍दू पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी का त्‍योहार हर साल माघ मास शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक बसंत पंचमी हर साल जनवरी या फरवरी महीने में पड़ती है. इस बार बसंत पंचमी 29 जनवरी 2020 को है।

12:47 (IST)27 Jan 2020
वसंत पंचमी है शुभ दिन

ज्योतिष के मुताबिक वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहर्त के तौर पर जाना जाता है और यही कारण है कि नए काम की शुरुआत के लिए सबसे अच्छा दिन माना जाता है। वसंत पंचमी के दिन पीले रंग के वस्त्र पहनकर पूजा करना भी शुभ होता है। इतना ही नहीं, इस दिन पीले पकवान बनाना भी काफी अच्छा माना जाता है। 

12:27 (IST)27 Jan 2020
वसंत पंचमी के दिन भूलकर भी ना करें ये सात गलतियां

- वसंत पंचमी के दिन बिना स्नान किए भोजन नहीं करना चाहिए।
- इस दिन रंग-बिरंगे कपड़े नहीं पहनने चाहिए। पीले वस्त्रों को ही तरजीह दें।
- वसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधे नहीं काटने चाहिए।
- वसंत पंचमी के दिन किसी को अपशब्द बोलने से बचें।
- इस दिन गाली-गलौज व झगड़े से भी बचना चाहिए।
- वसंत पंचमी के दिन मांस-मदिरा के सेवन से दूर रहें।

12:01 (IST)27 Jan 2020
सरस्वती पूजा मंत्र -

या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना॥
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा माम् पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥1॥

शुक्लाम् ब्रह्मविचार सार परमाम् आद्यां जगद्व्यापिनीम्।
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌॥
हस्ते स्फटिकमालिकाम् विदधतीम् पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे ताम् परमेश्वरीम् भगवतीम् बुद्धिप्रदाम् शारदाम्‌॥2॥

12:00 (IST)27 Jan 2020
सरस्वती पूजा मंत्र-

सरस्वती नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणी, विद्यारम्भं करिष्यामि सिद्धिर्भवतु में सदा।

12:00 (IST)27 Jan 2020
बसंत पचंमी तिथि -

बसंत पचंमी प्रारंभ - 10:45 AM on Jan 29, 2020
बसंत पचंमी समाप्त - 01:19 PM on Jan 30, 2020

12:00 (IST)27 Jan 2020
जानिए क्यों मनाई जाती है वसंत पंचमी

हिंदु पौराणिक कथाओं में प्रचलित एक कथा के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने संसार की रचना की। उन्होंने पेड़-पौधे, जीव-जन्तु और मनुष्य बनाए, लेकिन उन्हें लगा कि उनकी रचना में कुछ कमी रह गई। इसीलिए ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल से जल छिड़का, जिससे चार हाथों वाली एक सुंदर स्त्री प्रकट हुई। उस स्त्री के एक हाथ में वीणा, दूसरे में पुस्तक, तीसरे में माला और चौथा हाथ वर मुद्रा में था। ब्रह्मा जी ने इस सुंदर देवी से वीणा बजाने को कहा। जैसे वीणा बजी ब्रह्मा जी की बनाई हर चीज़ में स्वर आ गया। तभी ब्रह्मा जी ने उस देवी को वाणी की देवी सरस्वती नाम दिया। वह दिन वसंत पंचमी का था। इसी वजह से हर साल वसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती का जन्मदिन मनाया जाने लगा और उनकी पूजा की जाने लगी।

11:59 (IST)27 Jan 2020
वसंत पंचमी 2020 पूजा मुहूर्त

29 जनवरी 2020 बुधवार को सुबह 10:47:38 से दोपहर 12:34:23 बजे तक
मुहूर्त की समयाधि :1 घंटे 46 मिनट