भारत में अनेकों मंदिर स्थापित हैं और हर मंदिर की अपनी विशेषता है। भारत के उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है तो काशी को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। काशी मां गंगा के लिए जितना प्रख्यात है उतना ही विश्वनाथ मंदिर के लिए भी प्रख्यात है। भगवान शिव की इस नगरी में बाबा विश्वनाथ के साथ गुरुदेव बृहस्पति का मंदिर भी स्थापित है। ये मंदिर कई सदियों पहले बनाया गया था। इस स्थान को काशी शिवशंकर का निवास माना जाता है और कहा जाता है कि इसी स्थान पर बृहस्पति गुरु के मंदिर को स्थापित किया गया था। काशी के प्रख्यात मंदिरों में इस मंदिर का नाम भी जोड़ा जाता है।

काशी के लिए माना जाता है कि भगवान शिव ने जब ये नगरी स्थापित की तो सभी देव मोक्ष नगरी में निवास करने के लिए उत्साहित थे। माना जाता है खुद भगवान शिव ने गुरु बृहस्पति को यहां स्थान दिया था। गुरुदेव बृहस्पति के इस मंदिर का स्थान काशी के सभी मंदिरों में सबसे ऊंचा स्थान माना जाता है। बृहस्पति देव सभी नौ ग्रहों में से प्रमुख माने जाते हैं। धन, और बुद्धि के देवता को पीली वस्तुएं पसंद हैं। इस मंदिर में लोग अपनी प्रार्थना पूरी होने पर हल्दी-चंदन भी लगाते हैं। इसी के साथ जिन लोगों पर गुरु बृहस्पति की क्रूर दृष्टि होती है वो इस मंदिर में ग्रह पूजा करवाते हैं।

[jwplayer PBp2LEd4]

गुरु बृहस्पति के इस मंदिर में गुरुवार के दिन पूजा का विशेष महत्व माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार माना जाता है कि जिन लोगों पर बृहस्पति पर प्रसन्न होते हैं तो उनके जीवन में वैवाहिक सुख, धनलाभ और संतान सुख मिलता है। माना जाता है कि बृहस्पति गुरु इस मंदिर में साक्षात विराजमान हैं। जो लोग ग्रह दोष से पीड़ित होते हैं वो गुरुवार के दिन इस मंदिर में आकर विशेष विधि के साथ पूजा करते हैं।