Varalaxmi Vratham 2023: हिंदू पंचांग के अनुसार, श्रावण मास के आखिरी शुक्रवार के दिन वरलक्ष्मी व्रत रखा जाता है। आज मां लक्ष्मी की पूजा करने का विधान है। आज काफी शुभ योगों में मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। माना जाता है कि इस दिन महालक्ष्मी की पूजा करने से वह अति प्रसन्न होती है। बता दें कि वरलक्ष्मी व्रत आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, उत्तरी तमिलनाडु और तेलंगाना राज्यों में पूरे उत्साह के साथ रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है और घर धन-धान्य से भरा रहता है। आइए जानते हैं वरलक्ष्मी व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और मंत्र।
वरलक्ष्मी व्रत 2023 पूजा मुहूर्त (Varamahalakshmi Vratham 2023 Puja Muhurat)
सिंह लग्न पूजा मुहूर्त- 25 अगस्त, 2023 प्रातः 6 बजकर 10 मिनट से प्रातः 7 बजकर 50 मिनट तक
वृश्चिक लग्न पूजा मुहूर्त – 25 अगस्त को दोपहर 12 बजकर 15 मिनट से 2 बजकर 31 मिनट तक
कुंभ लग्न पूजा मुहूर्त – 25 अगस्त, शाम 6 बजकर 23 मिनट से शाम 7 बजकर 56 मिनट तक
वृषभ लग्न पूजा मुहूर्त – 25 अगस्त, रात्रि 11 बजकर 06 मिनट से 26 अगस्त को सुबह 1 बजकर 04 मिनट तक
सर्वार्थसिद्धि योग – सूर्योदय से लेकर सुबह 9 बजकर 14 मिनट तक
वरलक्ष्मी व्रत चौघड़िया मुहूर्त 2023 (Varalaxmi Vratham Choghadiya Muhurat)
दिन का चौघड़िया | रात का चौघड़िया |
चर – सामान्य – 06:22 ए एम से 07:57 ए एम | लाभ – उन्नति – 09:50 पी एम से 11:15 पी एम |
लाभ – उन्नति – 07:57 ए एम से 09:31 ए एम | शुभ – उत्तम – 12:41 ए एम से 26 अगस्त को 02:06 ए एम |
अमृत – सर्वोत्तम – 09:31 ए एम से 11:06 ए एम | अमृत – सर्वोत्तम – 02:06 ए एम से 26 अगस्त को 03:31 ए एम |
शुभ – उत्तम – 12:41 पी एम से 02:15 पी एम | चर – सामान्य – 03:31 ए एम से 26 अगस्त को 04:57 ए एम |
चर – सामान्य – 05:25 पी एम से 06:59 पी एम |
वरलक्ष्मी व्रत 2023 पूजा विधि
वरलक्ष्मी व्रत के दिन सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें और साफ-सुथरे वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद एक लकड़ी की चौकी या पाटा में लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। इसके बाद इसमें भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। अब व्रत का संकल्प लें। चौकी के दाएं ओर थोड़े से चावल का ढेर बनाएं और उसके ऊपर एक कलश की स्थापना करें। कलश के चारों ओर चंदन लगाने के साथ कलावा बांध दें। इसके बाद दीपक जलाएं।
अब माता लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा आरंभ करें। सबसे पहले जल अर्पित करें। फिर सिंदूर, हल्दी, कुमकुम लगाने के बाद फूल, माला , दूर्वा आदि चढ़ा दें। इसके साथ ही नैवेद्य अर्पित करते हुए षोडशोपचार पूजन कर लें।
मां लक्ष्मी को सोलह श्रृंगार अर्पित करें। इसके साथ ही दोनों को भोग लगाएं। भोग लगाने के बाद जल अर्पित करें और दीपक और धूप जला लें। इसके बाद गणेश चालीसा, लक्ष्मी चालीसा, गणेश-लक्ष्मी मंत्र का जाप करने के साथ वरलक्ष्मी कथा का पाठ कर लें। अंत में विधिवत आरती करके भूल चूक के लिए माफी मांग लें।
मां लक्ष्मी के मंत्र (Maa Laxmi Mantra)
ऊँ श्रीं क्लीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।
ऊँ ह्रीं श्री क्रीं क्लीं श्री लक्ष्मी मम गृहे धन पूरये, धन पूरये, चिंताएं दूरये-दूरये स्वाहा:। ।
श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै स्वाहा।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम: