Kalashtami Puja Vidhi In Hindi: हर महीने कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी व्रत मनाया जाता है। इस दिन भगवान शंकर के अवतार काल भैरव की विधिवत पूजा की जाती है। मान्यता है कलाष्टमी के दिन ही भैरव के रूप में भगवान शिव प्रकट हुए थे। प्रमुख कालाष्टमी का व्रत ‘कालभैरव जयंती’ के दिन किया जाता है, लेकिन कालभैरव के भक्त हर महीने ही कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर भैरव जी की पूजा-अराधना करते हैं और व्रत रखते हैं।
मान्यता है कि इस दिन पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा अर्चना करने से भैरव के भक्त से भूत, पिशाच दूर रहते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति की सभी बीमारी दूर होती है और सारे रुके हुए कार्य बनते जाते हैं। आइए जानते हैं कालाष्टमी व्रत पूजा विधि, मंत्र, व्रत का फल, महत्व-
कालाष्टमी व्रत 2022 मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 23 अप्रैल को सुबह 06:27 बजे प्रारंभ हो रही है। इस तिथि का समापन अगले दिन सुबह 04:29 बजे होगा। उदयातिथि को आधार मानकर कालाष्टमी व्रत 23 अप्रैल दिन शनिवार को रखा जाएगा। इस दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग में पूजा करना अत्यंत फलदायी होगा।
कालाष्टमी व्रत पूजा विधि
नारद पुराण के अनुसार, कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा की जाती है। साथ ही मां दुर्गा की भी पूजा की जाती है। साथ ही भक्तों को इस दिन भैरव चालीसा का पाठ और आरती अवश्य करनी चाहिए। इसके अलावा दुर्गा चालीसा, शिव चालीसा का पाठ करने से भी लाभ मिलता है।
कालाष्टमी के दिन किसी काल भैरव मंदिर में जाकर पूजा अर्चना करनी चाहिए। पूजा से पूर्व नीचे दिए गए मंत्रों का जाप करना चाहिए। इसके बाद बाबा भैरवनाथ को फूल, अक्षत्, माला, पान, धूप, दीप आदि अर्पित करें। उनको इमरती, नारियल, दही वड़ा आदि का भोग लगाएं। उसके बाद बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ करें। इस कवच के पाठ से शत्रुओं पर विजय, स्वयं की सुरक्षा, धन प्राप्ति, ग्रह दोष से मुक्ति आदि लाभ होता है। कवच पाठ के बाद काल भैरव की आरती करें।
कालाष्टमी व्रत- मंत्र
ऊँ अतिक्रूर महाकाय कल्पान्त दहनोपम्।
भैरव नमस्तुभ्यं अनुज्ञा दातुमर्हसि।।
माता महाकाली मंत्र – श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरोचनीयै हूं हूं फट स्वाहा:
कालाष्टमी व्रत में क्या खाएं
इस दिन जो व्यक्ति व्रत करता है उसे फलाहार करना चाहिए। कालाष्टमी के दिन नमक नहीं खाएं, अगर आपको कमजोरी होती हो तो सेंधा नमक खाने में इस्तेमाल कर सकते हैं। कालाष्टमी के दिन व्रत रहकर फलाहार करें। बता दें कि कालाष्टमी के दिन कुत्ते को भोजन कराना चाहिए, कालाष्टमी की रात को उड़द के आटे की मीठी रोटी बनाएं उस रोटी पर तेल लगाएं और किसी कुत्ते को खिला दें।
कालाष्टमी व्रत फल
इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि-विधान से काल भैरव की पूजा करने से व्यक्ति के सारे कष्ट मिट जाते हैं। मान्यता है कि हनुमान जी के बाद बाबा भैरवनाथ को कलयुग का जागृत देव है, जो जल्द प्रसन्न हो सकते हैं। काल भैरव की पूजा करने से भूत, पिशाच दूर रहते हैं। काल उससे दूर हो जाता है।
कालाष्टमी व्रत का महत्व
तंत्र साधना में भैरव के आठ स्वरूपों असितांग भैरव, रुद्र भैरव, चंद्र भैरव, क्रोध भैरव, उन्मत्त भैरव, कपाली भैरव, भीषण भैरव संहार भैरव की उपासना की जाती है। कालभैरव का व्रत रखने से उपासक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। भैरव साधना करने वाले व्यक्ति को समस्त दुखों से छुटकारा मिल जाता है।