Utpanna Ekadashi 2020 Date: ़एकादशी व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता हैं। हिंदू पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन उत्पन्ना एकादशी व्रत किया जाता है। ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार साल 2020 में उत्पन्ना एकादशी व्रत 11 दिसंबर, शुक्रवार को रखा जाएगा। ऐसी मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी व्रत रखने से शुभ फलों की प्राप्ति होती हैं। साथ ही यह भी बताया जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त होती है। इसलिए भगवान विष्णु के भक्त यानी वैष्णव उत्पन्ना एकादशी का व्रत जरूर करते हैं।

उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि (Utpanna Ekadashi Puja Vidhi)
उत्पन्ना एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठें।
स्नान कर साफ कपड़े पहनें।
इसके बाद एक चौकी लें। उस पर पीले रंग का कपड़ा बिछाएं।
फिर गंगाजल की छींटों से स्थान पवित्र करें और भगवान विष्णु की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।

अब धूप, दीप और अगरबत्ती जलाकर भगवान विष्णु का ध्यान लगाएं।
फिर विष्णु चालीसा, विष्णु स्तुति और विष्णु स्तोत्र का पाठ करें।
संभव हो तो विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी करें।
अब विष्णु जी की आरती कर पूजा संपन्न करें।
इसके बाद उन्हें मौसमी फलों या मिठाई का भोग लगाएं।

उत्पन्ना एकादशी शुभ मुहूर्त (Utpanna Ekadashi Shubh Muhurat)
सुबह की पूजा का मुहूर्त –
11 दिसंबर, शुक्रवार – सुबह 5 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक।
संधया पूजा का मुहूर्त – 11 दिसंबर, शुक्रवार – 05:43 पी एम से 07:03 पी एम तक।
पारण समय – 12 दिसंबर, शनिवार – सुबह 06 बजकर 58 मिनट से सुबह 07 बजकर 02 मिनट तक।

उत्पन्ना एकादशी मंत्र (Utpanna Ekadashi Mantra)
सत्यस्थ: सत्यसंकल्प: सत्यवित् सत्यदस्तथा।
धर्मो धर्मी च कर्मी च सर्वकर्मविवर्जित:।।
कर्मकर्ता च कर्मैव क्रिया कार्यं तथैव च।
श्रीपतिर्नृपति: श्रीमान् सर्वस्यपतिरूर्जित:।।
भक्तस्तुतो भक्तपर: कीर्तिद: कीर्तिवर्धन:।
कीर्तिर्दीप्ति: क्षमाकान्तिर्भक्तश्चैव दया परा।।

भगवान विष्णु का स्मरण कर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश मंत्र का जाप करें।

भगवान विष्णु के पंचरूप मंत्र –
ॐ अं वासुदेवाय नम:
ॐ आं संकर्षणाय नम:
ॐ अं प्रद्युम्नाय नम:
ॐ अ: अनिरुद्धाय नम:
ॐ नारायणाय नम:

ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्टं च लभ्यते।।

ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।

श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।