Deo Surya Mandir: भारत में भगवान के सूर्य कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिसमें ओडिशा का कोणार्क मंदिर, गुजरात का मोढ़ेरा और कश्मीर के अनंतनाग स्थित मार्तंड मंदिर प्रमुख हैं। इस मंदिरों में भगवान सूर्य के दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। सूर्य देव प्रत्यक्ष देव हैं। सूर्य देव को जल देने से जीवन की कभी कष्टों से छुटकारा मिलता है। साथ ही अगर कुंडली में सूर्य देव नकारात्मक स्थित है और अगर उनके मंदिर जाकर दर्शन कर लिए जाएं, तो नकारात्मक फलों में कमी आती है। आज हम बात करने जा रहे हैं देश के ऐसे मंदिर के बारे में जिसका मुख्य दरवाजा सूर्य के उगने की दिशा पूरब में न होकर पश्चिम में है। यह मंदिर बिहार के औरंगाबाद जिले में है। आइए जानते हैं इस मंदिर का इतिहास और पौराणिक महत्व…
यह है मान्यता:
आपको बता दें कि मंदिर को लेकर कई कहानियां और मान्यताएं हैं। बताया जाता है कि भगवान विश्वकर्मा ने रातभर में ही इस मंदिर का निर्माण कराया था। एक कहानी यह भी है कि मुगल शासक औरंगजेब यहां आया था और मंदिर को तोड़ने की बात कही थी। आसपास के लोगों और पुजारियों की गुहार पर औरंगजेब ने कहा कि अगर इस मंदिर का मुख्य गेट एक रात में पूर्व से पश्चिम हो जाए तो वह इसे नहीं तोड़ेगा। पुजारियों ने रात में सूर्य देव की खूब पूजा-अर्चना की। जब सुबह आकर देखा तो इस मंदिर का मुख्य गेट पूर्व से पश्चिम हो गया था।
सूर्य देव की हैं 3 प्रतिमा:
इस मंदिर में सूर्य देव की तीन प्रतिमा हैं। इसमें उनके तीनों रूपों उदयाचल- यानी प्रात:काल के उदित हो रहे सूर्य, मध्याचल- दिन के समय के मध्य सूर्य और अस्ताचल- यानी अस्त हो रहे सूर्य का रूप विद्यमान है। यह पूरे विश्व में एक ऐसा सूर्य मंदिर है, जिसका जिसका मुख्य द्वार पूर्व की ओर न होकर पश्चिम की ओर है। मान्यता है जो भी श्रद्धालु इस मंदिर में सूर्य देव की पूजा- अर्चना करते हैं, उनको सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है।
