आज यानी 4 अक्टूबर, दिन गुरुवार को गुरु पुष्य योग बन रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इस योग को बहुत ही विशिष्ट और शुभ फलदायक बताया गया है। ऐसी मान्यता है कि गुरु पुष्य योग में शुरू होने वाले नए कार्यों में सफलता जरूर मिलती है। इसलिए ज्योतिष के जानकारों को सदैव ही इस फलदायी योग का इंतजार रहता है। ज्योतिष शास्त्र में पुष्य नक्षत्र का उल्लेख किया गया है। यदि गुरुवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है तो इस संयोग को गुरु पुष्य संयोग कहा जाता है। गुरु पुष्य योग को लेकर कई धार्मिक मान्यताएं प्रचलित हैं। इन मान्यताओं में उन घटनाक्रमों का जिक्र किया गया है जब गुरु पुष्य योग में ढेरों शुभ कार्य सम्पन्न हुए।
ऐसी मान्यता है कि भगवान राम का जन्म पुष्य नक्षत्र योग में ही हुआ था। इस प्रकार से गुरु पुष्य योग की महत्ता और भी बढ़ जाती है। धन की देवी माता लक्ष्मी का संबंध भी गरु पुष्य योग से बताया जाता है। शास्त्रों में ऐसा उल्लेख किया गया है कि माता लक्ष्मी का जन्म भी इसी योग में हुआ था। इन दो मान्यताओं से गुरु पुष्य योग की महत्ता को समझा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि पुष्य नक्षत्र रविवार के दिन पड़े तो इसे रवि पुष्य योग कहा जाता है। रवि पुष्य योग को भी अत्यन्त लाभकारी माना गया है।
गरु पुष्य योग को नए मकान की नींव रखने के लिए शुभ माना गया है। कहते हैं कि इस योग में मकान की नींव रखने से घर में सुख-शांति और बरकत आती है। इसके साथ ही गुरु पुष्य योग को नए कार्यों का उद्घाटन करने के लिए भी अच्छा माना जाता है। कहते हैं कि इस शुभ मुहूर्त में स्वर्ण आभूषणों की खरीददारी करने से लाभ मिलता है। पुष्य योग के बारे में कहा जाता है कि यह अशुभ को शुभ में बदल देता है। मालूम हो कि ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्रों में से पुष्य नक्षत्र को सबसे अधिक शुभ माना गया है।