कार्तिक माह हिंदू पंचाग का आठवां महीना है। यह मास शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। इस साल कार्तिक मास शुभारंभ 10 अक्तूबर से हुआ है जो 8 नवंबर तब चलेगा। कार्तिक माह में ब्रह्म मुहूर्त में गंगा और अन्य नदियों में स्नान का विशेष महत्त्व है और इस महीने भूमि में शयन करना वर्जित है और भजन कीर्तन का विशेष महत्त्व है।

योग निद्रा से जागते हैं भगवान विष्णु

श्रावण मास में भगवान चातुर्मास शुरू होने पर भगवान चार महीने के लिए निद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक मास की देवोत्थान एकादशी को भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं। इस दिन चराचर जगत का कार्यभार संभालते हैं और इसलिए देवोत्थान एकादशी को सबसे बड़ी एकादशी कहा जाता है। इस एकादशी को प्रबोधिनी एकादशी अथवा देव उठनी एकादशी भी कहा जाता हैं।

इसका सर्वाधिक महत्त्व होता है और इस दिन से मंगल कार्य शुरू हो जाते हैं। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कहा है कि मासों में सबसे सर्वश्रेष्ठ मास कार्तिक मास है। इस तरह भगवान विष्णु को यह महीना अत्यंत प्रिय है। इस महीने जप-तप-पूजा-पाठ और उपवास का महत्त्व है, जिससे जीवन में वैभव और मोक्ष की प्राप्ति होती हैं। इसलिए कार्तिक मास चातुर्मास अंतिम महीना माना जाता है।

दीपदान

कार्तिक माह में दीपदान का अत्यधिक महत्त्व है। इस दिन पवित्र नदियों में, मंदिरों में दीपदान किया जाता हैं। साथ ही आकाश में भी दीप छोड़े जाते हैं। यह कार्य शरद पूर्णिमा से शुरू होकर कार्तिक पूर्णिमा तक चलता है। उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल में एक महीने तक दीपावली का त्योहार मनाया जाता है।

कार्तिक के पूरे महीने में कुमाऊं के लोग कागज की कंदील बनाकर उसमें दीपक जलाकर उसे आसमान की तरफ टांगते हैं। कहते हैं कि आकाश की तरफ दिया जलाने से लक्ष्मी का घर में प्रवेश होता है और वह अंधकार को मिटाकर प्रकाश प्रदान करती हैं। मान्यता है कि कार्तिक में घर के मंदिर, वृंदावन, नदी के तट और शयन कक्ष में दीपक जलाने का विशेष महत्त्व है।

गीता पाठ और अन्न दान का महत्त्व

हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार कार्तिक मास में प्रतिदिन गीता पाठ का विशेष महत्त्व है। जो मनुष्य इस मास में प्रतिदिन गीता पाठ करता है, उसे अनंत पुण्यों की प्राप्ति होती है। गीता के एक अध्याय का पाठ करने से मनुष्य घोर नरक से मुक्त हो जाते है। स्कंद पुराण के अनुसार कार्तिक मास में अन्न दान करने से पापों का सर्वथा विनाश होता है।

त्योहारों का महापर्व

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह त्योहारों का महापर्व है। इस महीने में सनातनी धर्मावलंबियों के सबसे ज्यादा त्योहार मनाए जाते हैं। जहां पृथ्वी पर दीपावली मनाई जाती है, वहीं देवता कार्तिक पूर्णिमा के दिन पूरे ब्रह्मांड में देव दिवाली मनाते हैं। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष में करवा चौथ कृष्ण पक्ष चतुर्थी, अहोई अष्टमी एवं कालाष्टमी कृष्ण पक्ष अष्टमी,रामा एकादशी,धन तेरस, नरक चौदस, दिवाली, कमला जयंती के त्योहार मनाए जाते हैं जबकि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में गोवर्धन पूजा अन्नकूट, भाई दूज- यम द्वितीया, छठ पूजा, गोपाष्टमी, अक्षय नवमी-आंवला नवमी, देव उठनी एकादशी -प्रबोधिनी-देवोत्थानएकादशी, तुलसी विवाह पर्व मनाए जाते हैं।

दान का महत्त्व

कार्तिक माह में जरूरतमंदों को दान करने का विशेष महत्व होता हैं। इस माह में गरीबों एवं ब्रह्मणों को दान दिया जाता हैं। इन दिनों में तुलसी दान, अन्न दान, गाय दान तथा आंवले के पौधे के दान का महत्त्व सर्वाधिक बताया जाता हैं। कार्तिक में पशुओं को भी हरा चारा खिलाने का महत्त्व होता है।

कथा का महत्व

कार्तिक के महीने में ही भगवान विष्णु ने देवताओ को जालंधर राक्षस से मुक्ति दिलाई थी। साथ ही मत्स्य का रूप धारण कर चारों वेदों की रक्षा की थी। इसलिए कार्तिक महीने में भगवान विष्णु की कथा सुनने का विशेष महत्त्व माना गया है जिससे मनुष्य को जन्म जन्मांतर के चक्र से मुक्ति मिलती है और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।

गंगा और अन्य नदियों में स्रान करने का महत्त्व

कार्तिक मास में गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्रान करने का विशेष महत्त्व है। पूरे महीने तक श्रद्धालु कार्तिक मास में गंगा और अन्य नदियों में स्रान करते हैं। उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। ब्रह्म मुहूर्त में कार्तिक मास में गंगा स्रान का अत्यधिक महत्व है। कार्तिक मास देवोत्थान एकादशी के दिन से तारों की छांव में पंच स्रान यानी पांच दिनों पूर्णमासी तक गंगा में स्रान करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और यह स्रान आध्यात्मिक ऊर्जा का मनुष्य में संचार करता है।