Dhanteras 2018 Puja Vidhi, Muhurat, Time, Mantra: भारतीय कैलेंडर में कार्तिक मास को काफी पवित्र और शुभ माना जाता है। बताया जाता है कि इस महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि से धन की देवी का उत्सव शुरू हो जाता है, इसलिए इस दिन को धनतेरस के तौर पर जाना जाता है। दीपावली से पहले हिंदू धर्म में धनतेरस पर्व का विशेष महत्व है। धनतेरस दिवाली से दो दिन पहले मनाया जाता है। धनतेरस पूजा के िलिए बकायदा शुभ मुहूर्त होते हैं जो स्थान के साथ अलग-अलग होता है। इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन धनवंतरी जी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही धनतेरस पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का भी विधान है। ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस पर इन देवी-देवताओं की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। धनतेरस की पूजा में शुभ मुहुर्त का ध्यान रखना अनिवार्य बताया गया है। चलिए जानते हैं कि आपके शहर में धनतेरस की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या है।
शुभ मुहूर्त: धनतेरस पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त 5 नवंबर, दिन सोमवार को शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक का है। अलग-अलग शहरों के हिसाब से इस शुभ मुहूर्त में थोड़ा सा अतंर आ रहा है। आप इसका ध्यान रखकर अपने शहर के हिसाब से धनतेरस की पूजा कर सकते हैं।
मुंबई- शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक
दिल्ली- शाम 6.07 बजे से 8.06 बजे तक
लखनऊ- शाम 6.01 बजे से 7.57 बजे तक
चेन्नई- शाम 6.00 बजे से 8.00 बजे तक
कोलकाता- शाम 6.09 बजे से 8.10 बजे तक
पटना- शाम 6.02 बजे से 8.05 बजे तक
भोपाल- शाम 6.58 बजे से 8.00 बजे तक
गुरुग्राम- शाम 6.06 बजे से 8.04 बजे तक
रांची- शाम 6.04 बजे से 8.03 बजे तक
बेंगलुरु- शाम 6.02 बजे से 8.06 बजे तक
चंडीगढ़- शाम 6.05 बजे से 8.02 बजे तक
देहरादून- शाम 6.06 बजे से 8.00 बजे तक।
Dhanteras 2018: Laxmi Puja Vidhi, Muhurat, Time, Samagri, Mantra, Aarti
पूजा विधि: एक लकड़ी का पट्टा लें और उस पर स्वास्तिक का निशान बनाएं। इस पर एक तेल का दिया जलाकर रख दें। दिए को किसी चीज से ढक देना चाहिए। दिए के आसपास तीन बार गंगाजल छिड़कें। इसके बाद दीपक पर रोली का तिलक लगाएं और चावल का भी तिलक लगाएं। अब दीपक में थोड़ी सी मिठाई डालकर मीठे का भोग लगाएं। फिर दीपक में 1 रुपया रखें। रुपया चढ़ाकर देवी लक्ष्मी और गणेश जी को अर्पण करें। दीपक को प्रणाम करें और आशीर्वाद लें। परिवार के लोगों से भी आशीर्वाद लेने को कहें। अब दिए को अपने घर के मुख्य द्वार पर रख दें, ध्यान रखें कि दिया दक्षिण दिशा की ओर रखा हो।
इस पूजा के बाद धनवंतरी पूजन करना भी जरूरी है। इसके लिए अपने घर के पूजा गृह में जाकर “ऊं धं धन्वन्तरये नमः” मंत्र का 108 बार उच्चारण करें। ऐसा करने बाद स्वास्थ्य के भगवान धनवंतरी से अच्छी सेहत की कामना करें। इसके बाद लक्ष्मी-गणेश की पूजा करना जरूरी माना गया है। इसके लिए सबसे पहले गणेश जी को दिया अर्पित करें और धूपबत्ती चढ़ाएं। गणेश जी के चरणों में फूल अर्पण करें और मिठाई चढ़ाएं। इसके बाद इसी तरह लक्ष्मी पूजन करें। इस तरह आप घर पर ही धनतेरस की पूजा कर सकते हैं।
भारतीय कैलेंडर के अनुसार, कार्तिक मास को काफी पवित्र और देवी-देवताओं के अनुकूल माना जाता है। कहा जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी के दिन धन की देवी का उत्सव प्रारंभ हो जाता है। इस वजह से इस दिन को धनतेरस के नाम से जाना जाता है।
धनतेरस धन्वंतरि जयंति के अलावा यम पूजा का भी पर्व है। यमदीप प्रज्ज्वलित करने से रोग और शोक से मुक्ति मिलती है। दीपोत्सव में हर रोज पांच-पांच दीए जलाने चाहिए। इसके अलावा इस दिन खरीदारी को भी शुभ माना जाता है। यही वजह है कि धनतरेस के दिन देशभर के लोग कुछ न कुछ जरूर खरीदते हैं।
धनतेरस की शाम घर के बाहर मुख्य द्वार और आंगन में दीप जलाने की प्रथा भी है। इस दिन सोना और चांदी जैसी धातुओं को खरीदना अच्छा माना जाता है। इस मौके पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। भगवान धनवंतरी को देवताओं के चिकित्सक और चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा जाता है। चिकित्सकों के लिए धनतेरस का दिन बहुत ही महत्व पूर्ण होता है।
धनतेरस दो शब्दों से मिलकर बना है, धन और तेरस। इसमें तेरस संस्कृत भाषा के त्रयोदस का हिंदी वर्जन है। कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तारीख के दिन इस त्योहार को मनाया जाता है। इसलिए इसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है।
आभूषण की शुद्धता के साथ गहनों पर हॉलमार्किंग सेंटर भी छपा होता है। इसमें जूलरी का निर्माण और साल का लोगो भी बना होता है। जूलरी में खासतौर पर एक अंक लिखा होता है जिससे आभूषण की असली पहचान की जा सकती है।
आभूषण की सबसे बड़ी पहचान ही यही है कि इसका सोना 24 कैरेट का होता है। मगर 24 कैरेट सोने के आभूषण नहीं बनते। इसकी वजह यह है कि सोना बहुत मुलायम होता है। इसलिए आभूषण बनाने के लिए 22 कैरेट के सोना का इस्तेमाल किया जाता है। यानी कि आभूषण में करीब 90 फीसदी सोने का इस्तेमाल होता है।
देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि...।।
इस दिन भगवान धनवंतरी का जन्म हुआ था। ऐसे में इस दिन धनवंतरी जी की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही धनतेरस पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करने का भी विधान है। ऐसा कहा जाता है कि धनतेरस पर इन देवी-देवताओं की पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है।
मंत्र: देवान कृशान सुरसंघनि पीडितांगान, दृष्ट्वा दयालुर मृतं विपरीतु कामः पायोधि मंथन विधौ प्रकटौ भवधो, धन्वन्तरि: स भगवानवतात सदा नः ॐ धन्वन्तरि देवाय नमः ध्यानार्थे अक्षत पुष्पाणि समर्पयामि…।।
सोना-चांदी और अन्य धातु वृष लग्न में खरीदना चाहिए। कार या बाइक शुभ चौघड़िया, कुंभ लग्न, चर-चौघड़िया या वृषभ-लग्न में क्रय किया जा सकता है। मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, शुभ-चौघड़िया, उद्वेग-चौघड़िया और कुंभ लग्न में घर लाना शुभ है।
शुभ मुहूर्त: धनतेरस पर पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 6.05 बजे से 8.01 बजे तक का है। शुभ मुहूर्त की अवधि 1 घंटा 55 मिनट की होगी। इसके अलावा इस दिन अन्य शुभ मुहूर्त इस प्रकार से हैं। प्रदोष काल: शाम 5.29 से रात 8.07 बजे तक वृषभ काल: शाम 6:05 बजे से रात 8:01 बजे तक त्रयोदशी तिथि आरंभ: 5 नवंबर को सुबह 01:24 बजे त्रयोदशी तिथि खत्म: 5 नवंबर को रात्रि 11.46 बजे।
व्रत कथा: एक बार लक्ष्मी जी ने विष्णु जी को उनके साथ पृथ्वी लोक चलने को कहा। इस पर विष्णु जी ने कहा कि पृथ्वी लोक पर जाकर वे(लक्ष्मी जी) वहां की मोह माया से प्रभावित नहीं होंगी। और न ही दक्षिण दिशा में देखेंगी। इस शर्त पर वे उनके साथ पृथ्वी पर चलेंगे। लक्ष्मी जी ने विष्णु जी की ये शर्त मान ली। लेकिन धरती पर पहुंचकर लक्ष्मी जी ने उत्सुकतावश दक्षिण दिशा में देख लिया। साथ ही वह शर्त तोड़ते हुए दक्षिण दिशा में चल पड़ीं। दक्षिण दिशा में लक्ष्मी जी सरसों और गन्ने के खेत देखकर मोहित हो गईं। इसके बाद उन्होंने खुद को सरसों के फूलों से सजाया और गन्ने के रस का पान किया।
धनतेरस कार्तिक माह की त्रयोदशी के दिन पड़ता है। इस साल यह सोमवार(5 नवंबर) को पड़ रहा है। धनतेरस पर लोग सोने से बनी चीजें खरीदना पसंद करते हैं। इस दिन सोने की चीजें खरीदना शुभ माना गया है।
धनतेरस पर लोग धन की वर्षा के लिए नए बर्तन और आभूषण खरीदते हैं। ऐसी मान्यता है कि धातु नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करती है। माना जाता है कि धातु से आने वाली तरंगे भी थेराप्यूटिक प्रभाव पैदा करती हैं। इन्हें स्वास्थ्य के लिहाज से अच्छा माना गया है।
धनतेरस पर सिर्फ सोने और चांदी की ही नहीं बल्कि कई अन्य सामानों की भी खरीददारी की जाती है। कई लोग इस मौके पर बाइक या कार लेना पसंद करते हैं। कुछ लोग इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे टीवी, वॉशिंग मशीन आदि लेना पसंद करते हैं।
इस दिन लोग मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करते हैं। साथ ही सोने-चांदी से बनी चीजें खरीदते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन सोने और चांदी की चीजें खरीदने से घर में लक्ष्मी हमेशा निवास करती हैं और घर में सुख-समृद्धि व धन की कमी नहीं होती।