किसी भी चीज को सोचने के दो पहलू होते हैं एक नकारात्मक और एक सकारात्मक। लेकिन अकसर यह देखने को मिलता है कि इंसान किसी भी विषय को लेकर सबसे पहले नकारात्मक सोचता है। ब्रह्मकुमारीज सिस्टर शिवानी के मुताबिक अकसर लोग किसी भी चीज को लेकर सबसे पहले नकारात्मक सोचने लगते हैं। और तो और जब वह अपनी बातों को किसी दूसरे व्यक्ति से शेयर कर लेते हैं तो इससे नकारात्मकता और ज्यादा बढ़ जाती है। ऐसा करने से उसके साथ वह दूसरा व्यक्ति भी नकारात्मक सोचने लगता है। ब्रह्मकुमारी शिवानी जी का कहना है कि किसी भी इंसान को अपनी परेशानी बताने से हमारे साथ-साथ हमसे जुड़े सभी लोग नकारात्मक सोचने लगते हैं। इससे हम उस समस्या का हल ढूंढने की बजाय अपनी परेशानियों को बढ़ा देते हैं। अगर किसी दो व्यक्तियों के बीच के संबंध खराब हो गये हैं तो वह बड़ी ही आसानी से सही हो सकते हैं। लेकिन जरूरी है कि आप किसी तीसरे व्यक्ति से इस बारे में सलाह ना लें। इसलिए हमेशा हल निकालने की बात करनी चाहिए।

आगे ब्रह्मकुमारी शिवानी जी कहती हैं कि “लोग अकसर किसी की नजर लग जाने को लेकर परेशान होते हैं। वह कई तरह की नकारात्मक चीजें सोचने लगते हैं। किसी की नजर तभी लग सकती है जब आपकी खुद की स्थिति खराब हो। मतलब अगर आप को लेकर किसी ने नकारात्मक सोचा तो उसके नकारात्मक सोचने का प्रभाव आप पर तभी पड़ेगा जब आप खुद उसके बारे में कुछ गलत सोच रहे होंगे। लेकिन अगर आपकी खुद की सोच ठीक है तो सारी दुनिया नकारात्मक सोचे तब भी उसका प्रभाव आप पर नहीं पड़ सकता है।

यह आपकी मर्जी है कि आपको उस नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अपने पर पड़ने देना है या नहीं। अगर कोई आपसे कहे कि नजर लग जाएगी तो आप उन लोगों को कहना कि अगर मेरे लिए 5 से 10 लोग बुरा सोच रहे हैं तो कम से कम 100 लोग ऐसे हैं जो मुझे बहुत दुआएं देते हैं। तो हमें ऐसे लोगों की नजर लगनी चाहिए जो हमारे बारे में अच्छी सोच रखते हैं।”