Shani Sadhe Saati 2020, Saturn Retrograde: ज्योतिष शास्त्र में शनि की अहम् भूमिका है। नवग्रहों में शनि को न्याय प्रिय देव कहा जाता है। न्याय के देवता शनि भक्तों के संपूर्ण कर्मों का लेखा-जोखा अपने साथ रखते हैं। इसी वजह से किसी भी जातक की जन्मपत्रिका का परीक्षण कर उसके भविष्य के बारे में संकेत करने के लिए जन्मपत्रिका में शनि का कितना प्रभाव है, ये जानना बहुत जरूरी है। शनि स्वभाव से क्रूर व अलगाववादी ग्रह हैं। ऐसे में जब ये किसी की जन्मपत्रिका में अशुभ भाव के स्वामी बनते हैं तो उससे व्यक्ति पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ता है। ज्योतिषों के अनुसार शनि दु:ख के स्वामी भी है अत: शनि के शुभ होने पर व्यक्ति सुखी और अशुभ होने पर सदैव दुखी व चिंतित रहता है। ऐसे में आइए जानते हैं इस वर्ष किस राशि के जातकों को शनि ग्रह से सचेत रहने की जरूरत है।
Shani Vakri 2020 Effects: शनि की उल्टी चाल से बढ़ेंगे कष्ट, ये 5 राशियां हैं शनि साढ़े साती और ढैय्या की चपेट में
कौन सी राशियां होंगी प्रभावित: गोचर अनुसार शनि जिस राशि में स्थित होते हैं उसके साथ ही उस राशि से दूसरी और द्वादश राशि पर साढ़ेसाती का प्रभाव माना जाता है। वहीं शनि जिन राशियों से चतुर्थ व अष्टम राशिस्थ होते हैं वे शनि की ढैय्या के प्रभाव वाली राशियां मानी जाती हैं। इस साल 24 जनवरी माघी अमावस के दिन ही शनि ग्रह ने अपनी राशि परिवर्तन कर धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश किया है। इस राशि परिवर्तन की वजह से कुंभ, धनु और मकर राशि वाले जातक पूरे साल शनि की साढ़ेसाती से प्रभावित रहेंगे। वहीं, तुला और मिथुन राशि के जातक इस वर्ष शनि की ढैय्या से प्रभावित रहेंगे।
इन उपायों को करने से होगा लाभ (Shani Upay):
1. साढ़ेसाती व ढैय्या के दौरान में काले व नीले वस्त्र धारण ना करें।
2. हर शनिवार को चींटियों को चीनी मिलाकर आटा खाने को दें।
3. नियमित रूप से अपने नहाने के पानी में काले तिल, सौंफ, सुरमा और खस डालकर स्नान करें।
4. प्रतिदिन “ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम:” का जाप करें और दशरथकृत शनि स्तोत्र का पाठ करें।
5. प्रत्येक शनिवार को सवा किलो काले चने, सवा किलो उड़द, काली मिर्च, कोयला, चमड़ा और लोहा काले वस्त्र में लपेटकर दान करें।
6. सात शनिवार 7 बादाम शनि मंदिर में चढ़ाएं और छाया दान करें।
7. हर रोज पीपल के पेड़ में जल चढ़ाएं।
