Blue Sapphire Stone Benefits: ज्योतिष शास्त्र में नीलम रत्न को बहुत ही शक्तिशाली माना गया है। यह रत्न शनि ग्रह से जुड़ा है। कहा जाता है कि नीलम में इतनी ताकत होती है कि वह इंसान को रंक से राजा बना सकती है। लेकिन यदि कोई जरूरतमंद व्यक्ति नीलम धारण करता है तो यह रत्न अपना अशुभ प्रभाव देना शुरू कर देता है और व्यक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाता है।

ज्योतिष शास्त्र में नीलम रत्न को बहुत ही शक्तिशाली माना गया है। यह रत्न शनि ग्रह से जुड़ा है। कहा जाता है कि नीलम में इतनी ताकत होती है कि वह इंसान को रंक से राजा बना सकती है। लेकिन यदि कोई जरूरतमंद व्यक्ति नीलम धारण करता है तो यह रत्न अपना अशुभ प्रभाव देना शुरू कर देता है और व्यक्ति पूरी तरह से नष्ट हो जाता है। इसलिए ज्योतिषी से सलाह लेकर उनके निर्देशानुसार नीलम धारण (Blue Sapphire Stone in Hindi) करें। ताकि इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सके। जानिए किन स्थितियों में नीलम रत्न धारण करना चाहिए और किन स्थितियों में नहीं करना चाहिए-

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार नीलम शनि का प्रतिनिधित्व करता है ऐसे में कुंडली में शनि की स्थिति के अनुसार ही नीलम धारण करने की सलाह दी जाती है। यदि शनि नीच का हो या नीच भाव में हो तो जातक को साढ़े साती, शनि की पीड़ा से गुजरना पड़ता है, ऐसे में शनि के अशुभ प्रभाव से बचाने और शुभ फल देने योग्य बनाने के लिए विशेषज्ञ नीलम धारण (Blue Sapphire Stone Ring) करने की सलाह दे सकते हैं। यदि शनि चतुर्थ, पंचम, दशम या एकादश भाव में हो तो नीलम धारण किया जा सकता है। लेकिन केवल इस जानकारी के आधार पर ही नीलम न खरीदें। किसी ज्योतिषी को अपनी कुंडली दिखाने के बाद उनकी सलाह पर ही इसे धारण करें।

नीलम के शुभ प्रभाव (Auspicious Effects of Blue Sapphire)

नीलम रत्न का प्रभाव बहुत ही जल्दी दिखाई देने लगता है। नीलम रत्न (Natural Blue Sapphire Stone) शुभ फल देने वाला हो तो नौकरी और व्यापार में उन्नति होगी। व्यक्ति दिन प्रतिदिन उन्नति करता है, तरक्की करता है और उसके प्रतिष्ठा में भी वृद्धि होती है। स्वास्थ्य अच्छा बना रहता है। विवादित मामले आदि आसानी से निपट जाते हैं और स्वास्थ्य अच्छा रहता है।

ऐसे में कभी भी नीलम धारण न करें

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि कुंडली में शनि की स्थिति जातक के अनुकूल नहीं है तो ऐसे में व्यक्ति को नीलन रत्न धारण (Blue Sapphire Gemstone) करने से बचना चाहिए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार किसी जातक की कुंडली में छठे, आठवें या बारहवें भाव में शनि-राहु और शनि-मंगल मौजूद हों तो यह स्थिति नीलम धारण करने के लिए शुभ नहीं मानी जाती है।

यदि यह अशुभ है तो पूर्ण विनाश होगा

ज्योतिषियों के अनुसार नीलम (Benefits of Wearing Neelam) को अशुभ स्थिति में धारण करने से व्यक्ति को चारों ओर से कष्टों का सामना करना पड़ता है और उसे नष्ट होने में देर नहीं लगती। ऐसे में व्यर्थ के झगड़े, शत्रुता और वाद-विवाद बढ़ जाते हैं। हर काम में रुकावटें आने लगती हैं और जब काम पूरा होने वाला होता है तो काम बिगड़ जाता है। आर्थिक हानि ऐसे होती है कि व्यक्ति विनाश के मार्ग पर आ जाता है। इसके अलावा घर में बीमारियों पर बड़ी रकम खर्च होती है।