हिंदू धर्म में होने वाले तमाम पूजा-पाठ में आपने घी के दीपक जलाए जाते देखे होंगे। लेकिन क्या कभी आपने इस बात पर विचार किया है कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है। और पूजा-पाठ के समय घी के दीपक जलाने के क्या लाभ हैं। अगर नहीं तो आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आज हम आपको इस बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं। बता दें कि घी के या फिर तैल के दीपक जलाने का सीधा संबंध अग्निदेव से है। ऐसा माना जाता है कि अग्नि देव को साक्षी मानकर और दीपक जलाकार नए कार्य की शुरुआत करने पर उसमें सफलता मिलती है। ऐसा करने से व्यक्ति पर अग्निदेव प्रसन्न होते हैं और उसे जीवन में कई तरह की परेशानियों से बचाते हैं।
मालूम हो कि अग्नि को धरती पर सूर्य का परिवर्तित रूप माना जाता है। और सूर्य को ऊर्जा का स्रोत कहा गया है। इसलिए किसी भी देवी-देवता की पूजा करते समय अग्निदेव को अवश्य याद किया जाता है। इसके अलावा अग्नि को प्रकाश का भी स्रोत माना जाता है। इस सृष्टि में प्रकाश का होना अत्यन्त आवश्यक है। ऐसे में तैल या फिर घी का दीपक जलाकर अग्निदेव से जीवन में प्रकाश पाने की कामना की जाती है। इससे जीवन का अंधकार भी दूर होता है।
ऐसा कहा जाता है कि घी का दीपक जलाने से वातावरण में सकारात्मकता आती है। दीपक का प्रकाश जितनी जगह पर जाता है, वहां से नकारात्मकता दूर हो जाती है। इसके अलावा दीपक की जलती लौ व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने का संदेश देती है। इससे हमें अपने जीवन का अंधकार मिटाने की भी सीख मिलती है। ध्यान रहे कि दीपक हमेशा विषम संख्या में जलाए जाने चाहिए। ऐसा कहा गया है कि सम संख्या में दीपक जलाने से ऊर्जा का संवहन निष्क्रीय हो जाता है। इसके साथ ही दीपक के लौ की दिशा उत्तर होने पर स्वास्थ्य बेहतर होता है।