Tanot Mata Mandir Jaisalmer: भारत में कई ऐसी जगहें है, जिसकी मान्यता देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में काफी है। ऐसे ही हम देवी मां एक ऐसे मंदिर की बात कर रहे हैं, जिसके आगे पाकिस्तान के जनरल भी माथा टेकते हैं। यह मंदिर भारत और पाकिस्तान के युद्ध का गवाह है। यह मंदिर जैसलमेर जिले में स्थित है जिसका नाम माता तनोट मंदिर है। दरअसल, भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान एक ऐसी घटना हुई जिससे पाकिस्तानी फौजियों क अपनी गलती का अहसास हुआ और मां के सामने सिर झुका कर वापस चले गए। जानें इस मंदिर के बारे में…

भारत- पाक युद्ध का गवाह है ये मंदिर

जैसलमेर जिले में ये मंदिर स्थित है, जो पाकिस्तान से सटे सीमा पर बना हुआ है। यह मंदिर 1965 और 1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध का गवाह माना जाता है। कहा जाता है कि पाकिस्तानी सैनिकों मे मंदिर में तीन अलग-अलग जगहों से आक्रमण किया था। लेकिन वह कुछ भी कर नहीं पाएं। कहा जाता है कि 1965 में पाकिस्तानी सेना ने करीब तीन हजार बम गिराए थे। लेकिन मंदिर पर जरा भी प्रभाव नहीं पड़ा था। इतना ही नहीं मंदिर के प्रांगण में करीब 450 बम गिराए थे जिसमें एक भी फटा नहीं था। आज ये बम मंदिर के संग्रहालय में सुरक्षित है। मां के चमत्कार को देखकर पाकिस्तानी के तत्कालीन ऑफिसर ब्रिगेडियर शाहनवाज खान काफी अचंभित हुए और उन्हें भारत सरकार से परमिशन लेकर माता को चांदी की छत्र भेंट की थी।

तनोट माता ‘सैनिकों की देवी’

पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय माता से भारतीय सैनिकों की खूब रक्षा की थी। इसी के कारण उन्हें सैनिकों की देवी और थार की वैष्णो देवी के नाम से जानते हैं। इस मंदिर को सिद्धपीठ माना जाता है।

क्या है तनोट मंदिर का इतिहास?

तनोट माता के इतिहास के अनुसार, एक मामड़िया चारण नाम का व्यक्ति था, जो राजाओं के दरबार में उनका गुणगान किया करता था। मामड़िया चारण के कोई संतान नहीं थी। ऐसे में संतान की इच्छा रखते हुए उसने माता हिंगलाज की सात बार पैदल यात्रा करके परिक्रमा की। इससे माता ने प्रसन्न होकर उससे पूछा कि आखिर उसे पुत्र चाहिए कि पुत्री। ऐसे में मामड़िया चारण ने कहा कि वह उनके घर में जन्म लें। ऐसे में उन्होंने उसे आशीर्वाद दे दिया। परिणाम स्वरूप मामड़िया चारण के घर में एक पुत्र और सात पुत्रियों को जन्म हुआ। इन्हीं 8 पुत्री में एक थी आवड मां, जो बाद में तनोट माता के नाम यानी रक्षा की देवी के नाम से प्रसिद्ध हुई।

माता हिंगलाज का स्वरूप है माता तनोट

पाकिस्तान में स्थित माता हिंगलाज का स्वरूप माता तनोट को माना जाता है और देवी घंटियाल उन्हीं की बहन हा। माना जाता है कि भारतीय सैनिकों की मदद माता तनोट के साथ घंटियाल माता ने की थी।

सीमा सुरक्षा बल के सैनिक करते हैं पूजा

माता तनोट मंदिर में कोई पुजारी नहीं है बल्कि सीमा सुरक्षा बल (BSF) के जवान ही माता तनोट की पूजा-अर्चना करते हैं।

मन्नत के लिए बांधी जाती है रूमाल और चुनरी

माता तनोट की पूजा अर्चना करने से हर दुख-दर्द दूर हो जाता है। इसके साथ ही अपनी मन्नत कहने के लिए भक्तगण माता के प्रांगण में सफेद रंग की रूमाल और लाल रंग की चुनरी बांधते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से माता साधक की वह इच्छा पूरी कर देती हैं।

डिसक्लेमर- इस लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।