Swami Vivekananda Quotesमहान दार्शनिक स्‍वामी विवेकानंद की आज पुण्यतिथि है। बेहद ही कम उम्र में इनका निधन आज के ही दिन साल 1902 में हो गया था। आज इनकी 116 वीं पूण्य तिथि है। स्वामी विवेकानंद को एक संत के रूप में, एक महान वक्ता, विचारक व देशभक्त के तौर पर भी जाना जाता है। इनका जन्म 12 जनवरी 1863 को कलकत्ता में हुआ था। स्‍वामी विवेकानंद का वास्तविक नाम नरेन्द्र नाथ दत्त था। स्‍वामी विवेकानंद ने भारत के उत्‍थान के लिए कई काम किये और लोगों को जीवन जीने की कला भी सिखाई। स्‍वामी विवेकानंद ने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया। मात्र 25 साल की उम्र में अपने गुरु से प्रेरित होकर उन्‍होंने सांसारिक मोह-माया त्‍याग दी और संन्‍यासी बन गए। स्‍वामी विवेकानंद द्वारा कही गई बातें आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती हैं। यहां जानिए उनके इन्हीं प्रेरणादायक विचारों के बारे में…

1. उठो मेरे शेरों, इस भ्रम को मिटा दो कि तुम निर्बल हो, तुम एक अमर आत्मा हो, स्वच्छंद जीव हो, धन्य हो, सनातन हो, तुम तत्व नहीं हो, ना ही शरीर हो, तत्व तुम्हारा सेवक है तुम तत्व के सेवक नहीं हो।

2. तुम्हें अंदर से बाहर की तरफ विकसित होना है. कोई तुम्‍हें पढ़ा नहीं सकता, कोई तुम्‍हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता. तुम्हारी आत्मा के आलावा कोई और गुरू नहीं है।

3. जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो. सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं

4. ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियां पहले से हमारी हैं। वो हमीं हैं जो अपनी आंखों पर हांथ रख लेते हैं और फिर रोते हैं कि कितना अन्धकार है।

5. पढ़ने के लिए जरूरी है एकाग्रता, एकाग्रता के लिए जरूरी है ध्यान। ध्यान से ही हम इन्द्रियों पर संयम रखकर एकाग्रता प्राप्त कर सकते है।

6. किसी की निंदा न करें. अगर आप मदद के लिए हाथ बढ़ा सकते हैं, तो जरूर बढाएं। अगर नहीं बढ़ा सकते तो अपने हाथ जोड़िए, अपने भाइयों को आशीर्वाद दीजिये और उन्हें उनके मार्ग पे जाने दीजिए।

7. उठो, जागो, और तब तक मत रुको जब तक तुम अपने लक्ष्य को नहीं प्राप्त कर लेते।

8. जब तक तुम अपने आप पर भरोसा नहीं कर सकते तब तक तुम्हें ईश्वर पर भरोसा नहीं हो सकता।

9. जो लोग आपकी मदद करते हैं उन्हें कभी मत भूलो। जो आपको प्यार करते हैं उनसे कभी घृणा न करो। जो लोग तुम पर भरोसा करते हैं उन्हें कभी भी धोखा न दो।

10. ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।