21 जून का सूर्य ग्रहण एक बड़ी खगोलीय घटना माना जा रहा है। जिसका नजारा हर कोई देखना चाहता है। यह वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा, कुछ समय के लिए सूर्य पूरी तरह से चांद की छाया से ढक जाएगा। जिसकी वजह से धरती के कई हिस्सों में दिन में ही अंधेरा छा जाएगा। कहा जा रहा है कि लंबे अरसे बाद ऐसा नजारा ग्रहण के समय देखने को मिलेगा। इससे पहले 1995 में ऐसा सूर्य ग्रहण लगा था। ध्यान रखें कि सूर्य ग्रहण को नंगी आंखों से न देखें। जानिए इसे कब, कैसे और कहां देख पाएंगे…
सूर्य ग्रहण का समय: सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार 21 जून की सुबह 10:20 बजे से लगना शुरू हो चुका है। अलग अलग शहरों में ग्रहण लगने के समय में थोड़ा बहुत अंतर रह सकता है। दोपहर 12.10 बजे ग्रहण अपने चरम पर होगा। ग्रहण की समाप्ति कई जगह 1.49 बजे के करीब हो जाएगी। तो कुछ जगहों पर दोपहर 3 बजे तक ग्रहण रहेगा।
Surya Grahan 2020: कहीं नारंगी तो कहीं हरा दिखा सूरज, उत्तराखंड में दिखी रिंग ऑफ फायर, देखें- Photos
कैसे देखें ग्रहण? चंद्र ग्रहण को जहां खुली आंखों से देखना सुरक्षित होता है वहीं सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि इससे हमारी आंखो को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए इसे देखने के लिए टेलीस्कोप या सोलर फिल्टर चश्में का उपयोग किया जाता है।
भारत में सूर्य ग्रहण का नजारा: भारत में देहरादून, चमोली, कुरुक्षेत्र, मसूरी, टोहान क्षेत्र में ग्रहण का कंकण (वलयाकार) यानि खग्रास रुप दिखाई दिया। लेकिन कई जगहों पर जैसे कोलकाता, हैदराबाद, शिमला, चेन्नई, मुंबई, चंडीगढ़, आदि शहरो में आंशिक सूर्य ग्रहण देखा गया।
What To Do After Solar Eclipse: सूर्य ग्रहण की समाप्ति के बाद किये जाते हैं ये उपाय
किन देशों में दिखा ग्रहण: भारत के साथ यह ग्रहण बैंकाक, काठमांडू, कराची, अबू धाबी, रियाद आदि देशों में देखने को मिला। मध्य अफ्रिका, उत्तरी भारत, ताइवान, चीन में यह ग्रहण पूर्ण रुप से दिखाई दिया।
यहां देखें सूर्य ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग: आप घर बैठे ऑनलाइन सूर्य ग्रहण को लाइव देख सकेंगे। कई यूट्यूब चैनल ग्रहण की लाइव स्ट्रीमिंग करते हैं। Slooh और Virtual Telescope चैनल इस घटना को लाइवस्ट्रीम करने के लिए जाने जाते हैं।


सूर्य ग्रहण के बाद स्नान करने वाले जल में गंगा जल मिला लेना चाहिए। गंगा जल मिलाकर ही स्नान करें। अगर गंगा जल नहीं है तो साधारण पानी से ही स्नान करने से पहले मां गंगा का ध्यान करें और फिर स्नान कर लें।
कहा जाता है कि ग्रहण काल के खत्म होते ही स्नान कर लेना चाहिए. ऐसा करने से ग्रहण का बुरा असर नहीं पड़ता। साथ ही घर की अच्छे से सफाई करके भगवान के मंदिर को साफ कर पूजा करनी चाहिए।
क्या आप जानते हैं पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर अथवा 9 करोड़ 29 लाख 60 हजार मील है. पृथ्वी की सूर्य से इतनी अधिक दूरी होने के कारण ही सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक आने में 8.3 मिनट का समय लग जाता है. सूर्य का निर्माण आज से लगभग 57 अरब वर्ष पूर्व एक विशाल आण्विक बादल के टूटने से हुआ था जिसका अधिकांश भाग हाइड्रोजन और हीलियम का बना हुआ है.
ग्रहण के समय देश की राजधानी दिल्ली में छाए हुए हैं बादल
– ग्रहण के समय तेल लगाना, भोजन पकाना और खाना, सोना, बाल बनाना, संभोग करना, दांत साफ करना, कपड़े धोना, ताला खोलना आदि काम नहीं करने चाहिए। – ग्रहण के समय कोशिश करें कि घर से बाहर न निकलें और न ही ग्रहण को देखें। खासकर गर्भवती महिलाएं इस बात का विशेष तौर पर ध्यान रखें। – मान्यता है कि ग्रहण के समय जो व्यक्ति जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक उसे नरक में वास कर पड़ता है। चंद्र ग्रहण में तीन प्रहर पूर्व भोजन नहीं करना चाहिए (1 प्रहर = 3 घंटे)। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं। – मान्यताओ के अनुसार गर्भवती महिला को ग्रहण और सूतक काल के समय सब्जी काटना, कपडे सिलना यानी किसी भी धारदार वस्तु का इस्तेमाल करने से बचना चाहिए। इससे होने वाले बच्चे को शारीरिक दोष होने की संभावना होती है। ग्रहण के समय पत्ते, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए। – ग्रहण काल में भगवान की मूर्तियों को न तो छूना चाहिए और न ही पूजा पाठ करना चाहिए। ग्रहण का सूतक काल लगते ही कई मंदिर के कपाट भी बंद कर दिए जाते हैं।
ग्रहण की समाप्ति के बाद गर्भवती महिला को स्नान करना चाहिए नहीं तो उसके शिशु को त्वचा संबधी रोग लग सकते हैं। सूर्य ग्रहण के दौरान मानसिक मंत्र जाप का बड़ा महत्व है। गर्भवती महिलाएं इस दौरान मंत्र जाप कर सकती है। इससे स्वयं की और गर्भस्थ शिशु के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर पढ़ता है।
इससे पहले चूड़ामणि सूर्य ग्रहण का महायोग 870 साल पहले आया था। इस ग्रहण के 15 दिन पहले चंद्रग्रहण पड़ा था और 15 दिन बाद फिर चंद्र ग्रहण पड़ेगा। इन दोनों ग्रहणों के बीच सूर्य ग्रहण पड़ रहा है। इस साल 2020 की सबसे बड़ी खगोलीय घटना 21 जून को होने जा रही है। 21 जुलाई 2009 के बाद 21 जून को सबसे अधिक समय तक लगभग साढ़े तीन घंटे तक सूर्य ग्रहण देखने को मिलेगा। ग्रहण के दौरान सूर्य का लगभग 88 प्रतिशत भाग चंद्रमा द्वारा ढंक लिया जाएगा।
ग्रहण काल में में किसी भी तरह के शुभ कार्य न करें। मंदिर के दरवाजे बंद कर दें या फिर उसे किसी कपड़े से ढक दें। ग्रहण के समय खाना नहीं बनाया जाता। गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में किसी भी तरह की नुकीली वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे बच्चे को शारीरिक दोष उत्पन्न हो सकता है। ग्रहण की समाप्ति के बाद तुरंत स्नान कर लेना चाहिए। ग्रहण काल में दान पुण्य के काम करना अच्छा माना गया है।
नोएडा से सूर्यग्रहण की तस्वीर सामने आ चुकी है। नोएडा में अभी शुरुआती नजारा ऐसा है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 10.20 मिनट से प्रारंभ होकर 3 घंटे 28 मिनट 36 सेकेंड तक रहेगा। देश-दुनिया में कई जगहों पर सूर्यग्रहण लगने के दौरान दिन में भी शाम जैसी स्थिति हो जाएगी। सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य चमकते छल्ले की तरह दिखाई देगा। खास बात कि साल के सबसे बड़े दिन पर लगने वाला यह सूर्यग्रहण देश में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से दिखाई देगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 10.20 मिनट से प्रारंभ होकर 3 घंटे 28 मिनट 36 सेकेंड तक रहेगा। देश-दुनिया में कई जगहों पर सूर्यग्रहण लगने के दौरान दिन में भी शाम जैसी स्थिति हो जाएगी। सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य चमकते छल्ले की तरह दिखाई देगा। खास बात कि साल के सबसे बड़े दिन पर लगने वाला यह सूर्यग्रहण देश में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से दिखाई देगा।
देश में देहरादून, मसूरी, कुरुक्षेत्र और टिहरी आदि में सूर्य वलयाकार रूप में दिखाई देगा। जबकि अन्य स्थानों पर आंशिक सूर्य ग्रहण ही देखा जा सकेगा। राजधानी दिल्ली में भी लगभग रिंग ऑफ फायर का नजारा देखा जा सकेगा।
भारत में एक मंदिर ऐसा भी हैं जहां सूर्य ग्रहण का कोई फर्क नहीं पड़ता है। हम बात कर रहे हैं उज्जैन के महाकाल मंदिर की। इस मंदिर में सूतक काल का कोई फर्क नहीं पड़ता है। यहां रोज के नियम से ही सूतक काल के समय भी पूजा की जाती है।
ज्योतिष के विशेषज्ञों की मानें तो इस सूर्यग्रहण के समय ग्रह नक्षत्रों में कुछ ऐसे बदलाव होंगे जिससे कोरोना महामारी का अंत होना शुरू हो जाएगा। सूर्य ग्रहण की वजह से वर्षा की कमी, गेहूं, धान और अन्य अनाज के उत्पादन में कमी आ सकती है। प्रमुख देशों के राष्ट्राध्यक्षों के बीच तनाव और बहस बढ़ सकती है। वहीं व्यापारियों के लिए यह ग्रहण अच्छा माना जा रहा है।
ध्यान रखें कि सूर्य ग्रहण कभी भी नंगी आंखों से न देखें। क्योंकि इस दौरान सूर्य से खतरनाक किरणें निकलती हैं जो सूर्य को सीधे देखने पर आपकी आंखों को नुकसान पहुंचा सकती हैं। सूर्यग्रहण को देखने के लिए स्पेशल सोलर फिल्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है। होममेड फिल्टर्स या साधारण सनग्लासेज से भी सूर्य की तरफ न देखें फिर चाहे वह डार्क सनग्लास ही क्यों न हो। एक्लिप्स ग्लास या सोलर व्यूअर्स आते हैं उनका इस्तेमाल करें। टेलिस्कोप से ग्रहण देखते वक्त सोलर फिल्टर को टेलिस्कोप के स्काई एंड की तरफ लगाएं न की टेलिस्कोप के आई पीस की तरफ। अगर आपके पास ये सारे ऑप्शन्स या इंतजाम नहीं हैं तो बेहतर होगा कि आप नंगी आंखों से खुद ग्रहण देखने की बजाए टीवी पर ही इसे देख लें।
कुछ ही देर के बाद आज यानी 21 जून को साल का पहला सूर्य ग्रहण आरंभ हो जाएगा। यह ग्रहण वलयाकार सूर्य ग्रहण होगा। इस सूर्य ग्रहण के दौरान आसमान में सूर्य का नजारा बहुत ही अनोखा होगा। इस दौरान सूर्य का नजारा रिंग ऑफ फायर के रूप में देखने को मिलेगा। यह सूर्य ग्रहण भारत में देखा जा सकेगा। यहां देख पाएंगे ग्रहण को लाइव...
देश में सुबह 10 बजकर 15 मिनट से सूर्य ग्रहण की शुरुआत हो जाएगी। इस सूर्य ग्रहण को कंकणाकृति खंडग्रास ग्रहण कहा जाता है। इसे चूणामणि ग्रहण के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार अमावस्या पर यह ग्रहण लगने के कारण अमावस्या का श्राद्ध कर्म ग्रहण के बाद होगा। इससे पहले किए गए श्राद्ध कर्म का कोई महत्व नहीं होगा।
चंद्रमा की छाया सूर्य का 99 फीसदी भाग ढकेगी। ऐसे में सूर्य के किनारे वाला हिस्सा प्रकाशित रहेगा और बीच का हिस्सा पूरी तरह से चांद की छाया से ढक जाएगा। इस ग्रहण को बिहार समेत देश व दुनिया के विभिन्न हिस्सों में देखा जायेगा। इस ग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में काफी महत्व दिया जा रहा है।
ये ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूएई, इथोपिया और कांगो में दिखाई देगा। भारत में उत्तरी राज्यों राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड में वलयाकार सूर्य ग्रहण का नजारा देखने को मिलेगा। देश के बाकी हिस्सों में आंशिक सूर्य ग्रहण देखा जाएगा।
जब चंद्रमा, पृथ्वी और सूर्य के बीच में आ जाता है और तीनों खगोलीय पिंड एक रेखा में होते हैं तब सूर्य ग्रहण लगता है।
वलयाकार सूर्य ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य से कम हो जाता है जिससे चंद्रमा सूर्य को पूरी तरह से नहीं ढक पाता है।
ग्रहण देखने में सावधानी बरतने की आवश्यकता है। कभी भी काले चश्मे के बिना ग्रहण नहीं देखना चाहिए, अन्यथा आंखों को हानि पहुंच सकती है।
सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य और चन्द्र के कोणीय व्यास एक समान होते हैं। इससे चंद्रमा सूर्य को ढंकता है।
ग्रहण काल में कुछ भी नहीं खाना चाहिए। बालक, वृद्ध और रोगी को इस विधान से मुक्ति मिली है। सामान्य दशा में इसका पालन अवश्य करना चाहिए।
सूर्य ग्रहण के समय घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए। सूर्य की ओर देखना भी नहीं चाहिए। शास्त्रीय और वैज्ञानिक दोनों ही दृष्टि से ऐसा करना अनुचित है।
यह सूर्य ग्रहण भारत, नेपाल, पाकिस्तान, सऊदी अरब, यूऐई, एथोपिया तथा कोंगों में दिखाई देगा। देहरादून, सिरसा तथा टिहरी कुछ प्रसिद्ध शहर हैं जहाँ पर वलयाकार सूर्यग्रहण दिखाई देगा। नई दिल्ली, चंडीगढ़, मुम्बई, कोलकाता, हैदराबाद, बंगलौर, लखनऊ, चेन्नई, शिमला, रियाद, अबू धाबी, कराची, बैंकाक तथा काठमांडू आदि कुछ प्रसिद्ध शहर हैं जहाँ से आंशिक सूर्य ग्रहण दिखाई देगा।
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 10.20 मिनट से प्रारंभ होकर 3 घंटे 28 मिनट 36 सेकेंड तक रहेगा। देश-दुनिया में कई जगहों पर सूर्यग्रहण लगने के दौरान दिन में भी शाम जैसी स्थिति हो जाएगी। सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य चमकते छल्ले की तरह दिखाई देगा। खास बात कि साल के सबसे बड़े दिन पर लगने वाला यह सूर्यग्रहण देश में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से दिखाई देगा। इस बार उत्तर भारत के लोगों को भी यह अद्भूत दृष्ट देखने को मिलेगा। ग्रहण के समय सूर्य के केंद्र का भाग पूरा काला नजर आने वाला है, जबकि किनारों पर चमक रहेगी।
ग्रहण प्रारम्भ काल - 10 बजकर 15 मिनट पर
परमग्रास - 11 बजकर 58 मिनट पर
ग्रहण समाप्ति काल - 01 बजकर 47 मिनट तक
खण्डग्रास की अवधि - 03 घण्टे 32 मिनट्स 45 सेकण्ड्स
ग्रहण प्रारम्भ काल - 10:03 ए एम
परमग्रास - 11:41 ए एम
ग्रहण समाप्ति काल - 01:31 पी एम
खण्डग्रास की अवधि - 03 घण्टे 27 मिनट्स 40 सेकण्ड्स
तमोमय महाभीम सोमसूर्यविमर्दन।
हेमताराप्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव॥१॥
श्लोक अर्थ - अन्धकाररूप महाभीम चन्द्र-सूर्य का मर्दन करने वाले राहु! सुवर्णतारा दान से मुझे शान्ति प्रदान करें।
ग्रहण प्रारम्भ काल - 10:46 ए एम, 21 जून
परमग्रास - 12:36 पी एम
ग्रहण समाप्ति काल - 02:17 पी एम
खण्डग्रास की अवधि - 03 घण्टे 30 मिनट्स 59 सेकण्ड्स
ग्रहण प्रारंभ- सुबह 10 बजकर 04 मिनट पर
ग्रहण की समाप्ति- दोपहर 1 बजकर 32 मिनट पर
कुल अवधि- 03 घण्टे 28 मिनट्स
ग्रहण का प्रकार- आंशिक
वैज्ञानिकों के मुताबिक, दिल्ली-एनसीआर में सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 10.20 मिनट से प्रारंभ होकर 3 घंटे 28 मिनट 36 सेकेंड तक रहेगा। देश-दुनिया में कई जगहों पर सूर्यग्रहण लगने के दौरान दिन में भी शाम जैसी स्थिति हो जाएगी। सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य चमकते छल्ले की तरह दिखाई देगा। खास बात कि साल के सबसे बड़े दिन पर लगने वाला यह सूर्यग्रहण देश में कहीं पूर्ण रूप से तो कहीं आंशिक रूप से दिखाई देगा। इस बार उत्तर भारत के लोगों को भी यह अद्भूत दृष्ट देखने को मिलेगा। ग्रहण के समय सूर्य के केंद्र का भाग पूरा काला नजर आने वाला है, जबकि किनारों पर चमक रहेगी।
आंशिक ग्रहण शुरू: रविवार 21 जून 2020, सुबह 10 बजकर 46 मिनट पर
अधिकतम ग्रहण : 12 बजकर 35 मिनट पर
दोपहर ग्रहण खत्म: 2 बजकर 17 बजे दोपहर
आंशिक ग्रहण शुरू: रविवार 21 जून 2020, सुबह 10:00 बजे
अधिकतम ग्रहण: 11 बजकर 37 मिनट पर
ग्रहण खत्म: दोपहर 1 बजकर 27 मिनट पर
Duration: 3 hours, 27 minutes
आंशिक ग्रहण शुरू: रविवार 21 जून 2020,
सुबह 10 बजकर 20 मिनट पर
अधिकतम ग्रहण : 12 बजकर 01 मिनट पर
ग्रहण की समाप्ति: दोपहर 13 बजकर 48 मिनट पर
- ऐसा माना जाता है कि सूर्य ग्रहण के दौरान नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव अधिक होता है, इसलिए भगवान का ध्यान करना आवश्यक है।
- सूर्य ग्रहण को नहीं देखना चाहिए।
- सूर्य ग्रहण के दौरान महिलाओं को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। ऐसा करना गर्भ में पल रहे बच्चे की सेहत को नुकसान पहुंचाता है, साथ ही बच्चे को मानसिक और शारीरिक रूप से भभी प्रभावित करता है।
- सूर्य ग्रहण के दौरान खाना भी नहीं बनाना चाहिए और ना ही खाना चाहिए।
- हिंदू धर्म के अनुसार ग्रहण के दौरान नुकीली चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
भारत के साथ यह ग्रहण बैंकाक, काठमांडू, कराची, अबू धाबी, रियाद आदि में देखने को मिलेगा। मध्य अफ्रीका, उत्तरी भारत, ताइवान, चीन में यह ग्रहण पूर्ण रुप से दिखाई देगा।