Gem Stone: मनुष्य को रत्नों का चुनाव बहुत ही सावधानी से करना चाहिए। रत्न केवल शोभा बढ़ाने का साधन नहीं है बल्कि उनमें अलौलिक शक्ति का समावेश है। साथ ही रत्नों में मानव जीवन को सुखमय, उल्लासपूर्ण बनाने की अप्रतिम क्षमता भी है। आज हम बात करने जा रहे हैं ऐसे उपरत्न के बारे में जिसका संबंध गुरु बृहस्पति से है और जिसका नाम है सुनहला।
दरअसल आप लोगों ने पुखराज का नाम तो सुना ही होगा, लेकिन पुखराज का उपरत्न भी होता है, जिसको सुनहला करते हैं। सुनहला पुखराज की तुलना में काफी सस्ता आता है और यह बाजार में आसानी से मिल भी जाता है। इसे धारण करने से समाज में मनुष्य के मान-सम्मान में वृद्धि होती है। साथ ही व्यक्ति की धन संबंधी समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। आइए जानते हैं सुनहला धारण करने की सही विधि और किन राशि वालों को ये करता है सूट…
जानिए, कैसा होता है सुनहला उपरत्न:
सुनहला देखने में पीले कलर का होता है। साथ ही ये देखने में बिल्कुल पुखराज की तरह ही होता है। जो लोग मंहगा होने के कारण पुखराज धारण नहीं कर सकते हैं, उनके लिए सुनहला धारण करना एक अच्छा विकल्प है। क्योंकि यह कम बजट में ही आ जाता है।
सुनहला धारण करने के फायदे:
अगर आपके व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा है तो आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं। पीले रंग का यह सुनहला रत्न करियर और व्यापार में लाभ देता है। जो लोग सुनहला रत्न धारण करते हैं, उन पर गुरु बृहस्पति की कृपा सदैव बनी रहती है। साथ ही यह रत्न व्यक्ति को अपने लक्ष्य तक पहुंचने में मदद करता है। यह ग्रह इंसान को सात्विक बनाता है।ज्योतिष के अनुसार, यह रत्न ज्ञान से संबंधित होता है इसलिए विद्यार्थियों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारियां करने वाले लोगों के लिए भी सुनहला धारण करना फायदेमंद रहता है। इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति स्वयं की सूझबूझ से निर्णय लेकर आर्थिक तंगी से निकलने में सक्षम रहता है।
किन राशि वालों को करना चाहिए धारण:
अगर आपकी कुंडली में गुरु बृहस्पति उच्च (सकारात्मक) विराजमान हैं, तो आप इस रत्न को धारण कर सकते हैं। कर्क लग्न वाले इस रत्न को पहन सकते हैं क्योंकि गुरु आपके भाग्य के स्वामी हैं। साथ ही मीन राशि- लग्न, धनु राशि- लग्न वाले भी सुनहला धारण कर सकते हैं।
सुनहला रत्न धारण करने की विधि:
सुनहला रत्न को धारण करने से कुंडली में गुरु ग्रह की स्थिति मजबूत होती है। इसलिए इस रत्न को गुरुवार के दिन धारण करना शुभ माना जाता है। गुरुवार को सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नानादि से निवृत होकर भगवान बृहस्पति का ध्यान दें। फिर तांबे के एक पात्र या कटोरी में गाय का कच्चा दूध, शहद, घी, गंगाजल तुलसी की पत्तियां मिलाकर इसमें सुनहला रत्न डाल दें। इसके बाद ‘ऊं ग्रां ग्रीं ग्रूं गुरुवे नम:’ मंत्र की एक माला का जाप करें। फिर इस रत्न को गंगाजल से निकालकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए रत्न को धारण करें।
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