June Pradosh Vrat 2025 Date, Shubh Muhurat and Puja Vidhi: हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व होता है। यह व्रत भगवान शिव को समर्पित है और हर महीने की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। जून 2025 का आखिरी प्रदोष व्रत आने वाला है और इस बार इसका महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि इस दिन मासिक शिवरात्रि का भी संयोग बन रहा है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष व्रत करने से जीवन की हर परेशानी खत्म हो जाती है और मनचाही मनोकामना पूरी होती है। ऐसे में आइए जानते हैं जून महीने के आखिरी प्रदोष व्रत की तिथि, महत्व और पूजा विधि।
सोम प्रदोष व्रत की तिथि और शुभ मुहूर्त?
हिंदू पंचांग के अनुसार, जून महीने का आखिरी प्रदोष व्रत 23 जून 2025 को रखा जाएगा। इस बार यह व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। सोमवार का दिन भगवान शिव को बहुत प्रिय है और जब प्रदोष व्रत सोम प्रदोष के रूप में आता है तो इसका फल कई गुना बढ़ जाता है।
पंचांग के अनुसार, त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 22 जून की रात 1:22 बजे से होगी और 23 जून की रात 10:09 बजे तक रहेगी। चूंकि प्रदोष काल 23 जून को आ रहा है, इसलिए व्रत 23 जून को ही रखा जाएगा। सबसे खास बात यह है कि इस बार प्रदोष व्रत के साथ मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही है, जिससे इसका पुण्यफल दोगुना हो जाएगा।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान कर लें। फिर सूर्य देव को जल अर्पित करें और भगवान शिव का ध्यान करें। उसके बाद व्रत का संकल्प लें और एक दीपक जलाएं। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। शिवलिंग का अभिषेक करें। अभिषेक में दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल का इस्तेमाल करें। प्रदोष काल में शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र, चंदन, अक्षत और मिठाई अर्पित करें। भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। खासकर ‘ॐ नमः शिवाय’ या ‘श्री शिवाय नमस्तुभ्यं’ मंत्र का 108 बार जाप करें। प्रदोष व्रत कथा पढ़ें। इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें और भगवान शिव व माता पार्वती की आरती करें।
प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व
प्रदोष व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार, इस समय भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और सभी देवी-देवता उनकी आराधना में लीन रहते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से करता है, उसकी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं। खासकर सोम प्रदोष व्रत करने से मानसिक शांति, सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य में लाभ मिलता है। साथ ही कुंडली के दोष और ग्रहों के बुरे प्रभाव भी दूर होते हैं।
प्रदोष व्रत के दिन करें इन मंत्रों का जाप
- ॐ नमः शिवाय:
- ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्, मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥:
- ॐ पार्वतीपतये नमः:
- ॐ नमः शिवाय गुरुदेवाय नमः:
- ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥:
- ऊँ उमा सहित शिवाय नमः:
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