Magh Month Pradosh Vrat: माघ माह के शुक्ल पक्ष त्रियोदशी तिथि सोमवार यानि कि कल 14 फरवरी को साल का पहला सोम प्रदोष व्रत रहेगा। शिव जी को प्रिय इस व्रत के दिन 5 विशेष योग भी रहेंगे। आपको बता दें कि पुष्य नक्षत्र के साथ ही आयुष्मान, सौभाग्य योग, सवार्थसिद्ध और रवि योग रहेगा।

आपको बता दें कि सोमवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने से इसका महत्व और बढ़ जाता है। इस व्रत के प्रभाव से चन्द्रमा अपना शुभ फल देता है। सोम प्रदोष व्रत के दिन शिव की आराधना से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। आइए जानते हैं पूजा विधि, शुभ मुहूर्त…

प्रदोष व्रत पर बन रहा अद्भुत योग: 

प्रदोष व्रत 14 फरवरी दिन सोमवार के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग और आयुष्मान योग का अद्भुत संयोग बना रहा है। इस दिन त्रयोदशी तिथि को सर्वार्थ सिद्धि योग दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरू हो रहा है, यह अगले दिन 15 फरवरी को सुबह 07 बजे तक रहेगा। वहीं रवि योग भी दिन में 11 बजकर 53 मिनट से शुरू होगा, जो सर्वार्थ सिद्धि योग के समय तक बना रहेगा। इस दिन आयुष्मान योग रात 09 बजकर 29 मिनट तक है। फिर सौभाग्य योग शुरु हो जाएगा। वहीं सुबह 11 बजकर 53 मिनट पर पुष्य नक्षत्र शुरू होगा। 

जानिए, प्रदोष दोष का महत्व:

इस व्रत को लेकर यह मान्यता है कि सबसे पहले इसे चंद्रदेव ने किया था। माना जाता है कि शाप के कारण चंद्रदेव को क्षय रोग हो गया था। इससे मुक्ति पाने के लिए चंद्रदेव ने हर माह में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव के लिए प्रदोष का व्रत रखना शुरू किया। भगवान शिव और पार्वती की असीम अनुकम्पा से चंद्रदेव का क्षय रोग समाप्त हो गया।

दुखों से मिलती है मुक्ति: 

ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति हर महीने प्रदोष का व्रत रखता है उस पर भगवान शिव और पार्वती की असीम कृपा बनी रहती है और उसे दुखों से मुक्ति मिलती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आपको संतान प्राप्ति की इच्छा है तो आप शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत रखे, फल अवश्य ही मिलता है। लंबी आयु की कामना के लिए रविवार को पड़ने वाला व्रत फलदायी होता है। (यह भी पढ़ें)- साप्ताहिक राशिफल, 14 फरवरी से 20 फरवरी 2022: ग्रहों के राजा सूर्य देव ने किया गोचर, तुला और कुंभ वालों को धनलाभ के बन रहे संयोग, जानिए आपके लिए कैसा रहेगा ये हफ्ता

जानिए, पूजा विधि:

प्रदोष व्रत करने के लिए आप सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती को जल चढ़ाएं। शिव चालीसा और मंत्र जाप के साथ भगवान की आराधना करें। चूंकि भगवान शिव को बेलपत्र प्यारा है इसलिए आप इसे भगवान को अर्पित करें। साथ ही शमी, चावल, धूप, दीप, फल, सुपारी आदि भगवान शिव को अर्पित करें। इसके बाद भगवान शिव के मंत्र का जाप करें। (यह भी पढ़ें)- Astrology: बेहद मनी माइंडेड मानी जातीं हैं इन 3 राशि की लड़कियां, बुध और शनि ग्रह का रहता है प्रभाव