Shri Achaleshwar Mahadev Temple: भारत में ऐसे कई मंदिर हैं जो अपनी अनोखी कहानियों और रहस्यमय अनुभवों के लिए मशहूर हैं। ये मंदिर अपने इतिहास, परंपराओं और रीति-रिवाजों के जरिए भक्तों को सदियों से आकर्षित करते आ रहे हैं। ऐसा ही एक ऐतिहासिक और चमत्कारी मंदिर है अचलेश्वर महादेव मंदिर, जो उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ शहर के केंद्र में स्थित है।

महाभारत काल से जुड़े अचलेश्वर धाम के तार

अचलेश्वर महादेव मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पांडवों के अज्ञातवास के दौरान नकुल और सहदेव ने अचल सरोवर में स्नान किया और भगवान अचलेश्वर महादेव की पूजा-अर्चना की। यही कारण है कि यह मंदिर भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है।

शिवलिंग जो बदलता है रंग

मंदिर का मुख्य आकर्षण यहां का शिवलिंग है, जो हर 24 घंटे में दो बार अपना रंग बदलता है। यह कभी काले तो कभी गेरुआ रंग में दिखाई देता है। वैज्ञानिक अब तक इस रहस्य का पता नहीं लगा सके हैं। भक्त इसे भोलेनाथ की लीला मानते हैं और इसे देखना एक दिव्य अनुभव मानते हैं।

मंदिर का इतिहास और स्थापना

लगभग 500 साल पहले सिंधिया राजघराने की महारानी को सपने में अचल सरोवर के पास दबे हुए शिवलिंग के दर्शन हुए। खुदाई के दौरान जब मजदूरों ने शिवलिंग निकालने का प्रयास किया, तो शिवलिंग पर फावड़ा लगने से खून और फिर दूध की धारा बह निकली। इसे ईश्वर की इच्छा मानकर यहां विधिपूर्वक शिवलिंग की स्थापना की गई।

अचलेश्वर धाम का आध्यात्मिक अनुभव

अलीगढ़ के शिवभक्तों ने बताया कि वे नियमित रूप से अचलेश्वर महादेव मंदिर जाते हैं। उनके अनुसार, भक्त यहां साक्षात चमत्कार का अनुभव कर सकते हैं। केवल एक लोटा जल शिवलिंग पर अर्पित करने से बिगड़े काम बन जाते हैं और मन को शांति का अनुभव होता है।

भक्तोंं ने आगे बताया कि महाकाल बाबा की टोली हर साल नगर में निकलती है। हर वर्ष भोलेनाथ का एक अलग रूप नगरवासियों के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस आयोजन के लिए सहयोग राशि की कभी कमी नहीं होती, जिसे बाबा की कृपा माना जाता है।

यहां बेलपत्र, पारिजात के पत्ते, और एक लोटा जल चढ़ाने का विशेष महत्व है। यह परंपरा भक्तों के लिए आध्यात्मिक संतुष्टि का माध्यम है और उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति में सहायक मानी जाती है।

सावन में श्रद्धालुओं का सैलाब

सावन के महीने में अचलेश्वर महादेव मंदिर का माहौल पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है। दूर-दूर से भक्त भोलेनाथ का आशीर्वाद लेने आते हैं। अचल सरोवर के किनारे हर शाम को होने वाली आरती भक्तों को एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है।

मंदिर तक पहुंचने के मार्ग

अचलेश्वर महादेव मंदिर दिल्ली से लगभग 140 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने के लिए कई परिवहन विकल्प उपलब्ध हैं:

कार से: NH44 के माध्यम से यात्रा करना सबसे सुविधाजनक है। इसमें लगभग 2.5 से 3 घंटे का समय लगता है। यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।

ट्रेन से: दिल्ली से अलीगढ़ जंक्शन तक नियमित ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं। स्टेशन से मंदिर तक स्थानीय परिवहन द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

बस से: दिल्ली से अलीगढ़ के लिए राज्य परिवहन और निजी बसें उपलब्ध हैं। यह किफायती विकल्प है।

हर विकल्प अपनी सुविधा और अनुभव के अनुसार उपयुक्त है।

अचल सरोवर का सौंदर्य

अचलेश्वर मंदिर के पास स्थित अचल सरोवर का विकास स्मार्ट सिटी योजना के तहत किया गया है। यह सरोवर अब न केवल धार्मिक बल्कि पर्यटन के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हो गया है। अचल सरोवर के मध्य में भगवान भोलेनाथ की विशाल प्रतिमा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।

एक अद्वितीय अनुभव

अचलेश्वर महादेव मंदिर न केवल भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि यह इतिहास, संस्कृति और चमत्कारों का प्रतीक भी है। यहां का हर अनुभव भक्तों को दिव्यता का अहसास कराता है।

अध्यात्म और पर्यटन का संगम

अलीगढ़ नगर निगम ने मंदिर और अचल सरोवर के सौंदर्यीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज यह स्थल न केवल श्रद्धालुओं के लिए बल्कि पर्यटकों के लिए भी एक अद्भुत अनुभव प्रदान करता है।

कहानी अभी जारी है

भारत के ऐसे कई मंदिर हैं, जिनका इतिहास और धार्मिक महत्व किसी अद्भुत कहानी से कम नहीं। ये मंदिर हमारी संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को जीवंत बनाए रखते हैं।

लेखक- पूनम गुप्ता