Shradh 2019 Start Date, श्राद्ध पक्ष 2019: भाद्रपद की पूर्णिमा एवं आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से अमावस्या तक का समय पितृ पक्ष कहलाता है। साल 2019 में पितृ पक्ष 14 सितंबर से शुरु होकर 28 सितंबर तक रहने वाले हैं। पूर्णिमा श्राद्ध 13 सितंबर 2019 को और सर्वपितृ अमावस्या 28 सितंबर 2019 को है। हिंदू धर्म के लोगों के लिए इन दिनों का खास महत्व होता है। बह्म पूराण के अनुसार देवताओं को प्रसन्न करने से पहले मनुष्य को अपने पितृों यानी की पूर्वजों की पूजा करनी चाहिए। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि पितरों की पूजा से देवता प्रसन्न होते हैं। इसी कारण भारतीय समाज में जीवित रहते हुए बड़े बुजुर्गों का आदर और मरणोपरांत उनका श्राद्ध किया जाता है।

पितृ पक्ष का महत्व: कहा जाता है कि पितृ पक्ष में विधि विधान पितरों का तर्पण करने से उन्हें मुक्ति मिल जाती है और अगर पितरों का सही से तर्पण नहीं किया जाये तो उन्हें मुक्ति नहीं मिलती जिससे पितृ दोष लग जाता है। ज्योतिष अनुसार भी पितृ दोष काफी अहम माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस जातक की कुंडली में पितृ दोष बन जाए तो सफलता के करीब पंहुचकर भी सफलता नहीं मिलती और कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिये पितृदोष से मुक्ति के लिये भी पितरों की शांति जरूरी मानी गई है।

किस दिन करें पूर्वजों का श्राद्ध: श्राद्ध तीन प्रकार के होते हैं। एक तो नित्य श्राद्ध तो मृतक की निधन तिथि के दिन किया जाता है। दूसरा नैमित्तिक श्राद्ध जो किसी विशेष शुभावसरों पर पितरों के लिए वस्त्रादि-भोजनादि निकाला जाता है, उसको नैमित्तिक श्राद्ध कहते हैं। तीसरा काम्य श्राद्ध अपने पूर्वजों से मनोवांछित फलों की प्राप्ति होने पर जो श्राद्ध कर्म किया जाता है, उसको काम्य कहते हैं। वैसे तो प्रत्येक मास की अमावस्या को पितरों की शांति के लिये पिंड दान या श्राद्ध कर्म किये जाते हैं लेकिन पितृ पक्ष में श्राद्ध करना काफी महत्वपूर्ण माना गया है। लेकिन पितृ पक्ष में किस दिन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाए, इसे लेकर विधान है कि जिस पूर्वज, पितृ या परिवार के मृत सदस्य के निधन की तिथि याद हो तो पितृपक्ष में पड़ने वाली उक्त तिथि को उनका श्राद्ध करना चाहिये। लेकिन अगर तिथि न पता हो तब आश्विन अमावस्या को श्राद्ध किया जा सकता है इसे सर्वपितृ अमावस्या भी इसलिये कहा जाता है।