Shiv Panchakshar Stotram: भगवान शिव को बहुत भोला माना जाता है। बताया जाता है कि उन्हें प्रसन्न करना अत्यंत सरल है। भगवान शिव के भक्त इच्छा पूर्ति के लिए विभिन्न व्रत-उपवास करते हैं। कहते हैं कि श्रद्धा से भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा करने से सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं।

ऐसी मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति सही विधि और श्रद्धा-विश्वास के साथ भगवान शिव के शिव पंचाक्षर स्तोत्र (Shiv Panchakshar Stotra in Hindi) का पाठ करता है तो उस व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस स्तोत्र में भगवान शिव के स्वरुप के बारे में बताया गया है। कहते हैं कि भगवान शिव के समक्ष इस स्तोत्र का पाठ करने से वह प्रसन्न होते हैं।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र पाठ की विधि (Shiv Panchakshar Stotra Paath Ki Vidhi)
सूर्योदय होने पर स्नान करें। एक चौकी लें। उस पर सफेद कपड़ा बिछाएं। साथ ही सफेद रंग का आसन बिछाएं।
अब इस पर भगवान शिव की प्रतिमा स्थापित करें। इस पर गंगा जल की छींटे मारकर स्थान पवित्र करें।
उन्हें सफेद फूलों का हार अर्पित करें। फिर सफेद गोपी चंदन का तिलक लगाएं।
फिर सरसों के तेल का दीपक जलाकर भगवान शिव का ध्यान करें।

इसके बाद शिव चालीसा का पाठ करें।
अब शिव जी के मंत्रों का जाप करें। आप चाहें तो भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र – ‘ओम नम: शिवाय’ का 11 माला जाप कर सकते हैं।
फिर भगवान शिव का ध्यान करते हुए इस स्तोत्र का पाठ करें।
पाठ होने के बाद उन्हें फल या मिठाई का भोग लगाकर स्वयं प्रसाद लें।

शिव पंचाक्षर स्तोत्र (Shiv Panchakshar Stotra)
नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:।।

मंदाकिनी सलिल चंदन चर्चिताय नंदीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय।
मंदारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय तस्मे म काराय नम: शिवाय:।।

शिवाय गौरी वदनाब्जवृंद सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।
श्री नीलकंठाय वृषभद्धजाय तस्मै शि काराय नम: शिवाय:।।

वषिष्ठ कुभोदव गौतमाय मुनींद्र देवार्चित शेखराय।
चंद्रार्क वैश्वानर लोचनाय तस्मै व काराय नम: शिवाय:।।

यज्ञस्वरूपाय जटाधराय पिनाकस्ताय सनातनाय।
दिव्याय देवाय दिगंबराय तस्मै य काराय नम: शिवाय:।।

पंचाक्षरमिदं पुण्यं य: पठेत शिव सन्निधौ।
शिवलोकं वाप्नोति शिवेन सह मोदते।।

नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।
नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे ‘न’ काराय नमः शिवायः।।