Shattila Ekadashi Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि की अहमियत बहुत अधिक है। हर महीने में 2 एकादशी होती है, कुल मिलाकर साल भर में 24 एकादशी पड़ती है। इस शुभ दिन पर भक्त व्रत रखतें या पूरी श्रद्धा से पूजा-अर्चना करते हैं। बता दें कि भगवान विष्णु को ये तिथि बेहद प्रिय है। उन्हें प्रसन्न करने के लिए भक्त इस दिन उपवास करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार माघ कृष्ण पक्ष की एकादशी को षट्तिला एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस बार ये व्रत 7 फरवरी को रखा जाएगा। वहीं कई जगह इसे तिल्दा या फिर षटिला एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। आइए जानते हैं विस्तार से –

महत्व: षट्तिला एकादशी को धार्मिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन स्नान-दान व जरूरतमंदों को भोजन कराने से पुण्य की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में ऐसा वर्णित है कि जप-तप व दान से जितना फल मिलता है, उतना पुण्य भक्तों को ये व्रत करने से भी मिल जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रख भगवान विष्णु की सच्चे मन से अराधना करने से जीवन में सुख समृद्धि आती है और देह त्यागने के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है। ज्योतिषाचार्यों का कहना है कि भगवान विष्णु की मूर्ति को इस दिन पंचामृत में तिल मिलाकर स्नान कराना लाभकारी हो सकता है।

पूजा विधि: इस एकादशी पर दशमी के दिन से ही व्रत शुरू हो जाता है। दशमी के दिन सबसे पहले गाय के गोबर में तिल मिलाकर 108 उपले बना लें। एकादशी व्रत-संकल्प के समय इन्हीं उपलों से श्रीहरि विष्णु की पूजा करें। पूजा के दौरान भगवान को धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं। फिर नारायण को स्मरण उन्हें तिल अर्पित करें। उड़द व तुलसी का भगवान को भोग लगाएं।

तिल का इस्तेमाल: इसमें तिल को 6 तरीकों से इस्तेमाल किया जाता है। जल में तिल मिलाकर स्नान करें, तिल से बने प्रसाद ग्रहण करें। इस दिन तिल से हवन और उससे बने उबटन, तिलोदक और तिल का दान करना शुभ है। विद्वान मानते हैं कि सर्दियों के खत्म होने का प्रतीक होती है ये एकादशी। इसलिए तिल खाने से शरीर को फायदा होता है। साथ ही, पितृ-तर्पण में भी तिल का इस्तेमाल करना इस दिन लाभप्रद है।

जानें शुभ मुहूर्त: 

एकादशी तिथि की शुरुआत: 07 फरवरी 2020 को शाम 06 बजकर 26 मिनट से

एकादशी तिथि की समाप्ति: 08 फरवरी 2020 को रात 04 बजकर 47 मिनट तक

पारण की तिथि: 08 फरवरी 2020 को दोपहर 01 बजकर 42 मिनट से दोपहर 03 बजकर 54 मिनट तक