Navrartri 2025: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है, जो वर्ष में चार बार मनाया जाता है। इसका अर्थ है – नौ रातें। इन नौ रातों और दस दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि शक्ति की देवी मां दुर्गा को समर्पित है। इसे सत्य की असत्य पर विजय और धर्म की अधर्म पर जीत का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। हर साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि के साथ शारदीय नवरात्रि का आरंभ होता है। नवरात्रि मां दुर्गा और शक्ति की उपासना का पर्व है, जो जीवन में साहस, शांति, समृद्धि और आध्यात्मिक शक्ति का संचार करता है। नवरात्रि के पावन अवसर पर वैश्विक मानवतावादी और अध्यात्मिक पथ प्रदर्शक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी इन अद्भुत ज्ञान के मोतियों से आपको आंतरिक शक्ति एवं भक्ति से भर देते हैं…
- “जहाँ नवरात्रि को अच्छाई पर बुराई की जीत के रूप में मनाया जाता है, वेदान्तीय दृष्टिकोण से यह प्रकट द्वैत पर परम सत्य की विजय है।”
- “जब तुच्छता की जगह उदारता ले लेती है, निर्दयता की जगह करुणा, निरर्थक आलोचना की जगह रचनात्मक समीक्षा और पूर्वाग्रह की जगह समझदारी, तभी असली विजयदशमी आती है।”
- “ब्रह्मांड का स्रोत जितना विविध है उतनी ही उसकी अभिव्यक्तियाँ विविध हैं; नवरात्रि इसी वैविध्य का उत्सव है — हमारे स्रोत और लक्ष्य का उत्सव।”
- “दिव्यता हर जगह व्याप्त है पर वह सुप्त रहती है; पूजा वह प्रक्रिया है जो इसे जगाती है।”
- “नवरात्रि नाम-रूपों की बाह्य दुनिया से सूक्ष्म ऊर्जाओं की ओर, और अंततः हमारे भीतर के आत्म-स्रोत तक पहुंचने की यात्रा है।”
- “आप अधिक कब देखते हैं — दिन में या रात में ? दिन की रोशनी पास की वस्तुएं दिखाती है, पर रात अनगिनत आकाशगंगाएँ उजागर करती है। इन नौ रातों में विश्राम करें और अपने आंतरिक ब्रह्मांड को खुलते हुए देखें।”
- “जैसे गर्भ में बच्चे का विकास नौ माह में होता है, वैसे ही नवरात्रि की नौ रातें हमें हमारे स्रोत की ओर लौटकर विश्राम और नवजीवन पाने का अवसर देती हैं।”
- “पूजा से निकलने वाली ऊर्जा करुणा उत्पन्न करती है, आत्म-साक्षात्कार के निकट ले आती है और संसार में सफलता भी दिलाती है।”
- “मन और ब्रह्मांड सूक्ष्म शक्तियों से संचालित है; नवरात्रि के समय स्थूल और सूक्ष्म जगत के बीच का संबंध और स्पष्ट हो उठता है।”
- “मातृदिव्यता अर्थात् पवित्र चेतना सभी रूपों में व्याप्त है और उसके अनेक नाम हैं; हर रूप और नाम में उसी एक दिव्यता को पहचानना ही नवरात्रि है।”
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, 28 सितंबर को तुला राशि में रहकर मंगल दिग्बली होने वाले हैं। ऐसे में कुंभ राशि में मौजूद राहु और मिथुन राशि में मौजूद गुरु एक-दूसरे से त्रिकोण में होंगे, जिससे काम त्रिकोण नामक योग का निर्माण होगा। ऐसे में 12 राशियों के जीवन में किसी न किसी तरह से प्रभाव देखने को मिलेगा, लेकिन इन तीन राशि के जातकों को विशेष लाभ मिल सकता है। जानें इन लकी राशियों के बारे में
डिसक्लेमर- इस लेख को विभिन्न माध्यमों जैसे ज्योतिषियों, पंचांग, मान्यताओं या फिर धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है। इसके सही और सिद्ध होने की प्रामाणिकता नहीं दे सकते हैं। इसके किसी भी तरह के उपयोग करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।