Shardiya Navratri 5th Day, Maa Kushmanda Vrat Katha in Hindi: शारदीय नवरात्रि के पांचवें दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। तृतीया तिथि दो दिन होने के कारण आज मां कूष्मांडा जी की पूजा की जाएगी। मां कूष्मांजा को सूर्य के समान तेजस्वी माना गया है। मां कूष्मांडा का स्वरूप भक्तों को कर्मयोग अपनाने और जीवन में प्रकाश व ऊर्जा अर्जित करने की प्रेरणा देता है। उनकी मधुर मुस्कान जीवनी शक्ति का संचार करती है और हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए सफलता पाने की राह दिखाती है। भगवती दुर्गा का यह स्वरूप अपनी मंद मुस्कान से ब्रह्मांड की उत्पत्ति के लिए जाना जाता है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था और चारों ओर अंधकार व्याप्त था, तब देवी कूष्मांडा ने ब्रह्मांड की रचना की। इस कारण इन्हें सृष्टि की आदि-स्वरूपा और आदि शक्ति कहा जाता है। आइए जानते हैं मां कूष्मांडा की व्रत कथा…
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं। इनमें से सात हाथों में वे कमंडल, धनुष-बाण, कमल-पुष्प, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा धारण किए हुए हैं, जबकि आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को प्रदान करने वाली जपमाला सुशोभित रहती है।
मां कूष्मांडा व्रत कथा (Kushmanda Vrat Katha)
एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब सृष्टि का अस्तित्व तक नहीं था और चारों ओर घोर अंधकार व्याप्त था, तब मां कूष्मांडा ने अपनी दिव्य शक्ति और मंद मुस्कान से पूरे ब्रह्मांड की रचना की। इसी कारण इन्हें सृष्टि की आदि-स्वरूपा और आदिशक्ति कहा जाता है। उनका निवास स्थान सूर्यमंडल के मध्य लोक में माना गया है। यहां निवास करने की क्षमता और सामर्थ्य केवल मां कूष्मांडा में ही है।
मां कूष्मांडा का तेज और कांति स्वयं सूर्य के समान दैदीप्यमान है। उनकी आभा से समस्त लोक प्रकाशित हो जाते हैं। मान्यता है कि मां कूष्मांडा की उपासना करने से भक्तों के समस्त रोग-शोक, कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं। साथ ही जीवन में आयु, यश, बल, आरोग्य और समृद्धि की वृद्धि होती है।
मां कूष्मांडा का स्वरूप विशेष रूप से करुणामयी माना गया है। वे अत्यल्प सेवा और साधना से भी शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। यही कारण है कि नवरात्रि के चौथे दिन उनका पूजन विशेष महत्व रखता है। जो भक्त श्रद्धा और भक्ति के साथ मां की आराधना करता है, उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सफलता और खुशहाली का संचार होता है।
मां कूष्मांडा की उपासना से साधक को न केवल सांसारिक सुख-समृद्धि मिलती है, बल्कि आत्मबल, आत्मविश्वास और आध्यात्मिक प्रगति भी प्राप्त होती है।
सितंबर माह के चौथे सप्ताह शारदीय नवरात्रि के साथ आरंभ हो रहा है। इसके साथ ही इस सप्ताह महालक्ष्मी, सूर्य ग्रहण से लेकर समसप्तक, षडाष्टक, गजलक्ष्मी, नवपंचम, महालक्ष्मी जैसे राजयोगों का निर्माण हो रहा है। ऐसे में कुछ राशि के जातकों को इस सप्ताह विशेष लाभ मिल सकता है। आइए जानते हैं मेष से लेकर मीन राशि तक के जातकों का कैसा बीतेगा ये सप्ताह। जानें साप्ताहिक टैरो राशिफल
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