Sharad Purnima 2020 Date, Puja Vidhi, Muhurat, Timings: इस साल शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर, शुक्रवार को मनाई जाएगी। शास्त्रों में इस दिन का महत्व बहुत अधिक बताया जाता है। कहते हैं कि इस दिन माता महालक्ष्मी की उपासना करने से धन वृद्धि होती है। मान्यता है कि सही विधि से देवी की आराधना करने वाले भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है।
शरद पूर्णिमा पूजा विधि (Sharad Purnima Puja Vidhi)
शरद पूर्णिमा के दिन सूर्योदय से पहले उठकर साफ वस्त्र पहनें। एक चौकी लें। उस पर गंगाजल की छींटें मारकर स्थान पवित्र करें। इस पर लाल रंग का वस्त्र बिछाकर महालक्ष्मी सहित भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें। घी का दीपक जलाएं। भगवान विष्णु और माता महालक्ष्मी को कुमकुम का तिलक लगाएं।
देवी लक्ष्मी को कमलगट्टे की माला अर्पित करें। अगर आप चाहें तो लाल पुष्पों की माला भी चढ़ा सकते हैं। साथ ही भगवान विष्णु को पीले रंग के फूलों की माला चढ़ाएंं। महालक्ष्मी के आठ स्वरूपों – धन लक्ष्मी, विजय लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, आधी लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, वीर लक्ष्मी और धान्य लक्ष्मी माता को प्रणाम करें। अब 4 कटोरियों में खीर का भोग रखें। महालक्ष्मी स्तोत्र, लक्ष्मी नारायण हृदय स्तोत्र, विष्णु स्तुति और कनकधारा स्तोत्र का पाठ करें।
पूरी रात खीर के कटोरे या कटोरियों को चंद्रमा की रोशनी में छलनी से ढककर रखा रहने दें। अगले दिन स्नान कर महालक्ष्मी और भगवान विष्णु की उपासना कर घर के सभी सदस्यों में इसका भोग बांटें। कहते हैं कि शरद पूर्णिमा की रात चांद की रोशनी में रखी खीर खाने से आरोग्य की प्राप्ति होती है। यह मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात महालक्ष्मी के मंत्रों का जाप करने से घर में धन वर्षा के योग बनते हैं।
शरद पूर्णिमा पूजा का शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima Puja Ka Shubh Muhurat)
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त – 30 अक्टूबर, शुक्रवार – शाम 05 बजकर 26 मिनट से शाम 06 बजकर 55 मिनट तक।
निशिता पूजा शुभ मुहूर्त – 30 अक्टूबर, शुक्रवार – रात 11 बजकर 42 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक।
खीर का कटोरा चांद की रोशनी में निशिता मुहूर्त में माता मातालक्ष्मी का ध्यान कर रखें।
शरद पूर्णिमा मंत्र/ महालक्ष्मी मंत्र (Sharad Purnima Mantra/ Laxmi Puja Mantra)
ओम लक्ष्मी नम:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!
अमृत और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शरद पूर्णिमा की रात भगवान की आराधना करें और महिलाओं के प्रति सम्मान दिखाएं। इससे घर में समृद्धि के साथ ही सुख और उल्लास का आशीर्वाद मिलता है।
शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा वाली रात होती है। इस रात घरों में खुले आकाश के नीचे खीर और मीठे पकवान बनाकर रखने से उसमें अमृत की बूंदें गिरती हैं। सुबह इस खीर काे पूरे श्रद्धाभाव से ग्रहण करने से अमरत्व की प्राप्ति होती है।
शरद पूर्णिमा की रात पूर्ण चंद्रमा की रात होती है। इस दिन रात में चंद्रमा की ओर देखना न केवल आंखों को अच्छा लगता है, बल्कि मन में शांति और भाव में सरलता और आंखों में प्रकाश और मस्तिष्क मे उत्साह और ऊर्जा का संचार करता है।
शरद पूर्णिमा की रात में अमृत की बूंदों के गिरने से लोग खुले आकाश के नीचे बैठकर जागरण करते हैं। आज की रात जागरण से लक्ष्मी की कृपा बरसती है। घर में संपन्नता आती है और भगवान का आशीर्वाद मिलता है।
शरद पूर्णिमा की रात आकाश से अमृत वर्षा होती है। इस मौके पर घरों में खीर और अन्य मीठे पकवान बनाकर छतों पर रखने से उसमें अमृत की बूंदें गिरती है। लोगों ने अपने घरों पर खीर को रख दिया है।
शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं, इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन लक्ष्मी पूजन करने से सभी प्रकार के कर्जों से मुक्ति मिलती है.
शास्त्रों में इस दिन का महत्व बहुत अधिक बताया जाता है। कहते हैं कि इस दिन माता महालक्ष्मी की उपासना करने से धन वृद्धि होती है। मान्यता है कि सही विधि से देवी की आराधना करने वाले भक्तों पर उनकी कृपा बरसती है। शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद देव अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं। इस दिन चंद्र देव अमृत वर्षा के रूप मे आपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर रोशनी से करते हैं।
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का उदय पांच शुभ योगों में होगा. जिनके प्रभाव से अच्छी सेहत और धन लाभ होगा. पूर्णिमा पर तिथि, वार और नक्षत्र से मिलकर सर्वार्थसिद्धि योग बन रहा है. इस योग में किए गए सभी काम सिद्ध होते हैं और मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं. साथ ही लक्ष्मी, शंख, महाभाग्य और शश नाम के 4 राजयोग योग बनने से ये दिन और भी खास रहेगा. इस पर्व पर बृहस्पति और शनि का अपनी-अपनी राशियों में होना भी शुभ संयोग है
ओम लक्ष्मी नम:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!
सनातन धर्म में पूजा में पान के प्रयोग को बहुत महत्व दिया जाता है क्योंकि पान के पत्ते को बहुत पवित्र और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. इसलिए शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करें और उनको पान अर्पित करें
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर को शाम 05:45 से हो रहा है. जो अगले दिन 31 अक्टूबर को 08:18 मिनट तक रहेगा
शरद पूर्णिमा में माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. उनके आठ रूप हैं, जिनमें धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, राज लक्ष्मी, वैभव लक्ष्मी, ऐश्वर्य लक्ष्मी, संतान लक्ष्मी, कमला लक्ष्मी एवं विजय लक्ष्मी है. सच्चे मन से मां की अराधना करने वाले भक्तों की सारी मुरादें पूरी होती हैं
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह उठ जाएं और स्नान आदि कर लें. घर के मंदिर को साफ करके माता लक्ष्मी और श्री हरि के पूजन की तैयारी कर लें. इसके लिए एक चौकी पर लाल या पीले रंग का वस्त्र बिछाएं. इस पर माता लक्ष्मी और विष्णु जी की मूर्ति स्थापित करें. प्रतिमा के सामने घी का दीपक जलाएं, गंगाजल छिड़कें और अक्षत, रोली का तिलक लगाएं. सफेद या पीले रंग की मिठाई से भोग लगाएं और पुष्प अर्पित करें. यदि गुलाब के फूल हैं तो और भी अच्छा है
पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की रोशनी में खीर रखकर अगले दिन उसका सेवन करने का विधान है. खीर कम से कम चार घंटे चंद्रमा की रोशनी में रखना चाहिए. इससे उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं. खीर में कीड़े न पड़ें उसके लिए सफेद झीने वस्त्र से ढकना चाहिए. अगले दिन भगवान लक्ष्मीनारायण को भोग लगाने के बाद प्रसाद स्वरूप ग्रहण करना चाहिए.
शरद पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है. चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं
मान्यता के अनुसार एक साहूकार की दो बेटियां थीं. दोनों पूर्णिमा का व्रत रखती थीं. साहूकार की एक बार बड़ी बेटी ने पूर्णिमा का विधिवत व्रत किया, लेकिन छोटी बेटी ने व्रत छोड़ दिया, जिससे छोटी लड़की के बच्चों की जन्म लेते ही मृत्यु हो जाती थी. एक बार साहूकार की बड़ी बेटी के पुण्य स्पर्श से छोटी लड़की का बालक जीवित हो गया. कहा जाता है कि उसी दिन से यह व्रत विधिपूर्वक मनाया जाने लगा.
शरद पूर्णिमा के दिन सुबह स्नान आदि करने के बाद एक साफ चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर मां लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें. इसके बाद अब लक्ष्मी जी विधि-विधान से पूजा करके लक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें. मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन इस स्तोत्र का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं.
पूजा के समय दिया जलाने के लिये गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा पूजन में रोली, कुमकुम, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, चौकी, कलश, मां लक्ष्मी व भगवान श्री गणेश जी की प्रतिमा या चित्र, आसन, थाली, चांदी का सिक्का, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, दीपक, रुई, मौली, नारियल, शहद, दही गंगाजल, गुड़, धनियां, जौ, गेंहू, दुर्वा, चंदन, सिंदूर, सुगंध के लिये केवड़ा, गुलाब अथवा चंदन के इत्र ले सकते हैं
मां लक्ष्मी की पूजा के लिये सामग्री अपने सामर्थ्य के अनुसार जुटा सकते हैं. मां लक्ष्मी को जो वस्तुएं प्रिय हैं उनमें लाल, गुलाबी या फिर पीले रंग का रेशमी वस्त्र लिया जा सकता है. वहीं, कमल और गुलाब के फूल भी मां को बहुत प्रिय हैं. फल के रुप में श्री फल, सीताफल, बेर, अनार और सिंघाड़े भी मां को पसंद हैं. मां लक्ष्मी पूजा में अनाज में चावल घर में बनी शुद्ध मिठाई, हलवा, शिरा का नैवेद्य उपयुक्त है
आज का दिन बेहद खास है. आज की रात चंद्रमा की किरणें अमृत छोड़ती है. इसलिए आज चंद्रमा की रोशनी में खीर रखने का खास महत्व है. शरद पूर्णिमा की खीर को चांदी के बर्तन में रखना ज्यादा उत्तम रहता है. चांदी का बर्तन न होने पर किसी भी पात्र में उसे रख सकते हैं
शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त - 30 अक्टूबर, शुक्रवार - शाम 05 बजकर 26 मिनट से शाम 06 बजकर 55 मिनट तक।
निशिता पूजा शुभ मुहूर्त - 30 अक्टूबर, शुक्रवार - रात 11 बजकर 42 मिनट से रात 12 बजकर 27 मिनट तक।
खीर का कटोरा चांद की रोशनी में निशिता मुहूर्त में माता मातालक्ष्मी का ध्यान कर रखें।
सायंकाल में लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम समय है। पूजन में गंगाजल, तिल, जौ, अक्षत, चंदन, रक्तचंदन, रौली, मौली, बिल्वपत्र, खीर आदि से पूजन करने से लक्ष्मीजी की कृपा बनी रहती है।
आश्विन शुक्ल पक्ष के पूर्णिमा अर्थात शरद पूर्णिमा को ही भगवान श्रीकृष्ण ने महारास करके समस्त प्राणियों को आध्यात्मिकता का संदेश दिया था। तभी से यह महोत्सव के रूप में मनाए जाने लगा।
पौराणिक कथा के अनुसार इस पर्व को सबसे पहले भगवान राम के वनवास से लौटने के बाद कोजगरा के रूप में मनाया गया था। तब से मिथिलांचल में इस पर्व को मनाने की परंपरा कायम है। वैसे कोजगरा शब्द का अर्थ होता है जागते रहो। उन्होंने कहा कि मान्यता है कि समुंद्र मंथन से निकली अमृत की वर्षा कोजागरा की रात ही हुई थी। इसलिए इस रात खुले आसमान के नीचे जागते रहने से आसमान से होने वाली अमृत की वर्षा शरीर पर पड़ती है, जिससे सभी रोगों का नाश होता है।
आश्विन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को कोजागरा पर्व लक्ष्मी पूजन के नाम से मनाया जाता है। इसको शरद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन प्रदोषकाल में लक्ष्मीजी का पूजन किया जाता है। इस दिन घर की पूरी तरह साफ-सफाई कर पूजन किया जाना चाहिए। सायंकाल में घर के द्वार पर हव्यवाहन, पूणेन्दु, सभार्यरूद्र, स्कन्द, नंदीश्वरमुनि, सुरभि, निकुंभ, लक्ष्मी, कुबेर, इंद्र का पूजन करें।
ओम लक्ष्मी नम:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!
शरद पूर्णिमा का चंद्रमा होता है लुभावना
पूरी करें आपकी सभी मनोकामना
मां लक्ष्मी का भरपूर आशीर्वाद बरसे
शरद पूर्णिमा की हार्दिक बधाइयां
शुभ शरद पूर्णिमा
चांद सी शीतलता, शुभ्रता, कोमलता, उदारता, प्रेमलता
आपको और आपके परिवार को प्रदान हो
शरद पूर्णिमा की शुभकामनाएं…
शरद पूर्णिमा की रात लेकर आती है अपने साथ अमृत वर्षा
जो भर देती है हमारे जीवन को सुख और समृद्धि से
आशा है ये त्योहार आपके जीवन में नई उमंग लेकर आए
आप सभी को शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं…
शरद पूर्णिमा का चांद सबसे सुंदर होता है
और सबसे ज्यादा आशीर्वाद देता है
आशा है इस रात आप सभी पर
चंद्रमा का भरपूर आशीर्वाद बरसे.
घर में धन की बरसात हो,
लक्ष्मी का वास हो
सभी संकटों का नाश हो,
मन में सदा शांति का वास हो
शरद पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं
मंत्र- ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ऊँ महालक्ष्मयै नम:।
ओम लक्ष्मी नम:।
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम:।
पद्मानने पद्म पद्माक्ष्मी पद्म संभवे तन्मे भजसि पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्।
ॐ ह्रीं ह्रीं श्री लक्ष्मी वासुदेवाय नम:!
कहते हैं कि शरद पूर्णिमा के दिन माता महालक्ष्मी अत्यंत प्रसन्न होती हैं। मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से उनकी पूजा करता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होने के साथ ही धन प्राप्ति के भी योग बनते हैं।
'ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने ।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।।'
'ॐ नमः भगवते वासुदेवाय कृष्णाय क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः।'
'हरे कृष्ण हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम, राम-राम हरे हरे।'
हिंदू पंचांग में शरद पूर्णिमा की तिथि को बहुत शुभ माना जाता है। कहते हैं कि शुभ कार्यों को करने के लिए यह दिन अच्छा साबित होता है। इस दिन माता महालक्ष्मी, श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की कृपा रहती है।
दधि शंख तुषारामं क्षीरोदार्णव सम्भवम्।
नमामि शशिनं भक्तया शम्भोर्मकुट भूषणम्।।
शरद पूर्णिमा की पूजा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए। इस बार पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 26 मिनट से शाम 6 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।