Shani Sadesati: ज्योतिष शास्त्र में यह माना जाता है कि ग्रहों का प्रभाव मानव जीवन पर पड़ता है। विद्वानों का मानना है कि सभी ग्रहों की तरह ही शनि ग्रह का भी मानव जीवन पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ता है। शनि ग्रह एक ऐसा ग्रह है जिसे न्याय देने वाला माना गया है।
कहते हैं कि व्यक्ति जाने-अनजाने में जो पाप कर्म करता है शनि देव उसे उसके दुष्कर्मों की सजा देते हैं। कई बार लोग यह समझ नहीं पाते हैं कि उनके किस कर्म की सजा उन्हें मिल रही है। ऐसे में यह बहुत जरूरी हो जाता है कि दुष्प्रभावों से बचने के लिए शनि साढ़ेसाती के ज्योतिष शास्त्र में बताे उपायों का सहारा लिया जाए।
शनि साढ़ेसाती के उपाय (Shani Sadesati Ke Upay)
शनि साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से बचने के लिए हर शनिवार काले रंग के कपड़े पर बैठकर शनि स्तोत्र और शनि चालीसा का पाठ करें। इसके बाद शनि देव के मंदिर में जाकर उनकी आरती करें।
शनिवार की शाम को काले रंग के कुत्ते को काले चने खिलाएं। साथ ही संभव हो तो गरीब या जरूरतमंदों को भी काले रंग का पेय पदार्थ या काले रंग के चने दान करें।
एक काले रंग का मटका लें। उसमें दो किलो काले चने या काली उड़द की दाल डालें। अब उस मटके को हाथ में लेकर शनि देव के रूप का ध्यान करें। फिर शनि देव के मंत्र की दो माला जाप करें। फिर इस मटके को किसी गरीब या जरूरतमंद को दान करें।
अपने बाएं पैर में काले रंग का धागा बांधें। हर शनिवार काले रंग के कपड़े दान करें। अगर संभव ना हो पाए तो काले रंग के रुमाल का भी दान कर सकते हैं।
एक कटोरी में सरसों का तेल डालें। अब उसमें अपनी छवि देखें। अब इस तेल का शनि देव के मंदिर में जाकर दीपक जलाएं। आप चाहें तो इसे किसी को दान भी कर सकते हैं।
रोजाना पक्षियों को सात प्रकार का अनाज दान करें। साथ ही संभव हो तो कुष्ठ रोगियों की सेवा करें। जानकारों का मानना है कि कुष्ठ रोगियों की सेवा करने से बहुत जल्द शनि साढ़ेसाती के प्रकोप से बचा जा सकता है।