Shani Sadesati Ke Upay: ऐसा माना जाता है कि शनि साढ़ेसाती के केवल नकारात्मक प्रभाव ही झेलने पड़ते हैं। लेकिन ज्योतिष शास्त्र कहता है कि यह गलत धारणा है। बताया जाता है कि शनि साढ़ेसाती सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार के फल प्रदान करती हैं।
कहा जाता है कि यह व्यक्ति के कर्मों पर निर्भर करता है कि शनि उसे किस प्रकार के फल प्रदान करते हैं। ऐसी मान्यता है कि शनि न्याय प्रिय देवता हैं इसलिए वह किसी के भी साथ अन्याय नहीं करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में ऐसी मान्यता है कि शनि साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों से बचने के लिए उपाय किए जाए तो इनसे बचा जा सकता है।
शनि साढ़ेसाती के उपाय (Shani Sadesati Ke Upay)
शनि साढ़ेसाती के दुष्प्रभावों (Shani Sadesati Negative Effects) से बचने के लिए हर शनिवार और अमावस्या के दिन एक कटोरी सरसों का तेल लें। उस तेल में अपनी छाया देखें। छाया देखने के बाद इस तेल को किसी गरीब जरूरतमंद को दे दें या शनिदेव के मंदिर में इस तेल का दीपक जलाकर आ जाएं।
शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए पीपल के वृक्ष के तले दीपक जलाना बहुत उपयोगी माना जाता है। रोजाना सूर्यास्त के बाद पीपल के पेड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इस उपाय को बहुत खास माना जाता है। कहते हैं कि इससे जल्द ही शनिदेव की कृपा प्राप्त की जा सकती है।
‘ओम प्रां प्रीं प्रों सः श्नेचराय नमः।’ इस मंत्र का रोजाना 108 बार जाप करें। ध्यान रखें कि इस मंत्र का जाप सूर्यास्त के बाद ही किया जाता है। कई विद्वानों का मानना है कि सूर्योदय के समय शनि देव की उपासना करने का फल उतना अधिक नहीं मिलता है जितना सूर्यास्त के बाद मिलता है।
रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें। प्राचीन कथाओं में ऐसा बताया गया है कि शनिदेव में भगवान हनुमान से यह वादा किया है कि वह कभी उस व्यक्ति को दण्ड नहीं देंगे जो श्री हनुमान चालीसा का पाठ करेंगे और सच्चे मन से हनुमान जी की आराधना करेंगे।