सूर्य पुत्र शनिदेव एक राशि में करीब ढाई साल तक विराजमान रहते हैं। ये मकर और कुंभ राशि के स्वामी ग्रह हैं। जो 24 जनवरी से अपनी ही स्वामित्व वाली राशि मकर में गोचर कर रहे हैं। शनिदेव न्याय के देवता माने जाते हैं। इन्हें भगवान शिव ने नवग्रहों के न्यायाधीश का काम सौंपा है। कहा जाता है शनि की ढैय्या और साढ़ेसाती के रूप में ये व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए सावन का महीना काफी उत्तम बताया जाता है। जानिए इस महीने शनि मजबूत करने के लिए क्या उपाय करें…
किन राशि पर है शनि की साढ़े साती? शनि की साढ़े साती इस साल कुंभ वालों पर प्रारंभ हुई है। मकर और धनु वाले पहले से ही इसकी चपेट में थे। 24 जनवरी को शनि के मकर में आते ही धनु राशि वालों पर इसका अंतिम चरण, मकर वालों पर दूसरा चरण तो कुंभ वालों पर पहले चरण की शुरुआत हो चुकी है।
शनि की ढैय्या? शनि के मकर राशि में प्रवेश करते ही वृषभ और कन्या वालों को शनि की ढैय्या से मुक्ति मिल गई थी। तो वहीं मिथुन और तुला वाले शनि की ढैय्या के प्रकोप में चल रहे हैं।
शनि को शांत करने के उपाय? सावन का महीना भगवान शिव का प्रिय माना जाता है। इस महीने भगवान शिव की सच्चे मन से अराधना करने से शनि दोष से राहत मिलती है। भगवान शिव का शहद से अभिषेक करने और उन्हें तिल चढ़ाने से शनिदेव का प्रकोप कम होता है। शनिवार के दिन पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाने से शनि की कृपा बरसती है। मान्यता है कि सावन के शनिवार को एक पान में लोहे की कील, काले तिल और एक रुपया का सिक्का रखकर शनिदेव को चढ़ाने से शनि साढ़े साती का बुरा प्रभाव नहीं पड़ता।
सावन के मंगलवार में भगवान शिव के साथ हनुमान जी की पूजा करने से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। शनि दोष से मुक्ति पाने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करें। शनि को मजबूत करने के लिए शनि वैदिक मंत्र ‘ओम शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्रवन्तु न:’ का जाप करें। शिव सहस्त्रनाम या शिव के पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें। भगवान शिव का पंचाक्षर मन्त्र ‘नमः शिवाय’ है। इसी मन्त्र के ॐ लगा देने पर यह षडक्षर मन्त्र ‘ॐ नम: शिवाय’ हो जाता है।

