Shani Change In 2020: शनि को एक क्रूर ग्रह माना गया है। कहा जाता है जिसकी कुंडली में शनि बिगड़ जाये तो उसे बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। शनि की महादशा बेहद ही कष्टदायी होती है। इसलिए इन्हें प्रसन्न करने के लिए लोग कई तरह के उपाय करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि शनिदेव भगवान हनुमान की अराधना से भी प्रसन्न होते हैं। ऐसा क्यों? इस बारे में जानिए इन पौराणिक कथाओं से…

Shani Sade Sati 2020: 24 जनवरी को बदलेगी शनि की चाल, जानिए शनि साढ़े साती और ढैय्या का प्रभाव

पहली कथा: ये कथा रामायण काल से जुड़ी हुई है। जब हनुमान जी, सीता माता को ढूंढ़ते हुए लंका पहुंच गये थे। तब उन्होंने एक कारागार में शनिदेव को उल्टा लटके देखा। पवनपुत्र ने शनिदेव से उनकी इस दशा की वजह पूछी तो शनि देव ने कहा कि रावण ने योग बल से उनके समेत कई ग्रहों को कैद कर लिया है। यह सुनकर हनुमान जी ने शनिदेव को रावण के कारागार से मुक्त करा दिया। प्रसन्‍न होकर शनिदेव ने हनुमान जी से कोई वरदान मांगने के लिए कहा। हनुमान जी ने वरदान रूप में एक वचन मांग लिया जिसके अनुसार शनिदेव कभी हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करेंगे।

दूसरी कथा: एक बार भगवान हनुमान श्री राम के किसी कार्य में व्यस्त थे। उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे। रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पड़े। अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विघ्न डालने हनुमान जी के पास पंहुच गए। हनुमानजी ने शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऐसा करने से रोका पर शनिदेव नहीं माने। हनुमानजी ने तब शनिदेव जी को अपनी पूंछ से जकड लिया और फिर से राम कार्य करने लगे। कार्य के दौरान वे इधर उधर चहलकदमी भी कर रहे थे। अत: शनिदेवजी को बहुत सारी चोटें आईं।

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शनिदेव ने बहुत प्रयास किया पर हनुमान जी की कैद से खुद को छुड़ा नहीं पाए। उन्होंने विनती की पर हनुमानजी अपने कार्य में खोये हुए थे। जब राम जी का कार्य खत्म हुआ तब उन्हें शनिदेवजी का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को आजाद किया। शनिदेव जी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमानजी से माफी मांगी कि वे कभी भी राम और हनुमान जी के कार्यों में कोई विघ्न नहीं डालेंगे और श्री राम और हनुमान जी के भक्तों को उनका विशेष आशीष प्राप्त होगा।

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