शनि देव का नाम आते ही लोगों के मन में भय उत्पन्न होने लगता है। माना जाता है कि अगर कुंडली में शनि की स्थिति कमजोर हो तो जातक को तमाम तरह के दुख भोगने पड़ते हैं। वहीं अगर शनि मजबूत हैं तो ये आपकी तरक्की और सुखी जीवन का कारक भी बनते हैं। वर्तमान में मकर राशि में शनि की उल्टी चाल चल रही है। 29 सितंबर तक शनि वक्री अवस्था में ही रहेंगे। जो सितंबर तक शनि साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित जातकों को परेशान करेंगे।
किस राशि पर है शनि साढ़े साती और ढैय्या: शनि साढ़े साती की बात करें तो ये धनु, मकर और कुंभ राशि के जातकों पर चल रही है। धनु वालों पर इसका अंतिम चरण, मकर वालों पर दूसरा चरण और कुंभ वालों पर इसका प्रथम चरण चल रहा है। तो वहीं शनि ढैय्या की बात करें तो इसकी चपेट में मिथुन और तुला राशि के जातक हैं।
शनि के प्रकोप से बचने के उपाय: शनि की वक्री चाल ज्योतिष अनुसार अच्छी नहीं मानी गई है। जिसका प्रभाव सभी लोगों पर पड़ता है। लेकिन शनि की उल्टी चाल सबसे अधिक शनि साढ़े साती और शनि ढैय्या से पीड़ित जातकों को परेशान करती है। जानिए शनि के बुरे प्रभावों से बचने के आसान उपाय…
– शनि को मजबूत करने के लिए दोनों समय भोजन में काला नमक और काली मिर्च का प्रयोग करना चाहिए।
– यदि शनि कमजोर है तो मांस-मदिरा का सेवन न करें। शनिवार के दिन बंदरों को भुने हुए चने खिलाएं और मीठी रोटी पर तेल लगाकर काले कुत्ते को खिलाएं।
– कहा जाता है कि शिव की पूजा से भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं। इसलिए प्रतिदिन पूजा करते समय महामृत्युंजय मंत्र ॐ नमः शिवाय का जाप करें।
– शनि के दुष्प्रभाव को दूर करने के लिए शनिवार के दिन काली गाय की सेवा करें और उसे चारा खिलाएं। पहली रोटी उसे खिलाएं, सिंदूर का तिलक लगाएं, सींग में मौली बांधकर लड्डू खिलाएं और गाय के चरण स्पर्श करें।
– प्रत्येक शनिवार को बरगद या पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पूर्व कड़वे तेल का दीपक जलाएं और उसे शुद्ध कच्चा दूध एवं धूप अर्पित करें।
– शनिवार को ही अपने हाथ के नाप का 29 हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको मांझकर माला की तरह गले में पहनें।
शनि का वैदिक मंत्र:
ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये।
शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
शनि का तांत्रिक मंत्र:
ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
शनि का बीज मंत्र:
ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।