ज्योतिष शास्त्र में 12 राशियों और नौ ग्रहों का अध्ययन किया जाता है। हर राशि के अपना एक स्वामी ग्रह होता है। लेकिन इन सभी नौ ग्रहों में शनि ग्रह का विशेष महत्व है। कर्म फलदाता शनिदेव मनुष्यों के कर्मों का हिसाब करते हैं। वह उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं यानि अच्छे कर्म करने वालों को अच्छा फल और बुरे कर्म करने वालों को शनि के प्रकोप का सामना करना पड़ता है। शनि की कु दृष्टि जिस पर भी पड़ती है उसका विनाश हो जाता है। ज्योतिष शास्त्र में शनि की चाल बहुत धीमी बताई गई है।

शनि ग्रह ढाई साल तक एक ही राशि में रहते हैं, उसके बाद दूसरी राशि में गोचर करते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि का राशि परिवर्तन काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। बता दें, फिलहाल शनिदेव मकर राशि में विराजमान हैं। वैसे तो शनि ढाई साल में अपनी राशि बदलते हैं लेकिन 2022 में शनि दो बार राशि परविर्तन करेंगे। सबसे पहले 29 अप्रैल को शनि मकर से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। हालांकि कुछ ही महीनों बाद 12 जुलाई को शनि वक्री अवस्था में फिर से मकर राशि में आ जाएंगे।

बता दें, पहले शनि के राशि परिवर्तन से केवल 5 राशियां ही साढ़े साती और शनि ढैय्या से प्रभावित होती थीं लेकिन साल 2022 में 8 राशियां इससे प्रभावित होंगी।

इन राशियों पर शुरू होगी साढ़ेसाती और ढैय्या: मौजूदा स्थिति में धनु, मकर और कुंभ राशि पर साढ़ेसाती चल रही है तो वहीं मिथुन और कन्या राशि पर ढैय्या चल रही है। 29 अप्रैल को शनि के परिवर्तन के साथ धनु राशि के जातकों को तो साढ़ेसाती से मुक्ति मिल जाएगी, साथ ही मीन पर साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश से मीन, कुंभ और मकर राशि पर शनि की साढ़ेसाती तथा कर्क और वृश्चिक राशि पर शनि की ढैय्या लगेगी।

हालांकि 12 जुलाई 2022 को शनि अब बार फिर से वक्री होकर मकर राशि में गोचर करेंगें, इससे इन राशियों मीन, कुंभ, मकर, कर्क और वृश्चिक राशियों को कुछ समय के लिए शनि के प्रकोप से राहत मिल जाएगी।