Shani Sade Sati: वैदिक ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह का सबसे अधिक महत्व होता है, क्योंकि यह ग्रह एक राशि में करीब ढाई साल रहता है क्योंकि यह सबसे धीमी गति से चलता है। माना जाता है कि शनि व्यक्ति को उसके कर्मों के हिसाब से फल देते हैं। ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में शनि की साढ़े साती और ढैय्या, महादशा या फिर स्थिति कमजोर है, तो उसे कई तरह के मानसिक, शारीरिक और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

शनि की साढ़े साती और ढैय्या की बात करें, तो यह ऐसे चरण होते हैं जिसमें व्यक्ति की पूरी किस्मत तक पलट जाती है। इसी के कारण इस दशा को सबसे खराब दशाओं में माना जाता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ऐसी तीन राशियां है जिसके ऊपर शनि की साढ़े साती का प्रभाव काफी हद तक कम होता है। जानिए इन राशियों के बारे में।

इन राशियों पर कम होता है शनि साढ़े साती का प्रभाव

वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शनि की राशियां मकर और कुंभ राशि है। इसके साथ ही शनि की उच्च राशि तुला है। ऐसे में शनि के साढ़े साती का प्रभाव इन राशियों पर काफी हद तक कम होता है। इन राशियों को थोड़ी परेशानी जरूर होगी, लेकिन सफलता जरूर हासिल हो सकती है।

इन अवस्थाओं में भी शनि साढ़े साती का फल होता है शुभ

  • अगर किसी जातक की कुंडली में चंद्रमा की स्थिति मजबूत है और वह शनि की साढ़े साती भी है, तो उसके जीवन में नकारात्मक प्रभाव काफी हद तक कम पड़ेगा। चंद्रमा की स्थिति मजबूत होने के कारण शनि साढ़े साती में भी फलदायी साबित होते हैं।
  • अगर किसी जातक की कुंडली में शनि तीसरे, छठे, आठवें और बारहवें भाव में मौजूद है, तो उन्हें भी साढ़े साती का अधिक प्रभावों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इन भावों में शनि शुभ फल प्रदान करते हैं।
  • अगर किसी जातक की राशि में कोई ग्रह शुभ फल दे रहा है और फिर शनि की साढ़े साती शुरू हो जाएं, तो इस स्थिति में शनि की दृष्टि कमजोर रहती है। जिसके कारण हर क्षेत्र में व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती रहती है और आर्थिक स्थिति भी मजबूत रहती है।