भारत एक ऐसा देश हैं जहां रोजाना एक त्योहार मनाया जाता है। जितने भिन्न-भिन्न तरह के लोग इस देश के निवासी हैं उतने ही भिन्न-भिन्न यहां त्यौहार मनाए जाते हैं। हर त्योहार का अपना मतलब होता है। उनमें से एक त्यौहार है गणेश चतुर्थी इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है। भगवान गणेश के जन्मदिन का ये त्योहार पूरे दस दिन चलता है। इस दिन लोग 10 दिनों के लिए भगवान गणेश की मूर्ति अपने घर में स्थापित करते हैं और उसके बाद उनकी विदाई करते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश को वरदान प्राप्त था कि कोई भी शुभ काम उनकी पूजा के बिना अधूरा होगा। हिंदू वार्षिक कैलेंडर के अनुसार ये पर्व भी सभी त्योहारों से पहले ही आता है जिससे वर्ष की मंगलमय शुरूआत हो और सभी त्योहार सबके जीवन में खुशी लेकर आए।

ऐसी मान्यता है कि अपने जन्म के दौरान दस दिनों के लिए धरती पर आकर रहते हैं। इसके बाद वो वापस अपने माता-पिता भगवान शिव और पार्वती के पास चले जाते हैं। ये भी मान्यता है कि माता पार्वती ने अपने शरीर केमैल से भगवान गणेश का निर्माण किया था। माता पार्वती के आदेश का पालन करते हुए उनका झगड़ा पिता शिव से हो गया था जिसके बाद उन्होंने गणेश का सिर काट दिया था और उसके बाद शिव जी को जब अहसास हुआ कि गणेश उनका पुत्र है तब उन्होंने गणेश को नया जीवन देने के लिए हाथी का सिर लगा दिया। इसके बाद से गणेश को गजानंद के नाम से भी पुकारा जाने लगा। ये त्योहार दस दिन पूरे देश में बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इन दोनों आप हर जगह भगवान गणेश की मूर्तियां बनते हुए देख सकते हैं। गणेश चतुर्थी वाले दिन लोग इन मूर्तियों को अपने घर लाते हैं। कई जगहों पर 10 दिनों तक पंडाल सजे हुए दिखाई देते हैं।

भगवान गणेश खाने-पीने के बहुत शौकीन हैं। उन्हें मिठाईयां बहुत पसंद है। मोदक, नारियल की बर्फी उनकी पसंदीदा है। ये 10 दिन उन्हें रोजाना नए पकवान बना कर भोग लगाए जाते हैं। भगवान गणेश अपने चुलबुले व्यवहार के लिए जाने जाते हैं। जब विसर्जन का दिन आता है तो सभी लोग उसका उत्सव मनाते हुए भगवान गणेश को विदा करते हैं और गणपति बप्पा मौर्या अगले वर्ष भी आना गाते हुए उन्हें विदा करते हैं।