20 जुलाई को सावन का तीसरा सोमवार है। खास बात ये है कि इस दिन हरियाली अमावस्या भी मनाई जाएगी। सावन में आने वाले सभी सोमवार को भगवान शिव की विशेष पूजा अर्चना की जाती है। शिव के भक्त व्रत रखते हैं। शिव मंदिरों और शिवालयों में इस दिन शिव का जलाभिषेक किया जाता है। मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन व्रत रख शिव की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। जानिए पूजा विधि, मुहूर्त और कथा…
पूजा विधि: सावन सोमवार व्रत सूर्योदय से प्रारंभ कर तीसरे पहरे तक किया जाता है। व्रत में दिन में एक बार भोजन किया जाता है। शिव पूजा के बाद व्रत की कथा सुननी जरूरी है। व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए। घर की सफाई कर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं। गंगाजल या पवित्र जल पूरे घर में छिड़कें। पूजा के लिए घर के किसी पवित्र स्थान पर शिव की मूर्ति या चित्र स्थापित कर लें। पूजन तैयारी के बाद व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद शिव और माता पार्वती का षोडशोपचार पूजन करें। पूजन के बाद व्रत कथा सुनें। शिव की आरती कर प्रसाद वितरण करें। इसके बाद भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
Hariyali Amavasya 2020: आज है हरियाली अमावस्या, जानिए पूजा की विधि, महत्व, मुहूर्त और व्रत कथा
व्रत का महत्व: मान्यता है कि सावन सोमवार व्रत रखने से शिव भगवान और माता पार्वती की विशेष कृपा बनती है। जीवन धन धान्य से भर जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने सावन के पूरे महीने उपवास किया। पार्वती की इतनी भक्तिभावना देखकर भोले भंडारी प्रसन्न हो गए और शिव ने उनकी इच्छा पूरी की। इसी प्रचलित कथा को मानते हुए सावन में कुंवारी कन्याओं के सोमवार का व्रत रखने का प्रावधान चला। मान्यता है कि सावन के सोमवार या सोलह सोमवार करने से कुवांरी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
शिव के मंत्र (Lord Shiva Mantra):
1. ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
2 . ॐ शिवाय नम:
3. ॐ सर्वात्मने नम:
4. ॐ त्रिनेत्राय नम:
5. ॐ हराय नम:
Somvati Amavasya 2020: सोमवती अमावस्या की पूजा विधि, महत्व, कथा, मुहूर्त और सभी जानकारी यहां देखें
सोमवती अमावस्या के दिन कई जगह उपवास भी रखा जाता है। जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा दें। पीपल के वृक्ष की पूजा करें। हो सके तो इस दिन पीपल, बरगद, केला, नींबू या तुलसी के पेड़ का वृक्षारोपण जरूर करें। हरियाली अमावस्या के दिन नदी या तालाब में जाकर मछली को आटे की गोलियां खिलाने की भी परंपरा है।
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव, पार्वती, गणेशजी और कार्तिकेय की पूजा की जाती है। इस दिन जलाभिषेक करना भी विशेष रूप से फलदायी बताया गया है। कई लोग इस दिन व्रत भी रखते हैं। अमावस्या को महिलाएं तुलसी या पीपल के पेड़ की 108 परिक्रमा भी करती हैं। कई जगह अमावस्या पर पितर देवताओं की पूजा और श्राद्ध करने की भी परंपरा है।
आज सावन का तीसरा सोमवार है इसके सात ही आज अमावस्या भी है। सावन के महीने में सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस साल श्रावण मास में कई विशेष संयोंग बन रहे हैं। मालूम हो कि सावन की शुरुआत सोमवार से ही हुई है और सावन का आखिरी दिन भी सोमवार को ही पड़ रहा है।
सावन में सोमवार को व्रत रखने वालीं व्रती सुबह जल्दी उठें। स्नान करने के बाद शिव पूजन में प्रयोग की जानी वाली सामग्री को एकत्र करें और घर में या घर के पास के शिव मंदिर में जाकर पूजा करें। सभी पूजन सामग्री को भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करने के बाद शिवजी को प्रणाम करें। ध्यान रहे इस दौरान शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय शिव के मंत्रों का लगातार जाप करते रहें।
पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं तथा शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव शांत होते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर विधि विधान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
जल में गंगाजल मिलाकर भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। अब उनको गाय का दूध, सफेद फूल, अक्षत्, पंचामृत, सुपारी भांग, धतूरा, बेल पत्र, सफेद चंदन आदि सादर पूवर्क चढ़ाएं। राम नाम लिखे 12 बेल पत्र भोलेनाथ को चढ़ाना कल्याणकारी माना जाता है। पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित कर दें। इसके पश्चात माता पार्वती को फल, फूल, सिंदूर, अक्षत् एवं सुहाग की सामग्री अर्पित करें। दोनों की पूजा के बाद भगवान कार्तिकेय और गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद शिव परिवार को दीपक अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिव जी की आरती करें।
सावन मास में सोमवार के दिन शिवजी की पूजा का विशेष लाभ मिलता है। इस दिन पूजा करने से भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करते हैं। वहीं जिन लोगों की राशि पर अशुभ ग्रह की छाया या दृष्टि होती है उसे भी दूर करने में मदद मिलती है।
रूद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। रुद्राभिषेक में सृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश उत्तम पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
भोलेनाथ एक लोटा जल और एक पत्ती को अर्पित करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं। इस दिन व्रती सुबह जल्दी उठें। इसके बाद शिव पूजन में प्रयोग की जानी वाली सामग्री को एकत्र कर घर के पास के शिव मंदिर में जाकर पूजा करें। सभी पूजन सामग्री को भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित करने के बाद शिवजी को प्रणाम करें। ध्यान रहे इस दौरान शिवलिंग पर जलाभिषेक करते समय शिव के मंत्रों का लगातार जाप करते रहें।
इस दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान करें। स्नान के बाद पूजा आरंभ करें। इस दिन तांबे का पात्र लेकर उसमें कुछ चावल, दूध, शहद, दही, फूल, बेल पत्री, गंगाजल आदि मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। अभिषेक के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस दिन दान आदि भी कर सकते हैं।
अमावस्या को पितरों की पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की शांति के लिए दान आदि का कार्य शुभ माना गया है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में पितृदोष पाया जाता है उन्हें इस दिन पूजा करने से पितृ दोष कम होता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन हरियाली अमावस्या भी है। इस दिन का संबंध प्रकृति और मानसून से है। इस दिन प्रकृति की पूजा जाती है। इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
सावन सोमवार पर सोमवती अमावस्या भी है जिस कारण से इस सावन सोमवार का महत्व और भी बढ़ गया है। सावन सोमवार के दिन शिव मंदिरों में बढ़ी भीड़ रहती है लेकिन इस वर्ष कोरोना संकटकाल के कारण ज्यादातर मंदिरों में बहुत ही कम लोग जलाभिषेक करेंगे।हालांकि इस दौरान लोग अपने-अपने घरों में रहकर विधिवत रूप से सावन सोमवार पर भोलेनाथ की पूजा-आराधना जरूर करते हैं।
भगवान शिव की पूजा से ग्रहों की अशुभता दूर होती है। शिवजी की पूजा करने से अशुभ ग्रह भी शुभ फल प्रदान करने लगते हैं। इस समय मिथुन राशि में राहु और मकर राशि राशि में शनि चल रहे हैं।
1. ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
2 . ॐ शिवाय नम:
3. ॐ सर्वात्मने नम:
4. ॐ त्रिनेत्राय नम:
5. ॐ हराय नम:
मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शंकर का ध्यान लगाकर जो भक्त उनकी आराधना करता है, उनके सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और संकटों का सामना नहीं करना पड़ता है. आज शिवालयों में दूध, धतूरा और बेलपत्र चढ़ाएं.
जो लोग शिवालय नहीं जा सकते हैं, वे अपने घर में ही शिवलिंग का अभिषेक और पूजन कर सकते हैं. जिसके घर पर शिवलिंग न हो, वह आंगन में लगे किसी पौधे को शिवलिंग मानकर या मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उसका पूजन कर सकते हैं. मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजन करने को ही पार्थिव शिवपूजन कहा जाता है. ये पूजा शुभ फल देने वाली मानी जाती है.
भगवान शिवजी की पूजा में गंगाजल का उपयोग जरूर करें. शिवजी की पूजा के समय शिवलिंग, माता पार्वती, कार्तिकेयजी, गणेशजी और उनके वाहन नन्दी की संयुक्त रूप से पूजा की जानी चाहिए. शिवजी की पूजा में लगने वाली सामग्री में जल, दूध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृत, कलावा, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बिल्वपत्र, दूर्वा, फल, विजिया, आक, धूतूरा, कमल−गट्टा, पान, सुपारी, लौंग, इलायची, पंचमेवा, भांग, धूप, दीप का इस्तेमाल करें.
शिव पूजन करते समय कभी भी तुलसी के पत्तों का प्रयोग नहीं करना चाहिए. तुलसी के पत्ते भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण को प्रिय है. नारियल का प्रयोग कभी भी शिव जी का पूजन करते समय इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. दरअसल नारियल का संबंध देवी लक्ष्मी से होता है और देवी लक्ष्मी भगवान विष्णु की पत्नी है. शिवलिंग की पूजा में कभी भी कुमकुम का प्रयोग नहीं करना चाहिए। कुमकुम सुहाग की निशानी है.
शास्त्री कोसलेन्द्रदास के अनुसार श्रावण मास संवत्सर का हृदय है। लोकभाषा में यही सावन मास महादेव को सर्वाधिक प्रिय है। वैसे तो भगवान शंकर के पूजन में किसी विशेष विधि-विधान की आवश्यकता नहीं है फिर भी कर्मकांड के अनेक ग्रंथों में शिव पूजन विधि का विस्तार से वर्णन है। जानिए शिव पूजा की पूरी विधि विस्तार से यहां...
Panchang Today 20 July 2020: जब अमावस्या सोमवार के दिन पड़ती है तो उसे सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya) के नाम से भी जाना जाता है। पूर्वजों की आत्मा की तृप्ति के लिए अमावस्या के खास उपाय किए जाते हैं। आज नक्षत्र पुनर्वसु, योग हर्षण, सूर्य राशि कर्क और चंद्र राशि मिथुन रहेगी। आज का पूरा पंचांग यहां देखें
ॐ नमः शिवाय॥
नम: शिवाय॥
ॐ ह्रीं ह्रौं नम: शिवाय॥
ॐ पार्वतीपतये नम:॥
ॐ पशुपतये नम:॥
ॐ नम: शिवाय शुभं शुभं कुरू कुरू शिवाय नम: ॐ ॥
रूद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। रुद्राभिषेक में सृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश उत्तम पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
जल में गंगाजल मिलाकर भगवान शिव शंकर का जलाभिषेक करें। अब उनको गाय का दूध, सफेद फूल, अक्षत्, पंचामृत, सुपारी भांग, धतूरा, बेल पत्र, सफेद चंदन आदि सादर पूवर्क चढ़ाएं। राम नाम लिखे 12 बेल पत्र भोलेनाथ को चढ़ाना कल्याणकारी माना जाता है। पंचाक्षर मंत्र का जाप करते हुए भगवान शिव को बेल पत्र अर्पित कर दें। इसके पश्चात माता पार्वती को फल, फूल, सिंदूर, अक्षत् एवं सुहाग की सामग्री अर्पित करें। दोनों की पूजा के बाद भगवान कार्तिकेय और गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद शिव परिवार को दीपक अर्पित करें। शिव चालीसा का पाठ करने के बाद शिव जी की आरती करें।
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
इस दिन तांबे का पात्र लेकर उसमें कुछ चावल, दूध, शहद, दही, फूल, बेल पत्री, गंगाजल आदि मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. अभिषेक के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन दान आदि भी कर सकते हैं.
महादेव के लिए अभिषेक जलधाराप्रिय: शिव: इस शास्त्र वाक्य के अनुसार भगवान शंकर को निर्मल जल की धारा सबसे प्रिय है। वायुपुराण में स्पष्ट लिखा है कि जो व्यक्ति किसी भी पदार्थ का दान करे या वह सारे धन-धान्य, स्वर्ण और औषधियों से भले युक्त हो पर इन सबके साथ ही यदि वह महादेव को जल चढ़ाता है और सावन मास में श्रद्धायुक्त होकर रुद्राभिषेक करता है तो वह उसी शरीर से भगवान शिव को प्राप्त कर लेता है। इसलिए हरेक व्यक्ति को पूरे सावन मास में प्रतिदिन रुद्राभिषेक करना चाहिए।
अभिजित मुहूर्त: 12:00 PM से 12:55 PM
अमृत काल: 06:59 PM से 08:34 PM
सर्वार्थ सिद्धि योग: 09:21 PM से 05:36 AM, 21 जुलाई
विजय मुहूर्त: 02:45 PM से 03:39 PM
गोधूलि मुहूर्त: 07:05 PM से 07:29 PM
सायाह्न सन्ध्या: 07:19 PM से 08:21 PM
पीपल के मूल भाग में जल, दूध चढ़ाने से पितृ तृप्त होते हैं तथा शाम के समय सरसों के तेल का दीपक जलाने से शनिदेव शांत होते हैं। इस दिन सुबह जल्दी उठकर विधि विधान भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए।
हरियाली अमावस्या के दिन पीपल और तुलसी के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। साथ ही पीपल के वृक्ष की परिक्रमा भी करनी चाहिए तथा मालपुआ का भोग लगाने की परंपरा है। इससे परिवार में आनंद का माहौल बनता है।
आज सोमवती और हरियाली अमावस्या है। आज के दिन सभी को पौधरोपण करना चाहिए। इससे घर में सुख-शांति और संपन्नता आएगी। शास्त्रों के अनुसार अगर आज संभव न हुआ तो आठ दिन के दिन अंदर जरूर लगा दें।
सोमवती अमावस्या को पितरों की पूजा की जाती है। इस दिन पितरों की शांति के लिए दान आदि का कार्य शुभ माना गया है। जिन लोगों की जन्म कुंडली में पितृदोष पाया जाता है, उन्हें इस दिन पूजा करने से पितृ दोष कम होता है और जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं। इस दिन हरियाली अमावस्या भी है. इस दिन का संबंध प्रकृति और मानसून से है. इस दिन प्रकृति की पूजा जाती है. इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
इस बार सावन के तीसरे सोमवार को सोमवती अमावस्या और हरियाली अमावस्या का पर्व भी पड़ रहा है. यह एक शुभ संयोग है। इस दिन की पूजा का विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
इस दिन सुबह सूर्य उदय से पहले उठकर स्नान करें. स्नान के बाद पूजा आरंभ करें. इस दिन तांबे का पात्र लेकर उसमें कुछ चावल, दूध, शहद, दही, फूल, बेल पत्री, गंगाजल आदि मिलाकर शिवलिंग पर चढ़ाएं. अभिषेक के दौरान शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन दान आदि भी कर सकते हैं.
सोमवती अमावस्या पर महिलाएं अखंड सुहाग की कामना कर शिव-पार्वती का पूजन-अर्चन करें। पूजन के लिए फूल-अक्षत और दान के लिए शृंगार सामग्री चढ़ाएं। आज का दिन बहुत फलदायी है।
सावन का पूरा महीना पवित्र और फलदायी महीना होता है। इस महीने में भगवान शिव की आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। इस बार सावन का पहला और अंतिम दिन दोनों सोमवार को हैं। सोमवार को व्रत रखने, शिव भगवान को जलाभिषेक करने और शिव आराधना करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, घर में खुशियां होती हैं और धन-धान्य संपन्नता आती हैं।
व्रत रखने के सबके अपने नियम और परंपरा है, कुछ लोग मीठा खाना पसंद करते हैं तो कुछ लोग नमकीन। इस बात का ध्यान रखें कि खाना पूरी तरह सात्विक हो और उसे बनाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल किया गया हो।
शिव पुराण के अनुसार शिवलिंग की पूजा करते समय मुख सदैव उत्तर की ओर रखना चाहिए क्योंकि पूर्व दिशा की ओर खडे़ होकर या बैठकर शिवलिंग की पूजा करने से शिव के सामने का भाग बाधित होता है जो शुभफलदायी नहीं होता है। कहा जाता है कि उत्तर की ओर बैठकर या खडे़ होकर पूजा करने से देवी पार्वती का अपमान होता है क्योंकि यह शिव का बायां भाग पड़ता है जहां देवी पार्वती का स्थान है। इसलिए दक्षिण दिशा में बैठकर सामने की ओर यानी उत्तर की ओर मुख करके शिवलिंग की पूजन करनी चाहिए. ऐसा करने से भक्त को माता पार्वती और भोलेनाथ की कृपा मिलती है।
धार्मिक कथाओं और प्रचलित था के अनुसार माना जाता है कि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने सावन के पूरे महीने उपवास किया। कहते हैं कि पार्वती की इतनी भक्ति भावना देखकर भोले भंडारी प्रसन्न हो गए थे और उनकी शिव ने उनकी इच्छा पूरी की। इसी प्रचलित कथा को मानते हुए सावन में कुंवारी कन्याओं के सोमवार का व्रत रखने का प्रावधान चला। मान्यता है कि सावन के सोमवार या सोलह सोमवार करने से कुवांरी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।
1. ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥
2 . ॐ शिवाय नम:
3. ॐ सर्वात्मने नम:
4. ॐ त्रिनेत्राय नम:
5. ॐ हराय नम:
मान्यता है कि सावन सोमवार व्रत रखने से शिव भगवान और माता पार्वती की विशेष कृपा बनती है। जीवन धन धान्य से भर जाता है। धार्मिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि देवी पार्वती भगवान शिव से विवाह करना चाहती थीं और इसके लिए उन्होंने सावन के पूरे महीने उपवास किया। पार्वती की इतनी भक्तिभावना देखकर भोले भंडारी प्रसन्न हो गए और शिव ने उनकी इच्छा पूरी की। इसी प्रचलित कथा को मानते हुए सावन में कुंवारी कन्याओं के सोमवार का व्रत रखने का प्रावधान चला। मान्यता है कि सावन के सोमवार या सोलह सोमवार करने से कुवांरी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।