13 जुलाई को सावन का दूसरा सोमवार है। सावन में आने वाले सभी सोमवार भगवान शिव की पूजा के लिए विशेष माने जाते हैं। इस दिन भक्त घर पर या मंदिरों में जाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं और शिव जी को विभिन्न प्रकार की सामग्रियां चढ़ाते हैं। सावन सोमवार व्रत से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होने की मान्यताएं हैं। जानिए सावन सोमवार व्रत की पूरी विधि, कथा, आरती, मंत्र, व्रत रेसिपी और सबकुछ…
सावन सोमवार व्रत विधि: ये व्रत सूर्योदय से लेकर तीसरे प्रहर तक किया जाता है। इस दिन शिवलिंग का जलाभिषेक करना फलदायी माना गया है। व्रत वाले जातक सुबह जल्दी उठ जाएं। पूरे घर की सफाई कर स्नान कर लें। मंदिर में शिवजी की मूर्ति के समक्ष सभी सामग्री लेकर बैठ जाएं। व्रत का संकल्प लें। शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजन सामग्री में जल, दुध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल, गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढाया जाता है। इस दिन धूप दीपक जलाकर कपूर से शिव जी की आरती करनी चाहिए। व्रत कथा सुनें और शिव के मंत्रों का जाप करें। व्रती को तीसरा प्रहर खत्म होने के बाद एक ही बार भोजन करना चाहिए। रात्रि के समय जमीन पर सोना चाहिए।
शिव के मंत्र (Shiv Mantra):
1. ॐ नमः शिवाय।
2. नमो नीलकण्ठाय।
3. ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।
4. ॐ नमो भगवते दक्षिणामूर्त्तये मह्यं मेधा प्रयच्छ स्वाहा।
5. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव...॥
एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव...॥
दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव...॥
अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव...॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव...॥
कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव...॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव...॥
काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव...॥
त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव...॥
1. कपाली, 2. पिंगल, 3. भीम, 4. विरुपाक्ष, 4. विलोहित, 6. शास्ता, 7. अजपाद, 8. आपिर्बुध्य, 9. शम्भू, 10.चण्ड तथा 11. भव।... उक्त रुद्रावतारों के कुछ शस्त्रों में भिन्न नाम भी मिलते हैं।
1. महाकाल, 2. तारा, 3. भुवनेश, 4. षोडश, 5. भैरव, 6. छिन्नमस्तक गिरिजा, 7. धूम्रवान, 8. बगलामुख, 9. मातंग और 10. कमल नामक अवतार हैं। ये दसों अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित हैं।
सोमवार व्रत में कुछ लोग मीठा खाते हैं तो कुछ नमकीन चीजों का सेवन भी करते हैं। नमकीन चीजों के लिए अक्सर सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है। व्रत के लिए कई तरह की रेसिपी तैयार की जा सकती है। जैसे दही आलू रेसिपी, सौंठ की चटनी, कुट्टू का डोसा रेसिपी, कुट्टू की पूड़ी, व्रतवाला चावल ढोकला रेसिपी, साबूदाना खिचड़ी रेसिपी इत्यादि।
बिल्व पत्र शंकर जी को बहुत प्रिय हैं, बिल्व अर्पण करने पर शिवजी अत्यंत प्रसन्न होते हैं और मनमांगा फल प्रदान करते हैं। लेकिन प्राचीन शिव पुराण के अनुसार भगवान शिव पर अर्पित करने हेतु बिल्व पत्र तोड़ने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण कर बिल्व वृक्ष को श्रद्धापूर्वक प्रणाम करना चाहिए, उसके बाद ही बिल्व पत्र तोड़ने चाहिए। ऐसा करने से शिवजी बिल्व को सहर्ष स्वीकार करते हैं।
सावन की दूसरी सोमवारी को सुलतानगंज से देवघर 105 किलोमीटर का रास्ता वीरान पड़ा है। सुलतानगंज में कोरोना की वजह से लाकडाउन और गंगाघाट पर पुलिस तैनात है। तो देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर पुलिस के पहरे में बंद है। 4 अगस्त तक एक महीने के लिए पूजा करने की सरकार की मनाही है। कोरोना ने पंडा समाज के कई लोगों को भी चपेट में ले लिया है। इस वजह से बाबा की सरकारी पूजा करने के लिए भी पंडा पुजारियों की संख्या सीमित कर दी है। सरकारी पूजा के बाद मंदिर में ताला जड़ दिया जाता है। यह बात पंडा समाज के शोभन नरोने बताते है। साथ ही कहते है कि सैकड़ों साल में ऐसा नहीं हुआ। पूरी खबर यहां पढ़ें
शिव पुराण में विभिन्न द्रव्यों से भगवान शिव के अभिषेक करने का फल इस प्रकार बताया गया है। जलाभिषेक से सुवृष्टि, कुशोदक से व्याधि नाश, गन्ने के रस से धन प्राप्ति, शहद से अखण्ड पति सुख, कच्चे दूध से पुत्र सुख, शक्कर के शर्बत से वैदुष्य, सरसों के तेल से शत्रु दमन एवं घी के अभिषेक से सर्वकामना पूर्ण होती है। भगवान शिव की पूजा का सर्वश्रेष्ठ काल-प्रदोष समय माना गया है। किसी भी दिन सूर्यास्त से एक घंटा पूर्व तथा एक घंटा बाद के समय को प्रदोषकाल कहते हैं।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||.
मान्यता के अनुसार सावन सोमवार के दिन भगवान शिव की सच्चे मन से पूजा की जाए तो सारे क्लेशों से मुक्ति मिलती है और मन की सारी मुरादें जरूर पूरी हो जाती हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सावन सोमवार को शिवलिंग का जलाभिषेक जरूर करें।
सावन के व्रत की शुरुआत आप पूजापाठ की प्रक्रिया पूरी करने के बाद नींबू के पानी से कर सकते हैं। नींबू पानी आपके शरीर से सभी टॉक्सिक चीजों को बाहर निकालता है। उसके बाद आप चाय के साथ मूंगफली और मखाने ले सकते हैं। इससे आपको तुरंत ऊर्जा भी मिलती है और काफी देर तक भूख भी नहीं लगती है। आप कुट्टू के आटे का प्रयोग खूब कर सकते हैं। यह खाने भी हल्का होता है और धर्म के लिहाज से भी यह एक सात्विक आहार माना गया है। कुट्टू के आटे से आप पूरी, कचौरी, हलवा आदि बनाकर खा सकते हैं। इसके अलावा कुछ लोग व्रत में सिंघाड़े के आटे का भी प्रयोग करते हैं। कुट्टू की तरह ही सिंघाड़े के आटे से भी आप पूरी और पराठे बना सकते हैं।
सबसे पहले गंगाजल मिले पानी से स्नान आदि करके स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। अब शिवलिंग को सामान्य जल या गंगाजल से स्नान कराएं। फिर दूध, दही, घी, शहद और गुड़ का मिश्रण बना लें और इससे भगवन शिव को स्नान कराएं। इसके बाद एक स्वच्छ कपड़े से ये मिश्रण साफ कर दें और उनको चन्दन का लेप लगाएं। इसके पश्चात फूल, बेल पत्र, धतुरा और मौली चढ़ाएं। अब अगरबत्ती या दीपक जलाएं तथा गुड़ या कोई मिठाई चढ़ाएं। साथ में पान और नारियल भी अर्पित कर दें। इसके पश्चात महामृत्युंजय मंत्र पढ़ते हुए भगवान् शिव से आशीर्वाद लें।
सावन सोमवार के दिन भगवान शिवजी को घी, शक्कर, गेंहू के आटे से बने प्रसाद का भोग लगाना चाहिए। इसके बाद धूप, दीप से आरती करें और प्रसाद का वितरण करें।
सावन के दूसरे सोमवार के साथ ही नए सप्ताह की शुरुआत हो रही है। नया सप्ताह कई राशियों के लिए बेहद शुभ माना जा रहा है। भगवान शिव की कृपा से श्रावण मास के दूसरे सप्ताह कई राशियों में लाभ के योग बनेंगे। मिथुन, तुला, धनु और मीन राशि वालों के लिए नया सप्ताह बेहद शुभ माना जा रहा है।
सावन में रोज सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निपट कर मंदिर जाएं और भगवान शिव का जल से अभिषेक करने के साथ ही काले तिल अर्पण करें। जीवन में खुशहाली आने की है मान्यता।
शिव पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु देवउठान एकादशी के दिन सो जाते हैं इसलिए सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव के पास होता है। सृष्टि का कार्यभार देखने के लिए सावन मास में भगवान शिव भगवान शिव माता पार्वती, पुत्र कार्तिकेय और गणेश, नंदी और गणों के साथ कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार घर की पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा यानि कि वायव्य कोण में बिल्व का पेड़ लगाना चाहिए। साथ ही, नियमित रूप से इस पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए और शाम के समय पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। वास्तु शास्त्र की मानें तो इससे भगवान शिव की कृपा दृष्टि पूरे परिवार पर बनी रहती है।
क्रोध करना तो वैसे भी नुकसानदायक होता है। क्रोध में लिए गए फैसले अक्सर हमें हानि पहुंचाते हैं। जब क्रोध आता है तो मन की एकाग्रता और विवेक क्षीण हो जाता है। ऐसे में मन अशांत होने से की गई पूजा निष्प्रयोज्य हो जाती है। लिहाजा यह व्यर्थ हो जाती है।
सावन सोमवार के दिन महामृत्युंजय मंत्र का जाप 108 बार करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। सोमवार के दिन शिवलिंग पर गाय का कच्चा दूध चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा आप पर हमेशा बनी रहेगी। इस मंत्र के जाप से आपके सारे कष्ट दूर हो जाएंगे।
सावन सोमवार के दिन भोले नाथ को चंदन, अक्षत, बिल्व पत्र, धतूरा या आंकड़े के फूल, दूध, गंगाजल चढ़ाएं। महादेव के लिए ये बेहद ही प्रिय वस्तु होती हैं। इन्हें चढ़ाने से भगवान शंकर जल्दी प्रसन्न होकर अपनी कृपा बरसाते हैं।
रूद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। रुद्राभिषेक में सृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। इनमें दूध से पुत्र प्राप्ति, गन्ने के रस से यश उत्तम पति/पत्नी की प्राप्ति, शहद से कर्ज मुक्ति, कुश एवं जल से रोग मुक्ति, पंचामृत से अष्टलक्ष्मी तथा तीर्थों के जल से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- ओम साधो जातये नम:।।
- ओम वाम देवाय नम:।।
- ओम अघोराय नम:।।
- ओम तत्पुरूषाय नम:।।
- ओम ईशानाय नम:।।
-ॐ ह्रीं ह्रौं नमः शिवाय।।
सोमवार को शिव मंदिर में शिवलिंग पर बेल पत्र, कनेर, शमी, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं। इससे बहुत पुण्य मिलेगा।
अगर घर में सुख-शांति चाहते हैं और कलह से मुक्त होना चाहते हैं तो घर की उत्तर-पूर्व दिशा में भगवान शिव के साथ माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और श्री गणेश की एक साथ तस्वीर लगाएं। इससे घर की उन्नति होगी।
सावन माह में दूध और बैगन का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि इस महीने इन दोनों के सेवन से शारीरिक और मानसिक कष्ट होता है। इनसे निश्चित रूप से बचना चाहिए।
सावन का महीना भगवान शिव का महीना है। इस महीने भगवान शिव का भजन-पूजन, जप और अभिषेक करने का विधान है। भूलकर भी इस महीने किसी का अपमान न करें और न ही किसी के प्रति दुर्भावना रखें।
भगवान शिव की पूजा के दौरान मन में किसी के लिए भी दुर्भावना और बुरे विचार त्याग दें। दुर्भावना के कारण पूजा के समय आपका मन इधर-उधर भटकता रहेगा, जिससे पूजा फलदायी नहीं होगी।
भगवान महादेव नीलकंठ धारी हैं, अर्थात उन्होंने विष को पीकर अपने कंठ में रख लिया था। उसी तरह भगवान लोगों के दुखों को भी हर लेते हैं। यदि आप श्रद्धापूर्वक पूरे मन से भगवान की शरण में जाएं और उनकी पूजा-अर्चना करें तो वे दुखों को दूर कर देंगे।
भगवान महादेव यानी शंकर जी की भक्ति में ही शक्ति है। शंकर भगवान बहुत कृपाशील, भक्तों की इच्छा पूरी करने वाले और कष्टों का निवारण करने वाले देव हैं। उनकी पूजा-अर्चना मन से करने पर सभी प्रकार के संकट अवश्य दूर हो जाते हैं।
भगवान भोलेनाथ जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं अगर आप सच्चे दिल से शिव को याद करेंगे तो फिर वो आपकी प्रार्थना अवश्य सुनेंगे। इनकी पूजा बहुत ही आसान होती है। भोलेनाथ एक लोटा जल और एक पत्ती को अर्पित करने मात्र से ही प्रसन्न हो जाते हैं। सावन सोमवार के दिन व्रती सुबह जल्दी उठें। इसके बाद शिव पूजन में प्रयोग की जानी वाली सामग्री को एकत्रकर घर के पास के शिव मंदिर में जाकर पूजा करें।
सावन से जुड़ी प्राचीन मान्यता ये है कि सृष्टि का कार्यभार देखने के लिए सावन मास में भगवान शिव भगवान शिव माता पार्वती, पुत्र कार्तिकेय और गणेश, नंदी और गणों के साथ कैलाश छोड़कर पृथ्वी पर आते हैं।
सोमवार व्रत में कुछ लोग मीठा खाते हैं तो कुछ नमकीन चीजों का सेवन भी करते हैं। नमकीन चीजों के लिए अक्सर सेंधा नमक का इस्तेमाल किया जाता है।
Sawan 2020: गेहूं के आटे से 11 शिवलिंग बनाएं और प्रत्येक शिवलिंग का शिव स्त्रोत से 11 बार जलाभिषेक करें। इस जल का कुछ भाग प्रसाद के रूप में ग्रहण करें। यह प्रयोग लगातार 21 दिन तक करें। गर्भ की रक्षा के लिए और संतान प्राप्ति के लिए गर्भ गौरी रुद्राक्ष भी धारण करें। इसे किसी शुभ दिन शुभ मुहूर्त देखकर धारण करें।
सावन के मौके पर तेल का दान करना चाहिए और तेल खरीदने से बचना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार , सरसों या किसी भी पदार्थ का तेल खरीदने से इंसान रोगों से ग्रस्त होने लगता है।
शिव के साथ माता पार्वती की भी पूजा करें। पूजन सामग्री में जल, दुध, दही, चीनी, घी, शहद, पंचामृ्त, मोली, वस्त्र, जनेऊ, चन्दन, रोली, चावल, फूल, बेल-पत्र, भांग, आक-धतूरा, कमल, गट्ठा, प्रसाद, पान-सुपारी, लौंग, इलायची, मेवा, दक्षिणा चढाया जाता है।
सावन के मौके पर घर में लोहे से बनी चीजें न लेकर आएं। शनि के विशेष काल में लोहे की वस्तुएं खरीदने से शनिदेव नाराज होते हैं और उनकी बुरी नजर आपको कंगाल कर सकती है।
घर की पूर्व या उत्तर-पश्चिम दिशा यानि कि वायव्य कोण में बिल्व का पेड़ लगाना चाहिए। साथ ही, नियमित रूप से इस पेड़ में जल चढ़ाना चाहिए और शाम के समय पेड़ के नीचे घी का दीपक जलाना चाहिए। वास्तु शास्त्र की मानें तो इससे भगवान शिव की कृपा दृष्टि पूरे परिवार पर बनी रहती है।
क्रोध करना तो वैसे भी नुकसानदायक होता है। क्रोध में लिए गए फैसले अक्सर हमें हानि पहुंचाते हैं। जब क्रोध आता है तो मन की एकाग्रता और विवेक क्षीण हो जाता है। ऐसे में मन अशांत होने से की गई पूजा निष्प्रयोज्य हो जाती है। लिहाजा यह व्यर्थ हो जाती है।
मन में किसी के लिए भी दुर्भावना और बुरे विचार त्याग दें। दुर्भावना के कारण पूजा के समय आपका मन इधर-उधर भटकता रहेगा जिससे पूजा फलदायी नहीं होगी।
देवों के देव महादेव ही एक मात्र ऐसे देव हैं जिनकी पूजा मूर्त रूप की बजाय लिंग रूप में अधिक फलदायी मानी गयी है। यही कारण है कि मंदिरों में भगवान शिव लिंग रूप में विराजते हैं। शिव जी को प्रसन्न करने के लिए भक्त इन्हीं की पूजा करते हैं शिवपुराण में शिवलिंग तीन प्रकार के बताए गये हैं। इन्हें उत्तम, मध्यम और अधम कहा गया है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार वैसे तो हमें किसी का अपमान कभी नहीं करना चाहिए। लेकिन सावन में किसी बुजुर्ग, अपने से बड़े, गुरुजनों, भाई-बहन, दोस्त, जीवन साथी या किसी निर्धन व्यक्ति का अपमान भूलकर भी नहीं करना चाहिए। सदैव इनको सम्मान दें।