Sawan Purnima Importance: हर महीने के शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि को पूर्णिमा आती है। पूर्णिमा की प्रत्येक तिथि को धार्मिक रूप से काफी शुभ माना जाता है। इनमें श्रावण मास की पूर्णिमा अपना विशेष महत्व रखती है। इस दिन देश भर में विशेषकर उत्तर भारत में रक्षाबंधन का पावन पर्व मनाया जाता है। इस साल रक्षाबंधन 26 अगस्त(रविवार) को मनाया जाएगा। इसे आमतौर पर भाई-बहनों का पर्व मानते हैं लेकिन, अलग-अलग स्थानों एवं लोक परम्परा के अनुसार अलग-अलग रूप में रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है। चलिए इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
श्रावण पूर्णिमा को भारत के विभिन्न क्षेत्रों में अनेक नामों से जाना जाता है। उत्तर भारत में इसे रक्षाबंधन पर्व के रूप में मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इस पर्व के कई नाम हैं। दक्षिण भारत में रक्षाबंधन को नारियल पूर्णिमा और अवनी अवित्तम के रूप में मनाया जाता है। वहीं, मध्य भारत में कजरी पूनम और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। महाराष्ट्र में रक्षाबंधन को नारियल पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन सभी समुद्र के किनारे इकट्ठा होकर समुद्र में नारियल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि इससे समुद्र उनके ऊपर आपदा नहीं लाएगा।
मालूम हो कि तमिलनाडु, केरल महाराष्ट्र,ओडिशा के दक्षिण भारतीय ब्राह्मण इसे ‘अवनि अवित्तम’ कहते हैं। राजस्थान में ‘राम राखी लूम्बा’ बांधने का प्रचलन है। राम राखी में लाल डोरे पर एक पीली चोटी वाला फुदना लगा होता जिसे केवल भगवान को बांधते हैं। कुछ प्रान्तों में भाई के कानों के ऊपर भुजरिया लगाने की प्रथा है। पड़ोसी देश नेपाल के तरेाई वाले क्षेत्र में यह पर्व ‘भाई टीका’ के नाम से प्रसिद्ध है। तराई क्षेत्र में रहने वाले भाइयों को फल-फूल और मिठाई लेकर अपनी शादीशुदा बहन के घर जाने का रिवाज है। जहां बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधकर माथे पर टीका लगाती हैं और अपने भाई के लिए मंगलकामना करती हैं।