Swing In Shravan Month: सावन का पवित्र महीना कल यानी 11 जुलाई से आरंभ होने वाला है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है, जिसमें विशेष रूप से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। श्रावण मास में भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए व्रत, पूजन और उपाय किए जाते हैं। वहीं इस महीने झूले झूलने की परंपरा भी जुड़ी है, खासकर नागपंचमी के दिन इसका विशेष महत्व होता है। ऐसे में आइए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक मान्यता और महत्व।

झूला झूलने की शुरुआत

सावन में महिलाएं पारंपरिक गीत गाते हुए झूला झूलती हैं और अपनी मनोकामनाएं ईश्वर तक पहुंचाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, झूला झूलने की परंपरा की शुरुआत राधा रानी और भगवान श्रीकृष्ण से हुई थी। सावन के महीने में ही भगवान श्रीकृष्ण ने राधा रानी को झूला झुलाया था और तभी से यह परंपरा शुरू हुई। माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से झूला झूलते हुए अपनी इच्छाएं व्यक्त करता है, उसकी हर मनोकामना श्रीकृष्ण तक पहुंचती है और वह पूरी भी होती है।

रक्षा बंधन पर झूला

रक्षा बंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है और इस दिन झूला झूलना भी शुभ माना जाता है। खासकर बहनें मेंहदी लगाकर झूला झूलती हैं और पारंपरिक गीत गाती हैं। माना जाता है कि इससे रिश्तों में मिठास आती है और पारिवारिक सौहार्द बना रहता है।

श्रावणी सोमवार पर झूला

श्रावण मास के सोमवार शिव भक्ति के लिए विशेष माने जाते हैं। इस दिन स्त्रियां उपवास रखती हैं और झूला झूलते हुए भगवान शिव और पार्वती की कथा का स्मरण करती हैं। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में सौहार्द बना रहता है और मन को शांति मिलती है।

कजरी तीज पर झूला

कजरी तीज के दिन झूला झूलने की खास परंपरा होती है। स्त्रियां पारंपरिक गीत गाते हुए झूला झूलती हैं और अपने सुहाग की लंबी उम्र की कामना करती हैं। यह दिन स्त्रियों के लिए सौभाग्य और आनंद का प्रतीक माना जाता है।

अन्य मान्यताएं

मान्यता यह भी है कि सावन के पावन माह में भगवान शिव ने माता पार्वती के लिए प्रेमपूर्वक झूला डाला था और स्वयं उन्हें झूला झुलाया था। तभी से यह परंपरा जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि इस मौके पर पति अपनी पत्नी को झूला झुलाते हैं, जिससे दांपत्य जीवन में प्रेम और सामंजस्य बढ़ता है और घर-परिवार में सुख-शांति बनी रहती है। इसके अलावा, सावन के शुभ अवसर पर यदि आप भगवान श्रीकृष्ण और गणपति बप्पा को हिंडोले में झूला झुलाते हैं, तो यह अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। इससे केवल ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि परिवार के हर सदस्य के जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

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