Sawan Pradosh Vrat: सावन का पावन और पवित्र महीना शुरू हो गया है। यह महीना भोलेनाथ को समर्पित होता है। इस माह में भगवान शंकर की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। इस माह भक्त कांवड यात्रा भी निकालते हैं। साथ ही कांवड का जल शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। मतलब साल में कुल 24 प्रदोष व्रत पड़ते हैं। प्रदोष व्रत भी भगवान शंकर को ही समर्पित होते हैं। सावन माह का पहला प्रदोष व्रत 25 जुलाई दिन सोमवार को है।  इस दिन दो राजयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का भी निर्माण हो रहा है। आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और महत्व…

शुभ मुहूर्त:

त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 25 जुलाई, सोमवार, शाम 04 बजकर 14 मिनट से

त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 26 जुलाई, मंगलवार, शाम 06 बजकर 47 मिनट पर

शिव पूजा का प्रदोष मुहूर्त: शाम 07 बजकर 18 मिनट से रात 09 बजकर 22 मिनट तक

प्रदोष काल में करें पूजा:

प्रदोष व्रत में प्रदोष काल में ही पूजा का विशेष महत्व होता है। प्रदोष काल संध्या के समय सूर्यास्त से लगभग 45 मिनट पहले शुरू हो जाता है। कहा जाता है कि प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। साथ ही इस समय पूजा करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते है और व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

बन रहे हैं 2 राजयोग

वैदिक पंचांग के अनुसार 25 जुलाई सोमवार को सावन का पहला प्रदोष व्रत है। इस दिन शश और हंस राजयोग बन रहे हैं। साथ ही ही बुधादित्य, सर्वार्थ सिद्धि योग और अमृत सिद्धि योग का शुभ संयोग बन भी रहा है। इसलिए इस दिन का महत्व और भी बढ़ गया है।

प्रदोष व्रत का महत्व:

शास्त्रों के अनुसार सोम प्रदोष के द‍िन भगवान शिव के रुद्राभिषेक और श्रृंगार का व‍िशेष महत्व है। इस द‍िन जो भक्त सच्चे मन से भोलेनाथ की पूजा- अर्चना करता है उसकी सभी मनोकामाएं पूर्ण  होती हैं।  लड़का या लड़की की शादी-विवाह की अड़चनें दूर होती है। संतान की इच्छा रखने वाले लोगों को इस दिन पंचगव्य से महादेव का अभिषेक करना चाहिए। रोग मुक्ति और शत्रुओं पर विजय पाने के लिए भोलेनाथ का रस से अभिषेक करना चाहिए।